DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeHindi

हिंदी उपन्यास का उद्भव एवं विकास

byDivanshuGS -December 15, 2021
0
हिंदी उपन्यास का उद्भव एवं विकास

Hindi Upanyas ka udbhav evam vikas 

  • उपन्यास हिंदी गद्य की एक आधुनिक विधा है। इस विधा का हिंदी में प्रादुर्भाव अंग्रेजी साहित्य के प्रभाव स्वरूप हुआ । लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि इससे पहले भारत में उपन्यास जैसी विधा थी ही नहीं।  
  • उपन्यास विधा का उद्भव और विकास पहले यूरोप में हुआ। बाद में बांग्ला साहित्य के माध्यम से यह विधा हिंदी साहित्य में आयी।   

हिंदी का पहला उपन्यास Hindi ka pahala Upanyas kaunasa hai

  • लाला श्रीनिवास दास का 'परीक्षा गुरु' (1888) इंशा अल्ला खां द्वारा रचित 'रानी केतकी की कहानी' तथा श्रद्धा राम फिल्लौरी कृत 'भाग्यवती' आदि कुछ ऐसी रचनाएं हैं जिन्हें हिंदी का प्रथम उपन्यास माना जाता है। 
  • आज अधिकांश विद्वान लाला श्रीनिवास दास कृत 'परीक्षा गुरु' को हिंदी का प्रथम उपन्यास स्वीकार करते हैं। 
  • हिंदी उपन्यास के विकास क्रम का अध्ययन करने के लिए इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  1. प्रेमचंद पूर्व हिंदी उपन्यास
  2. प्रेमचंदयुगीन हिुदी उपन्यास और
  3. प्रेमचंदोत्तर हिंदी उपन्यास।
यह भी पढ़ें

आदिकालीन हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियां

रीतिकालीन काव्य संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न

यशपाल द्वारा लिखित उपन्यास

शिव प्रताप सिंह: अलग—अलग वैतरणी उपन्यास का सारांश

1. प्रेमचंद पूर्व हिंदी उपन्यास  Premchand purv Hindi Upanyas

इस युग के उपन्यासों को हम पांच भागों में विभाजित कर सकते हैं:

  • सामाजिक उपन्यास, तिलस्मी तथा ऐय्यारी के उपन्यास, जासूसी उपन्यास, प्रेमाख्यात्मक और ऐतिहासिक उपन्यास।

सामाजिक उपन्यास

  • सामाजिक उपन्यासों में श्रद्धाराम फिल्लौरी का 'भाग्यवती' सामाजिक समस्या को लेकर लिखा हुआ सबसे प्रथम मौलिक उपन्यास था। इसकी रचना 1877 में हुई थी। यह अपने समय में बहुत लोकप्रिय रहा। श्रीनिवासदास का 'परीक्षा गुरु' भी मौलिक सामाजिक उपन्यास है। बालकृष्ण भट्ट का 'नूतन ब्रह्मचारी', किशोरी लाल गोस्वामी का 'हृदयहारिणी', लज्जा राम मेहता का 'परतन्त्र लक्ष्मी', कार्तिक प्रसाद का ‘दीनानाथ’, राधाकृष्णदास का ‘निःसहाय हिन्दू’ अच्छे सामाजिक उपन्यास थे। कुछ और भी उपन्यास लिखे गये थे जिनमें सामाजिक कुरीतियों पर प्रकाश
  • डाला गया था, परन्तु उनमें उपदेश वृत्ति इतनी अधिक है कि उपन्यास की रोचकता नष्ट हो जाती है।

तिलस्मी तथा ऐय्यारी उपन्यास

  • हिन्दी में तिलस्मी और ऐय्यारी का भाव फारसी कहानियों के अनुकरण से आया। सन् 1891 में देवकीनन्दन खत्री ने 'चन्द्रकान्ता' और ‘चन्द्रकांता संतति’ नामक दो उपन्यास लिखे। ये ऐय्यारी की रचनायें इतनी लोकप्रिय हुई कि जो हिन्दी पढ़ना भी नहीं जानते थे उन्होंने केवल इन उपन्यासों को पढ़ने के लिए ही हिन्दी पढ़ना सीखा। इससे प्रभावित होकर अन्य उपन्यासकारों ने भी तिलस्मी और ऐय्यारी का प्रयोग किया।

जासूसी उपन्यास

  • हिन्दी के उपन्यासकारों को जासूसी उपन्यासों की प्रेरणा, पश्चिम की पुलिस खोजों से भरे हुए उपन्यासों से प्राप्त हुई। इस शाखा के सबसे प्रमुख लेखक गोपालराम गहमरी थे। इनके कथानक स्वाभाविक होते थे। जासूस की चोरी, जासूसों पर जासूस, किले में खून, खूनी खोज आदि इनके प्रसिद्ध उपन्यास थे।

प्रेमाख्यात्मक उपन्यास

  • सामाजिक उपन्यासों को छोड़कर अधिकांश अन्य सभी उपन्यासों का विषय प्रेम ही होता था। तिलस्मी और ऐय्यारी के उपन्यासों में भी प्रेम के अतिरिक्त रूप के दर्शन होते हैं। इनके अतिरिक्त किशोरीलाल गोस्वामी ने भी 'लीलावती', ‘चन्द्रावती’, तरुण तपस्विनी आदि उपन्यासों में भी प्रेम का हो आश्रय लिया है।

ऐतिहासिक उपन्यास

  • ऐतिहासिक उपन्यास भी इस युग में लिखे गये, परन्तु उनमें ऐतिहासिक अनुसंधान के आधार पर राजनीतिक एवम् आर्थिक परिस्थितियों के चित्रण का अभाव है। बृजनन्दन सहाय ने 'लाल चीन' जिसमें गयासुद्दीन बलबन के एक गुलाम की कहानी है, लिखा। मिश्र बन्धुओं का ‘वीरमणि’, किशोरीलाल गोस्वामी का 'राजकुमारी', तारा, चपला, ‘लखनऊ की कब्र’ इस प्रकार के उपन्यास हैं।
  • प्रेमचन्द के पूर्ववर्ती उपन्यासों में औपन्यासिक तत्वों का अभाव था। अधिकांश उपन्यास घटना-प्रधान, मनोरंजन या कौतूहलवर्धक होते थे। फिर भी आगे के युग के लिए उपन्यास के पाठकों को तैयार करने का श्रेय इन्हीं उपन्यासों एवं उपन्यासकारों को है। देवकीनन्दन खत्री की व्यावहारिक भाषा को ही प्रेमचन्द ने अपना आधार बनाया।

यह भी पढ़ें:

Pradhyapak Sanskrit shiksha vibhag 2018 samanya ghyan

हिन्दी में कुल कितने सर्वनाम है?

2. प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्यास Premchand Yugin Hindi Upanyas  

  • हिन्दी उपन्यासकारों में ‘प्रेमचंद’ अपनी महान प्रतिभा के कारण युग प्रवर्तक के रूप में जाने जाते है। सही मायनों में उन्होंने ही हिंदी उपन्यास शिल्प का विकास किया। उनके उपन्यासों में पहली बार सामान्य जनता की समस्याओं की कलात्मक अभिव्यक्ति हुई और जनजीवन का प्रमाणिक एवं वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया गया। अपने महान उपन्यासों के कारण वे वास्तव में ‘उपन्यास सम्राट’ की पदवी पाने के अधिकारी सिद्ध हुए। 
  • प्रेमचंद के उपन्यास राष्ट्रीय आंदोलन, कृषक समस्या, मानवतावाद, भारतीय संस्कृति, शोषण, विधवा विवाह,अनमेल विवाह, दहेज प्रथा आदि विविध विषयों से संबंधित हैं। उन्होंने उपन्यास को तिलस्मी और प्रेमाख्यान की दलदल से निकालकर मानव जीवन की दृढ़ नींव पर लाकर खड़ा कर दिया। उनके उपन्यासों की कथावस्तु कल्पना-प्रसून न होकर मानव-जीवन की वास्तविकता से ओत-प्रोत है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कोरा यथार्थवाद या कोरा आदर्शवाद जन-कल्याण नहीं कर सकता। अतएव उनका साहित्य आदशोन्मुख यथार्थवादी ही रहा।
  • प्रेमचन्द जी ने हिन्दी में ग्यारह उपन्यास लिखे हैं जिसमें सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्म-भूमि, कायाकल्प, निर्मला, गबन और गोदान प्रमुख हैं। ‘निर्मला’ में उन्होंने दहेज प्रथा और अनमेल विवाह की समस्या को प्रस्तुत किया है। 
  • कृषक जीवन की समस्याओं का यथार्थ चित्रण उन्होंने ‘गोदान’ में किया है जो उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा जाता है। 
  • प्रेमचन्द युग के अन्य प्रतिभा-सम्पन्न उपन्यासकारों में जयशंकर प्रसाद, विशम्भर नाथ कौशिक, बेचन शर्मा उग्र, ऋषभचरण जैन तथा वृन्दावन लाल वर्मा आदि प्रमुख हैं।
  • जयशंकर प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने काव्य, नाटक के साथ-साथ उपन्यासों की रचना से भी ख्याति अर्जित की। उन्होंने कंकाल (1929 ई.) तथा तितली (1934 ई.) नामक दो उपन्यासों की रचना की है।
  • 'इरावती' नामक एक अधूरा उपन्यास भी उन्होंने लिखा है जिसे वे अपनी अकाल मृत्यु के कारण पूरा नहीं कर सके। 'कंकाल' आपकी सर्वश्रेष्ठ रचना है। प्रसाद के उपन्यासों में नाटकीयता अधिक है साथ ही भाषा का अलंकृत प्रयोग भी है। चरित्रांकन उतना सूक्ष्म नहीं है जितना प्रेमचंद के उपन्यासों में दिखाई देता है। 
  • विशम्भरनाथ कौशिक उपन्यास लेखन में प्रेमचन्द जी के अनुयायी थे। उनके वर्णन, कथोपकथन, पात्रों का चरित्र-चित्रण सभी कुछ प्रेमचन्द के समान थे। परन्तु मन को आन्दोलित करने की जितनी क्षमता कौशिक जी में है, उतनी प्रेमचन्द में नहीं। माँ और भिखारिणी इनके दो उपन्यास हैं। 
  • बेचन शर्मा उग्र, ऋषभचरण जैन तथा चतुरसेन शास्त्री आदि उपन्यासकार प्रेमचन्द युग के ऐसे उपन्यासकार हैं, जिन्होंने केवल यथार्थ के नग्न चित्रण पर ही अपनी दृष्टि डाली।
  • इनकी दृष्टि केवल वेश्यालय और मदिरालयों के चारों ओर चक्कर लगाकर ही लौट जाती है। 
  • वृन्दावन लाल वर्मा ने इस युग में हिन्दी उपन्यास के एक विशेष अभाव की पूर्ति की। प्रेमचन्द के पहले और बहुत से ऐतिहासिक उपन्यास लिखे गये थे, परन्तु उनमें न लेखकों का ऐतिहासिक ज्ञान प्रकट होता था और न तत्कालीन चित्रण।
  • ऐतिहासिक आवरण में केवल प्रेम कथाएं होती थीं। 
  • वृन्दावन लाल वर्मा ने ‘गढ़ कुण्डार’ और ‘विराट की पद्मनी’ उपन्यास लिखकर इस दिशा को एक नया मोड़ दिया। 
  • भगवती चरण वर्मा का 'चित्रलेखा' इस युग का महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। इसमें पाप क्या है? पुण्य क्या है? इसका व्यक्तिगत ढंग से बहुत सुन्दर विवेचन किया गया है।
  • प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने भी कुछ उपन्यास लिखे जिनमें से प्रमुख है अप्सरा (1931 ई.), अलका (1931 ई.), निरूपमा (1936 ई.), प्रभावती (1936 ई.) और कुल्ली भाट। निराला के उपन्यासों में भावुकता एवं काव्यात्मकता का समावेश हुआ है। इनमें नारी समस्याओं का निरूपण प्रमुख रूप से हुआ है तथा शिल्प की दृष्टि से कोई नवीनता नहीं है।

 

3. प्रेमचंदोत्तर हिंदी उपन्यास Premchandottar Hindi Upanyas  

  • सन् 1936 के उपरान्त प्रेमचन्द के उत्तर युग में उपन्यास क्षेत्र में व्यक्ति के मनोविश्लेषण की प्रवृत्ति बढ़ी। एक पात्र को विभिन्न परिस्थितियों में डालकर उसके हृदयगत भावों, प्रेरणाओं, रहस्यों का उद्घाटन और विश्लेषण करना ही उपन्यासकारों का उद्देश्य हो गया। 

इस काल के उपन्यासों को निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया जा सकता है-

मनोवैज्ञानिक उपन्यास Manovaighyanik upanyas 

  • इस नवीन धारा के प्रवर्तक श्री जैनेन्द्र जी ने परख, तपोभूमि, सुनीता, कल्याणी, त्याग-पत्र आदि उपन्यास लिखे हैं। इलाचन्द्र जोशी ने कथा-क्षेत्र में फ्रॅायड और एडलर के मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया है। प्रमुख उपन्यास हैं संन्यासी, पर्दे की रानी, प्रेत और छाया, निर्वासित, जिप्सी और जहाज का पंछी। इन उपन्यासों में जोशी जी ने मानव मन की कुंठाओं एवं ग्रंथियों का सुंदर विश्लेषण किया है। अज्ञेय जी के प्रमुख उपन्यासों में ‘शेखर’ एक जीवनी’, नदी के द्वीप है। 
  • 'शेखर एक जीवनी' अज्ञेय जी का उपन्यास के क्षेत्र में एक नवीन प्रयोग है। कथावस्तु की दृष्टि से न उसमें कोई कथा है और न घटनाओं का तारतम्य। इसलिये इसमें कोई मनोरंजन की सामग्री भी नहीं है, केवल व्यक्ति विशेष द्वारा अतीत की घटनाओं का विश्लेषण मात्र है।

सामाजिक उपन्यास Samajik upanyas

  • प्रेमचंदोत्तर युग में सामाजिक उपन्यासों की परंपरा और सुदृढ़ हुई। इस युग के सामाजिक उपन्यासकार थे - भगवती चरण वर्मा, अमृतलाल नागर, यशपाल, मोहन राकेश, राजेंद्र यादव,
  • कमलेश्वर, भीष्म साहनी, मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती आदि। 
  • 'टेढ़े-मेढ़े रास्ते' व 'भूले बिसरे चित्र' भगवतीचरण वर्मा के प्रसिद्ध उपन्यास हैं। 'अमृत और विष' व 'नाच्यो बहुत गोपाल' अमृतलाल नागर के उपन्यास हैं। 
  • 'अंधेरे बंद कमरे' व 'अंतराल' मोहन राकेश के उपन्यास है। 'सारा आकाश' उपन्यास की रचना राजेंद्र यादव ने की।
  • कमलेश्वर का प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यास 'काली आंधी' है। मन्नू भंडारी ने 'महाभोज', 'आपका बंटी' आदि उपन्यासों की रचना की। 
  • कृष्णा सोबती का प्रमुख उपन्यास 'जिंदगीनामा' है।

आंचलिक उपन्यास Aanchalik upanyas

  • आंचलिक उपन्यास में किसी क्षेत्र विशेष की संस्कृति का चित्रण किया जाता है।
  • आंचलिक उपन्यासों के लेखन की परंपरा में फणीश्वरनाथ रेणु, शैलेष मटियानी और देवेंद्र सत्यार्थी का नाम प्रमुख रूप से आता है। 
  • फणीश्वरनाथ रेणु का उपन्यास 'मैला आंचल' विशेष उल्लेखनीय है। मैला आंचल को
  • हिंदी-उपन्यास साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास कहा जा सकता है। 
  • शिवपूजन सहाय का 'देहाती दुनिया' भी प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है। 'बाबा बटेसरनाथ' नागार्जुन का प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है। 
  • डॉ. रांगेय राघव का 'कब तक पुकारूं', शैलेश मटियानी का 'होल्दार' तथा राही मासूम रजा का 'आधा गांव' रामदरश मिश्र का 'पानी के प्राचीर' भी आंचलिक उपन्यास हैं।

साम्यवादी उपन्यास 

  • यशपाल ने पार्टी कामरेड, दादा कामरेड, देशद्रोही, मनुष्य के रूप, अमिता और
  • झूठा-सच आदि उपन्यासों में अपने मार्क्सवादी विचारों को अभिव्यक्ति दी है। झूठा-सच देश विभाजन की त्रासदी पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का सफलतापूर्वक चित्रण हुआ है। इनके अतिरिक्त भैरव प्रसाद गुप्त ने मशाल, सती मैया का चौरा आदि उपन्यासों में मार्क्सवादी चेतना का निरूपण किया है। 
  • रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' ने 'चढ़ती धूप', ‘उल्का’, 'नई इमारत' और 'मरु प्रदीप' उपन्यास लिखे हैं।
  • सामाजिक जीवन में परिवर्तन और क्रान्ति के लिए उनके उपन्यासों में विशेष प्रेरणा है।

ऐतिहासिक उपन्यास Etihasik upanyas

  • प्रेमचंदोत्तर युग में ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखे गए लेकिन इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है। 
  • ऐतिहासिक उपन्यासकारों में वृंदावनलाल वर्मा, निराला व हजारी प्रसाद द्विवेदी का नाम उल्लेखनीय है। 
  • वृन्दावन लाल वर्मा ने तो इस युग में ऐतिहासिक उपन्यासों की झड़ी-सी लगा दी। वृंदावन लाल वर्मा के प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यास हैं -गढ़कुंडार, विराटा की पद्मिनी व रानी लक्ष्मीबाई। 
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी का उपन्यास 'बाणभट्ट की आत्मकथा' भी प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास है। 
  • श्री राहुल सांकृत्यायन ने ‘जय-यौधेय’ और ‘सिंह सेनापति’ उपन्यासों में भारत के बहुत पुराने गणतन्त्रों की पृष्ठभूमि बनाकर कल्पित पात्रों का आश्रय लेकर ऐतिहासिक उपन्यासधारा को एक विशेष दृष्टिकोण से देखने का प्रयत्न किया है।
  • यशपाल का 'दिव्या' भी ऐतिहासिक उपन्यास है। ऐतिहासिक वातावरण की दृष्टि में लेखक पर्याप्त सफल हुआ है। 
  • चतुरसेन शास्त्री की ‘वैशाली की नगर वधू’ सर्वोत्तम ऐतिहासिक कृति है। 
  • गोविन्दबल्लभ पन्त के ‘अमिताभ’ नामक उपन्यास में गौतम बुद्ध की जीवन गाथा वर्णित है। यह उपन्यास और जीवन-चरित्र के बीच की रचना है।

यह भी पढ़ें:

Sanghya kise kahate hai?

आदिकाल

प्रयोगशील उपन्यास

  • उपन्यास के क्षेत्र में कुछ अनूठे प्रयोग भी किए गए हैं। जैसे धर्मवीर भारती ने अपने उपन्यास 'सूरज का सातवां घोड़ा' में अलग-अलग व्यक्तियों की अलग-अलग कहानियों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया है। 
  • गिरधर गोपाल ने 'चांदनी के खंडहर' में केवल चौबीस घंटों की कथा को अपने उपन्यास का विषय बनाया है। 'ग्यारह सपनों का देश' एक ऐसा उपन्यास है जो अनेक लेखकों द्वारा लिखा
  • गया। ठीक ऐसे ही 'एक इंच मुस्कान' उपन्यास राजेंद्र यादव व मन्नू भंडारी के द्वारा मिलकर लिखा गया। 
  • सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के उपन्यास 'सोया हुआ जल' में एक सराय में ठहरे हुए यात्रियों की एक रात की जिंदगी का वर्णन है।

आधुनिक युग बोध के उपन्यास

  • आज का उपन्यास आधुनिक युग बोध का उपन्यास है। यह उपन्यास औद्योगीकरण, शहरीकरण, आधुनिकता, बौद्धिकता व पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित है। 
  • मोहन राकेश, राजेंद्र यादव, कमलेश्वर, मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती, नरेश मेहता, भीष्म साहनी आदि उपन्यासकारों के उपन्यास में यह युगबोध सरलता से देखा जा सकता है। 
  • उदाहरण के लिए राजकमल चौधरी का उपन्यास 'मरी हुई मछली' समलैंगिक यौन सुख में लिप्त महिलाओं की कहानी है। 
  • श्रीलाल शुक्ल का 'राग दरबारी' उपन्यास आधुनिक जीवन पर सुंदर व्यंग्य है।
  • इस प्रकार हिंदी उपन्यासों के प्रौढ़ युग में उपन्यासों के विषय का विस्तार होता है और आज हिंदी उपन्यास लेखन के क्षेत्र में महिलाएं, युवा, वैज्ञानिक, पत्रकार और समाज के अन्य क्षेत्रों से आए हुए लेखक-लेखिकाएं सक्रिय हैं। इस कारण हिंदी उपन्यास विधा का साहित्य में विशेष स्थान है।
  • निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि अल्पकाल में ही हिंदी-उपन्यास विधा ने पर्याप्त उन्नति की है। वर्तमान समय में हिंदी उपन्यास के कथ्य व शिल्प में अत्यधिक परिवर्तन हुआ है जो समय की मांग के अनुरूप उचित भी है।

Tags: Hindi Hindi Sahitya
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form