रोमन साम्राज्य

  

  • रोम ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।
  • इसके अंतर्गत यूरोप के अतिरिक्त पश्चिम एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका का एक बड़ा भूभाग शामिल था।
  • रोम के साम्राज्य को ‘तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य‘ कहा जाता है।
तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य कौनसा था?
1. रोम साम्राज्य
2. ब्रिटिश साम्राज्य
3. भारतीय साम्राज्य
4. रूसी साम्राज्य
उत्तर- 1
  • रोम का इतिहास, यूनान के इतिहास से भिन्न है। यूनान में सभ्यता के अनेक केन्द्र थे, जैसे- स्पार्टा, एथेंस, मैसीडोनिया इत्यादि परंतु इटली में रोम जैसा दूसरा नगर नहीं था।
  • रोम के इतिहास की सबसे बडी विशेषता यह थी कि यह किसी एक देश या राज्य का इतिहास न होकर एक नगर राज्य का इतिहास है।
  • टाइबर नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित रोम आरंभ में एक छोटा-सा गांव था, बाद में वह नगर, फिर राज्य, देश और अंततः साम्राज्य में परिणत हो गया।
  • इटली यूरोप के दक्षिणी भाग में भूमध्यसागर से सटा हुआ एक लंबा प्रायद्वीप है।
  • इसके उत्तर में आल्प्स पर्वत तथा दक्षिण में सिसली का द्वीप है।
  • आल्प्स इटली को यूरोप के अन्य देशों से अलग करता है। उत्तर में साम्राज्य की सीमा का निर्धारण राइन और डैन्यूब नदियों से तथा दक्षिण में सहारा भूमि से होता था।

रोम के इतिहास के अध्ययन के स्रोत

दो भागों में विभक्त -
1.    साहित्यिक स्रोत
2.    पुरातात्विक स्रोत
साहित्यिक स्रोतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है समकालीन इतिहास जिसे वर्ष-वृतांत कहा जाता है, जो प्रतिवर्ष लिखे जाते थे।
- समकालीन इतिहासकारों - लिवि और टैसियस के ग्रंथ अत्यंत उपयोगी है।
लिवि ने 'रोमन जनतंत्र का इतिहास' लिखा तथा टैसियस ने 'एनल्स और हिस्ट्रीज'
- टैसियस की विख्यातकृति जर्मेनिया है। प्लूटार्क ने रोम के छियालीस विख्यात नायकों का जीवन-वृतांत लिखा।

राजतंत्र से जनतंत्र 'गणतंत्र'

  • एट्रूस्कन किंवदंती के अनुसार, रोम की स्थापना दो भाइयों रोमुलस और रेमस ने 753 ईसा पूर्व में की गई थी। रोमुलस उन सात शासकों में से पहला शासक था जिन्होंने रोम पर 753 ई.पू. से 509 ई.पू. तक शासन किया। रोम को टाइबर नदी के किनारे बसाया गया था।  
  • रोम दो संस्कृतियों के मध्य स्थित था, जिसके एक ओर दक्षिण में यूनानी सभ्यता थीं और दूसरी ओर उत्तर में स्थित एट्रूस्कन सभ्यता थी। 
  • रोम, यूनानी और एट्रूस्कन संस्कृतियों के संगम का संधि स्थल था। 
  • एट्रूस्कन लोग शक्तिशाली थे। उन्होंने रोम पर करीब 100 साल से अधिक 616 से 510 ई.पू. शासन किया। 
  • एट्रूस्कन ने रोम के आरंभिक घटनाक्रम पर गहरा प्रभाव डाला।
  • एट्रूस्कन शासन ने शहरीकरण का शुभारंभ किया और रोम पहली बार व्यापार का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बना। रोमन एट्रूस्कन धार्मिक प्रथाओं से भी प्रभावित थे। उन्होंने मंदिरों और उपासना के लिए मूर्तियों का निर्माण भी करवाया। 
  • अनेक राजनैतिक और सैनिक सुधार किए गए जिनमें जनगणना (भू—सम्पत्ति पर आधारित सैन्य सेवा का दायित्व) और एक नयी राजनीतिक सभा कॉमिटा सेंचुरिआटा की स्थापना की। 
  • रोम के लोगों के ​अभियांत्रिकीय कौशल ने उनहें केपिटोलाइन और पेलेटाइन पहाड़ों के मध्य स्थित दलदली भूमि को शुष्क कर खेती योग्य बनाने में सफलता प्रदान की और उन्होंने गहन खेती का भी विस्तार किया।
  • पुरातात्विक साक्ष्य इटली में एट्रूस्कन सत्ता के छठी शताब्दी में पतन होने के ओर संकेत करते हैं। 
  • रोम में आखिरी एट्रूस्कन शासक को निर्वासित कर 509 ईसा पूर्व में गणतंत्र की स्थापना की गई थी। 
- राजतंत्र व्यवस्था आठवीं-छठी शताब्दी ई.पू. के बीच।

- समाज के दो प्रमुख वर्ग पेट्रिशियन और प्लेबियन थे।
- पेट्रिशियन धनी, शक्ति और राजनीतिक अधिकार प्राप्त वर्ग था।
- प्लेबियन निर्धन और राजनीतिक अधिकारों से वंचित वर्ग था। इन पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते थे। अतः वे राजतंत्र विरोधी बन गए।
- पेट्रिशियन भी राजा की निरंकुशता से क्षुब्ध थे। अतः दोनों वर्गों ने 509 ई. पू. में राजसत्ता का अंत कर दिया। अब राजतंत्र के स्थान पर जनतंत्र की स्थापना रोम में की गई।

रोम में प्रजातंत्र की स्थापना हुई?
1. 509 ईसा पूर्व में
2. 753 ईसा पूर्व में
3. 44 ई. पू. में 
4. 1 ईसा पूर्व में
उत्तर- 1 

रोम साम्राज्य की प्रमुख भाषा थी?
1. स्पेनिश
2. अंग्रेजी
3. लैटिन
4. रूसी
उत्तर- 3

- अपने अधिकारों की रक्षा के लिए रोम के नागरिकों ने दो सेंसर ‘मजिस्ट्रेट‘ की नियुक्ति की। इन्हें पहले प्रेटर और बाद में कॉन्सल कहा गया।
- दोनों को एक समान अधिकार प्राप्त थे। इन्हें एक वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता था।
- वे अपने हाथ में एक विचित्र प्रकार का डंडा लिए चलते थे, जो इनकी शक्ति और अधिकार का प्रतीक था। इस डंडे को फैसेज कहा जाता था। जिससे फासिस्ट शब्द की उत्पत्ति हुई।
- राष्ट्रीय विपत्ति के समय 6 महीनों के लिए डिक्टेटर बहाल किया जाता था। वह सर्वशक्ति संपन्न होता था।
- कॉन्सल के दुर्व्यवहारों से नागरिकों को बचाने तथा शासन की देखभाल के लिए दो विशेष अधिकारियों को नियुक्त किया गया जो ट्रिब्यून कहलाते थे। प्रतिवर्ष इनका निर्वाचन होता था।
- रोमन जनतंत्र की एक महत्वपूर्ण संस्था सीनेट थी। यह कुलीन बुजुर्ग पुरूषों की संस्था थी। इसके सदस्य सिनेटर कहलाते थे और आजीवन अपने पद पर बने रहते थे।
- पूरे रोमन साम्राज्य के शासनकाल में सीनेट का प्रभाव बना रहा। इसकी तुलना में असेंबली या आमसभा कम प्रभावशाली थी। सीनेट में 
पेट्रिशियनों का प्रभाव था।
- रोम में जिस प्रकार की जनतांत्रिक व्यवस्था स्थापित की गई वह सही अर्थो में जनतांत्रिक न होकर कुलीनतंत्री थी।
- सारे राजनीतिक अधिकार 
पेट्रिशियनों को ही प्राप्त थे, प्लेबियनों को इनसे वंचित रखा गया था।
पेट्रिशियन प्लेबियनों को सताते भी थे।

- प्लेबियनों ने संगठित होकर राजनीतिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए पेट्रिशियनों से संघर्ष आरंभ कर दिया। यूनानी कानूनों का अध्ययन कर 449 ई.पू. (पांचवी शताब्दी ई.पू.) में कानून की बारह तख्तियां "Twelve Tablets of Law" प्रकाशित कर सभी नागरिकों को कानून की दृष्टि में समान दर्जा दिया गया।

प्लेबियन्स एवं पेट्रीशियन्स में समानता स्थापित करने वाला अधिनियम कब बनाया गया?
1. 509 ई. पू. में
2. 450 ई. पू. में 
3. 31 ई. पू. में
4. 367 ई. पू. में
उत्तर- 2

- प्लेबियनों पर से राजनीतिक और सामाजिक प्रतिबंध हटा दिये गये।
- चौथी शताब्दी ईसा 
पूर्व लिसिनियन विधान द्वारा प्लेबियनों के लड़कों के लिए भी प्रशासन के उच्च पदों के द्वार खोल दिऐ गए।
- रोम के गणराज्य की स्थापना से लेकर कार्थेज के साथ युद्ध आरंभ होने तक रोमन राज्य के विकास में तीन चरण दृष्टिगोचर होते है।
1. पहले चरण 509- 334 ई. पू. में अपना प्रभाव बनाने के लिए रोम ने अपने निकटवर्ती राज्यों से संघर्ष कर पश्चिमी और मध्य इटाली में अपना प्रभाव स्थापित किया।
2. द्वितीय 334-290 ई.पू. में रोम ने इटली में अपना आधिपत्य स्थापित किया तथापि दक्षिणी प्रांतों पर पूरा अधिकार नहीं हो सका।
3. 290-265 ई.पू. में रोम का प्रभाव संपूर्ण इटली पर स्थापित हो गया।

रोम और कार्थेज युद्ध

- अफ्रीका के उत्तरी तट पर स्थित कार्थेज फिनशिया का एक उपनिवेश था।
- कार्थेजवासी व्यापारी थे, वे भूमध्यसागर पर रोम का अधिकार होने देना नही चाहते थे, क्योंकि इससे उनकी व्यापारिक गतिविधियों को क्षति पहुंचती।
- दूसरी ओर व्यापारिक और सामरिक दृष्टिकोण से रोम भी कार्थेज पर अधिकार करना चाहता था, अतः आपसी स्वार्थों की टकराहट ने रोम और कार्थेज में संघर्ष अनिवार्य कर दिया।
- दोनों शक्तियों में 264 से 146 ई.पू. के मध्य लंबा संघर्ष चला जिसे प्यूनिक युद्ध कहा जाता है।
तीन प्यूनिक युद्ध हुए
- पहला युद्ध 264-241 ई.पू.
- दूसरा युद्ध 218-201 ई.पू.
- तीसरा युद्ध 149-146 ई.पू. के मध्य हुआ तीनों युद्धों में रोम विजयी हुआ।
- तृतीय युद्ध के बाद रोम ने कार्थेज नगर को पूरी तरह नष्ट कर दिया और वहां के निवासियों को गुलाम बना लिया। आंतरिक रूप से रोम में सैन्य प्रवृत्ति का विकास हुआ।

'प्यूनिक युद्ध' किन के मध्य लड़े गए-
1. रोम व फारस के मध्य
2. एथेन्स व स्पार्टा के मध्य
3. रोम व कार्थेज के मध्य
4. रोम व ट्राय के मध्य
उत्तर- 3

निम्नलिखित प्यूनिक युद्धों में से सही सुमेलित नहीं है-
1. पहला युद्ध - 264-241 ई.पू.
2. दूसरा युद्ध - 218-201 ई.पू.
3. तीसरा युद्ध - 149-146 ई.पू.
4. तीसरा युद्ध - 100-86 ई.पू.
उत्तर- 4

प्यूनिक युद्धों में वीरता दिखाने वाला हैनीबाल सेनापति था?
1. रोम का 
2. फारस का
3. कार्थेज का
4. क्रीट का
उत्तर- 3

जनतंत्र से सैनिक शासन

- रोमन सेना अजेय बन गई।
- मैसोडोनिया, कोरिंथ रोमन साम्राज्य में मिला लिए गए।
- सेना ने क्रीट, साइलेसिया, सीरिया, साइप्रस, मिस्र और स्पेन पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
- प्रथम शताब्दी के आरंभ तक रोम एक विशाल साम्राज्य में परिणत हो गया।
- उसका स्तिार पश्चिम में स्पेन से पूर्व में फुरात नदी तक और दक्षिण में सहारा रेगिस्तान से उत्तर- पश्चिम में ब्रिटेन तक हो गया।
- आर्थिक और सामाजिक विषमता बढ़ गई। इसे दूर करने का प्रयास ग्रेकाई बंधुओं - ‘टाइबेरियस और कायस ग्राकस‘ ने किया।
- सेनापति मेरियस और सुल्ला।
- मेरियस सारी सत्ता अपने हाथों में केंद्रित कर सैनिक तानाशाह बन गया।
- पुनः गृहयुद्ध 87-79 ई.पू.
- 79 ई.पू. में पांपे के हाथों में सत्ता आई, उसने सीनेट की शक्ति को कम कर असेंबली ‘आमसभा‘ के अधिकारों को बढाने का प्रयास किया।
- उसका सत्ता संघर्ष जुलियस सीजर से हुआ, जिसमें सीजर विजयी हुआ। सीजर ने सैनिक शासन की स्थापना की।

रोमन साम्राज्य का दूसरा भाग पढ़े- 

रोमन साम्राज्य - जुलियस सीजर व रोमन साम्राज्य का पतन

रोमन साम्राज्य की राजनैतिक शासन व्यवस्था

Post a Comment

0 Comments