आरएएस/आरटीएस मुख्य परीक्षा सामान्य हिन्दी 1996

 
मुख्य परीक्षा सामान्य हिन्दी 1996



राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आरएएस/आरटीएस मुख्य परीक्षा 

सामान्य हिन्दी 1996, समय- 3 घण्टे

भाग - 'अ' 


प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का संधि/संधि-विच्छेद कीजिए:-

(i) सत् + शास्त्र = सद्शास्त्र (व्यंजन संधि) 

(ii) अभि + सेक = अभिषेक (व्यंजन संधि) 

(iii) न्यून = नि + ऊन  (यण संधि)     

(iv) नीरोग = नि: + रोग (विसर्ग संधि) 


प्रश्न 2. निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कीजिए:

(i) प्राप्तोदक - उदक को प्राप्त हुआ।

(ii) कविपुंगव - कवियों में है जो पुंगव (श्रेष्ठ)।

(iii) आमरण – मरण तक।

(iv) अष्टाध्यायी-जिसके आठ अध्याय है (पाणिनी रचित संस्कृत व्याकरण)  


प्रश्न 3. (क) निम्नलिखित शब्दों में विद्यमान उपसर्गों को पृथक कीजिए:

(i) अत्याचार - अति + आचार।

(ii) अभ्यागत - अभि + आगत (आ + गत)। 


(ख) निम्नलिखित उपसर्गों से दो-दो शब्दों की रचना कीजिए:

(i) प्र - प्रभार, प्रगति, प्रबल, प्राचार्य, प्रेषक

(ii) सम् - संतोष, संगीत, संचार 


प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रत्येक प्रत्यय से दो-दो शब्दों की रचना कीजिए:-

(i) का - बड़का, छुटका।  

(ii) - शीतल, पीतल। 

(iii) ता – सुंदरता, शालीनता, मित्रता, मानवता, मधुरता, लघुता।

(iv) ओला - खटोला, फफोला।


प्रश्न 5. 

(क) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

(i) लहर - ऊर्मि, तंरग, वीचि।

(ii) बहुत - प्रचुर, अति, पर्याप्त।

(iii) झण्डा - पताका, ध्वज, निशान, वैजयंती।


(ख) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

(i) कृश - स्थूल।

(ii) उन्मूलन – स्थापन/रोपण।

(iii) विनीत - दुर्विनीत/उदंड। 


प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्द युग्मों में अर्थ-भेद कीजिए:

(i) सम्प्रति - अब;              संप्राप्ति - प्राप्त होना।

(ii) अभिज्ञ - जानकार;     अविज्ञ – मूर्ख।

(iii) गण - समूह;              गण्य - गणना करने योग्य।

(iv) अग - सूर्य/पहाड़/;     अगम्य : अघ - पाप।


प्रश्न 7. निम्नलिखित अनेक शब्दों के समूह के लिए एक शब्द लिखिए:-

(i) पर्वत के पास की नीची भूमि - उपत्यका

(ii) बहुत ही कठोर और बड़ा आघात - वज्राघात।

(iii) जो अपने स्थान या स्थिति से अलग न किया जा सके या न हटने वाला - अच्युत। 

(iv) कठिनाई से समझने योग्य - दुर्ज्ञेय।


प्रश्न 8. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए:

(i) संशकित - सशंक/शंकित। 

(ii) दिवारात्रि - दिवारात्र।

(iii) भुजंगनी - भुजंगिनी।

(iv) कृत्यकृत्य - कृतकृत्य।


प्रश्न 9. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध में लिखिए:

(i) उसकी आवाज कान में सुनाई पड़ी।

शुद्ध: उसकी आवाज सुनाई पड़ी।

(ii) अधिकांश लोगों का यही विचार है।

शुद्ध: अधिकतर लोगों का यही विचार है।

(iii) मेरे मित्र ने यह पुस्तक आपको समर्पण की है। 

शुद्ध: मेरे मित्र ने यह पुस्तक आपको समर्पित की है।

(iv) तुम्हारे भाई ने कल घर जो किया था, वही तुम कर रहे हो। 

शुद्ध: जो कल घर पर तुम्हारे भाई ने किया था वही तुम कर रहे हो। 


10. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में सार्थक प्रयोग कीजिए :

(i) कच्चा चिट्ठा सुनाना - (किसी की कमजोरियाँ बताना): कोमल ने अपने सहकर्मी कुमार का कच्चा चिट्ठा अपने अफसर को सुनाया।

(ii) आँखें खोलना - (सजग होना): दुकानदार हमेशा ही सामान कम तोलता रहा, मेरी आँखें तो तब खुली जब मैंने एक दिन घर आकर सामान तोला।

(iii) मुहर्रमी सूरत - (दुःखी चेहरा): जब मैं अपने दोस्त के साथ घटी दुर्घटना की खबर पाकर अस्पताल पहुँचा तो वहाँ सभी मुहर्रमी सूरत के साथ नजर आएँ।

(iv) घास काटना - (लापरवाही के साथ काम करना): निरीक्षक महोदय की उपस्थिति में सभी अध्यापक पूरी निष्ठा व लगन के साथ पढ़ा रहे थे लेकिन उनके जाते ही सभी घास काटने लगे और जैसे-तैसे अपने-अपने काम को पूरा किया।


प्रश्न 11. निम्नलिखित लोकोक्तियों का आशय वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए। 

(1) चोरन कुतिया मिल गई पहरा किसका देय।

वाक्य-प्रयोग : 

महेशनगर में बढ़ती चोरी की वारदातों की शिकायत थाने में करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, अब तो लोगों को खुद है सावधान व सजग होना पड़ेगा। क्योंकि चोरन कुतिया मिल गई पहर किसका देय।


(ii) आग लगति झोंपड़ा जो निकले सो लाभ।

वाक्य-प्रयोग: 

गांव में अचानक आयी बाढ़ के समय लोग जो कुछ हाथ लगा लेकर सुरक्षित स्थान की तरफ भागे। सच ही तो है आग लगति झोंपड़ा ज निकले सो लाभ।


(ii) दाख पके तब काग के होय कंठ में रोग। 

वाक्य प्रयोग:

सौरव तीन वर्ष से फुटबाल मैदान और फुटबाल अकादमी क स्थापना के लिए प्रयास कर रहा था और अब जब मैदान बनकर तैयार हुआ, खुद दुर्घटना में घायल होकर खेल की क्षमता ही खो बैठा। बेचारे के साथ दाख पके तब काग के होय कंठ में रोग वाली बात हो गई। 


(iv) नक्कार खाने में तूती की आवाज।

वाक्य-प्रयोग: 

पुलिस सुरक्षा में कैदी की मौत से मचे बवाल के परिणामस्वरूप सम्पूर्ण थाना-स्टॉफ को निलम्बित होना पड़ा यद्यपि सिपाही मोहन ने तो पहले ही कैदी की नाजुक हालत की तरफ संकेत कर दिया था लेकिन नक्कार खाने में तूती की आवाज कौन सुने। 


प्रश्न 12. निम्नलिखित प्रशासनिक शब्दावली के समानार्थक हिन्दी शब्द लिखिए:

(i) Exonerate - दोष मुक्त करना। 

(ii) Consolidated Fund - संचित निधि/स्वीकृत निधि। 

(iii) Agrarain - शैक्षिक योग्यता।

(iv) Educational Qualification - कृषि भूमि सम्बन्धी।

(v) Insinuation - वक्रोक्ति/परोक्ष संकेत। 

(vi) Delimitation - परिसीमन।

(vii) Covering Letter - आवरण-पत्र।

(viii) Authorise - प्राधिकार देना।


भाग 'ब'

नोट: समस्त प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 


प्रश्न 13. कभी-कभी लोग अपने कुटुम्बियों या स्नेहियों से झगड़कर क्रोध में अपना ही सिर पटक देते हैं। यह सिर पटकना अपने को दुःखी पहुंचाने के अभिप्राय से नहीं होता, क्योंकि बिल्कुल बेगानों के साथ कोई ऐसा नहीं करता। जब किसी को क्रोध में अपना ही सिर पटकते या अंग-भंग करता देखे तब समझ लेना चाहिए कि उसका क्रोध ऐसे व्यक्ति के ऊपर है जिसे उसके सिर पटकने की परवा है अर्थात् जिसे उसका सिर फूटने से उस समय नहीं तो आगे चलकर दुःख पहुंचेगा। क्रोध का वेग इतना प्रबल होता है कि कभी-कभी मनुष्य यह भी विचार नहीं करता कि जिसने दुःख पहुंचाया है, उसमें दुःख पहुंचाने की इच्छा थी या नहीं। इसी से कभी तो अचानक पैर कुचल जाने पर किसी को मार बैठता है और कभी ठोकर खाकर कंकड़-पत्थर तोड़ने लगता है।


क. प्रस्तुत गद्यांश का सारांश इसके एक-तिहाई शब्दों में लिखिए तथा उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 

उत्तर

शीर्षक: क्रोध और उसका प्रभाव

सारांश: कुछ लोग अपनों के प्रति क्रोध का इजहार अपने अंग-भंग के माध्यम से करते हैं जिसके पीछे प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से अपनों को दुःख पहुंचाने की भावना होती है। क्रोध का वेग अति प्रबल होता है। इस दौरान व्यक्ति विवेक शून्य हो जाता है।


ख. प्रस्तुत गद्यांश के रेखांकित अंश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए:- 

जब कोई व्यक्ति अपना सिर पटक कर या अंग-भंग के द्वारा अपने क्रोध को प्रस्तुत करता है तो इसका मतलब उसका क्रोध अपनों के ही प्रति होता है। अर्थात् कुछ लोग अपनों के प्रति क्रोध का इजहार अपने आपको पीड़ा पहुंचाकर करते हैं।

 

ग. अचानक पैर कुचल जाने पर मनुष्य किसी को क्यों मार बैठता है? 

उत्तर: क्योंकि क्रोध का वेग इतना प्रबल होता है कि कभी-कभी मनुष्य यह भी विचार नहीं करता कि जिसने दुःख पहुंचाया है, उसमें दुःख पहुंचाने की भावना थी या नहीं।


घ. यह सिर पटकना अपने को दुःख पहुँचाने के अभिप्राय से क्यों नहीं होता? 

उत्तर: क्योंकि बिल्कुल बेगानों के साथ ऐसा कोई नहीं करता। 


प्रश्न 14. निम्नलिखित उक्ति का भाव-विस्तार कीजिए:

'पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।' 

उत्तर: 

व्यक्ति को कोई भी कार्य शुरू करने से पूर्व उसके कर्म में आने वाली बाधाओं, समस्याओं तथा उसके परिणामों को भली-भाँति जान पहचान लेना चाहिए अर्थात् एक बटोही को यात्रा शुरू करने से पूर्व अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं व रूकावटों, नदी-नालों, पर्वत-पहाड़ों, फूल-कांटों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

हरिवंशराय बच्चन ने भी अपनी एक कविता के मुखड़े में ऐसा ही विचार व्यक्त किया है कि एक व्यक्ति को लाभ प्राप्ति हेतु प्रयत्न व कर्म शुरू करने से पूर्व उसके मार्ग में आने वाली मुश्किलों व संकटों की भली-भाँति जानकारी ले लेनी चाहिए ताकि वह अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सके अर्थात् कार्य प्रारम्भ करने से पहले का पूर्व-नियोजन बाधाओं के आने पर उसे विचलित और असफल नहीं करेगा और निश्चय ही वह अपने गंतव्य तक पहुँच सकेगा।

अधिकतर लोगों की असफलता का कारण लक्ष्य की दुरूहता था उसका अप्राप्य होना नहीं है बल्कि दुर्गम मार्ग को सुगम बनाने की पूर्व रणनीति का अभाव होता है। जिन लोगों का ध्यान लक्ष्य प्राप्ति की ओर तो है किन्तु लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करने के प्रति नहीं है वे मार्ग में ही भटक जाते हैं।

अतः व्यक्ति को अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु पूर्व-नियोजन करके साधनों व सुविधाओ का आंकलन करते हुए राह पे आने वाली बाधाओं के प्रति पूर्णतः सजग व विज्ञ रहन चाहिए।


प्रश्न 15. गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से एक कार्यालय आदेश प्रस्तुत करें जिसमें मंत्रालय के सभी अधिकारियों को इस निश्चय की सूचना दें कि किसी भी सहायक लिपिक को कार्यालय की पत्रावली घर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

उत्तर 


                                        क्रम संख्या - 31/08/2021 स्थापना

                                                       भारत सरकार

                                                    गृह मंत्रालय

                                                                            नई दिल्ली, 10 अगस्त, 2021


                                                           कार्यालय-आदेश

ध्यातव्य है कि 5 अगस्त को हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी सहायक लिपिक कार्यालय-पत्रावली घर पर न ले जावें। अतः मंत्रालय अधीन सभी अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने अधीन किसी भी कार्यालय सहायक लिपिक को कार्यालय की पत्रावली घर ले जाने की अनुमति प्रदान न करें।

अतः आदेश की अनुपालना सख्ती के साथ की जाएं।


हस्ताक्षर 

XYZ

शासन सचिव

भारत सरकार


प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु -

(i) सभी विभागाध्यक्ष गृह मंत्रालय, भारत सरकार। 

(ii) मंत्रालय के सभी अनुभाग अधिकारी।

(iii) रक्षित पत्रावली।


हस्ताक्षर 

XYZ

शासन सचिव 

भारत सरकार

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