DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeHistory

रोमन साम्राज्य की राजनीतिक संरचना

byDivanshuGS -September 30, 2017
1

राजनीतिक संरचना



  • रोमन साम्राज्य की राजनीतिक संरचना में सम्राट, सीनेट 'जिसमें अभिजात्य वर्ग का प्रभाव रहता था' तथा सेना प्रमुख तत्व थे। ये "साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास में तीन मुख्य खिलाडी" थे।

सम्राट

  • राजतंत्रात्मक व्यवस्था
  • 6ठी शताब्दी ई.पू. गणतंत्र की स्थापना, पुनः ई.पू. प्रथम शताब्दी के अंतिम चरण तथा ई. की
  • ऑक्टेवियस ऑगस्टस ने जिस राज्य की स्थापना की उसे प्रिंसिपेट कहा जाता है। प्राचीन परम्परा को बनाए रखते हुए उसने अपने आपको प्रिंसेप्स अथवा 'प्रमुख नागरिक' कहलाना पसंद किया।
  • सम्राट का पद सामान्यतः पारिवारिक वंशक्रम पर आधृत था। उत्तराधिकारी को सीनेट और सेना भी मान्यता प्रदान करती थी।
  • प्रजा का सम्राट, सिक्कों पर चित्र-पूजा देवता समान मूर्तियां बनाई जाती थी।
  • रोमन कानूनों का विकास होने पर सम्राटों की तानाशाही पर अंकुश लग गया। नागरिकों अधिकारों की अवहेलना नही की जा सकती थी।
  • चौथी शताब्दी के अंतिम दशक में एम्ब्रोस जैसे शक्तिशाली बिशपों के लिए यह संभव हो पाया कि यदि सम्राट आम जनता के प्रति अत्यधिक कठोर या दमनकारी हो जाए, तो ये बिशप भी उतनी ही अधिक शक्ति से उनका मुकाबला करें
  • सम्राट की निरंकुशता और शक्ति को सीनेट, अभिजात्य वर्ग और सेना भी नियंत्रित करती थी।

सीनेट

  • सम्राट के बाद सबसे अधिक शक्तिशाली
  • सीनेट का जन्म जनतांत्रिक काल में हुआ।
  • प्रारंभ में पैट्रिसियनों का प्रभाव
  • सदस्य आजीवन सदस्य थे ‘प्रशासनिक कार्यों की देखभाल‘, बाद में विदेशियों को भी सदस्यता
  • तीसरी शताब्दी ई. तक इतावली मूल का प्रभाव
  • जूलियस सीजर ने सीनेट के सदस्यों की संख्या में वृद्धि की तथा विदेशियों को भी इसमें प्रतिनिधित्व दिया। जनसाधारण की संस्था बनी
  • ऑक्टेवियस ऑगस्टस के समय पुनः सीनेट परिवर्तन- विदेशियों और अयोग्य व्यक्तियों को सीनेट की सदस्यता से वंचित कर दिया।
  • संख्या घट गई।
  • लोकसभा ‘कामिसिया सेंचुरियाटा‘ के सभी प्रकार के निर्णयों को सीनेट की स्वीकृति मिलनी आवश्यक थी।
  • सीनेट लोकसभा द्वारा लिए गए निर्णयों का बदल भी सकती थी। अपील नहीं की जा सकती।
  • साम्राज्य की विदेश नीति, युद्ध और शांति के निर्णय पर सीनेट का यथेष्ट प्रभाव रहता था। सार्वजनिक कोष का नियंत्रण इसके हाथ में था।
  • यूनानी तथा लातीनी भाषा में लिखित इतिहास की पुस्तकें सम्पन्न सीनेटरों द्वारा लिखी गई थी।

सेना

  • रोमन साम्राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
  • आरंभ में इतावली मूल के निवासियों को नियुक्त किया
  • बाद में साम्राज्य के अन्य प्रांतों से
  • रोम में स्थायी और नियमित वेतनभोगी सेना थी।
  • चौथी शताब्दी ई. में 6 लाख सैनिक
  • सैद्धांतिक रूप से सेना सम्राट के नियंत्रण में, व्यवहार में सेना पर सेनापति का नियंत्रण।

प्रशासनिक पदाधिकारी

  • राज्य के प्रमुख पदाधिकारी थे- प्रेटर, सेंसर, क्वेस्टर, एडिलीज और ट्रिब्यून।
  • प्रेटर न्यायाधीश का कार्य करते थे- संख्या में दो
  1. रोमन नागरिकों 
  2. विदेशियों के मामलों की देखभाल
सेंसर
  • मुख्य कार्य- कर निर्धारण एवं नागरिकों से जुडी समस्याओं को देखना था। संख्या दो- क्वेस्टर, जोकि राजकीय कोष का प्रमुख
  • दूसरा एडिलीज जो लोक निर्माण अधिकारी था।
  • ट्रिब्यून की संख्या दस थी। इनका कार्य सर्व साधारण के हितों की रक्षा करना।
  • राजकीय सचिवालय की स्थापना रोम में नकद वेतन दिया जाता था। नई राजधानी बाइजेंनटाइन की स्थापना के बाद प्रशासन वर्ग में और अधिक वृद्धि हुई।

रोमन कानून

  • यूनान के समान रोम में भी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को संचालित करने के लिए अनेक दीवानी एवं फौजदारी कानून बनाए गए।
  • उद्देश्यः नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना। आरंभ में कानून अलिखित थे।
  • 449 ई.पू. में इनके 'दस आदमियों द्वारा' लिखित कानूनों को लकडी की 12 पट्टियों पर लिखकर चौक में लटका दिया गया। अतः वे कानून की 12 तख्तियां के नाम से जानी गई।
  • प्लेबियनों को भी अधिकार देने की व्यवस्था की गई। बाद में लिसिनियन विधान द्वारा भी प्लेबियनों को अधिकार प्रदान किया।
  • रोमन कानून का सर्वाधिक विकास ईसा की प्रथम से तीसरी शताब्दी के मध्य हुआ।
  • पांचवी शताब्दी में थियोडोसियस कानून संग्रह तथा छठी शताब्दी में जस्टीनियन कानून संग्रह
  • आधुनिक यूरोपीय कानूनों का आधार जस्टीनियन कानून हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का विकास हुआ।
  • रोमन कानून समाज में प्रचलित परम्पराओं और व्यवहारों के आधार पर बनाए गए। साथ ही रोम के न्यायाधीशों द्वारा विभिन्न मुकदमों में दिए गए निर्णयों के आधार पर भी रोमन कानून का विकास हुआ।
  • कानूनों के विकास से नागरिको में नई चेतना जगी वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गए।
  • लिखित कानूनों की अवहेलना सीनेट एवं सम्राट भी नही करते थे। कानूनों के विकास से न्यास प्रक्रिया भी सहज हो गई। न्यायालयों का विकास, निष्पक्ष न्याय।

प्रांतीय शासन व्यवस्था

प्रांत
  • 1.सीमावर्ती प्रांत तथा 2. सामान्य प्रांत
  • सीमावर्ती प्रांत सेनापति के अधीन जोकि सम्राट के प्रति उत्तरदायी
  • अन्य प्रांतों का प्रांतपति ‘गवर्नर‘ भी सैनिक सरदारों को ही बनाया जाता था, जोकि सीनेट के प्रति उत्तरदायी होते थे।
  • सम्राट अपने विश्वासपात्र सेनानायको। को ही प्रांतपति नियुक्त करता था। जिनकी नियुक्ति एक वर्ष के लिए। सर्वोच्च षासक प्रांतपति, सैन्य-असैन्य दोनों प्रकार के अधिकार प्राप्त।
  • यद्यपि प्रांतो की वैदेशिक नीति, युद्ध-संधि संबंधी मामलों पर सम्राट का नियंत्रण रहता था आंतरिक प्रांतपति
  • प्रांतपतियों का मुख्य दायित्व शांति-व्यवस्था बनाए रखना, न्याय का प्रबंध करना, प्रांतों की बाह्य आक्रमणों से सुरक्षा करना तथा प्रांत से कर वसूलकर केंद्रीय सरकार को भेजना था।
  • ईसा की तीसरी शताब्दी में सम्राट गैलीनस 253-268 ई. ने सीनेटरों को सैनिक दायित्व से हटा कर इसे नए प्रशासनिक वर्ग को सौंप दिया। इससे इस वर्ग की सत्ता सुदृढ़ हुई।
  • गैलीनस ने यह कार्य सीनेटरों के राजनीतिक प्रभाव को कम करने के लिए किया।
  • हेरॉल्ड राज्य से रोम को प्रतिवर्ष 54 लाख दीनारियस की आमदनी होती थी।

नगर एवं साम्राज्यिक प्रशासन

  • भूमध्यसागर के तट पर स्थित कार्थेज, सिकंदरिया और एंटिओक जैसें बडें नगरों की साम्राज्यिक प्रशासन में प्रभावशाली भूमिका थी।
  • ग्रामीण क्षेत्रों पर कर शहरों के माध्यम से लगाया जाता था।
  • साम्राज्य के शहरीकरण के कारण स्थानीय उच्च वर्ग करों की वसूली और प्रशासन में राज्य की सहायता करते थे।
  • शहरीकरण के कारण 'भूमध्यसागर के समृद्ध और शहरीकृत भागों, जैसे- स्पेन के दक्षिणी हिस्सों अफ्रीकी और पूर्वी भागों में नए संभ्रांत वर्गो का उदय' हुआ जबकि इटली का पतन हुआ।

  • - डॉ. गैलेन ‘ऑन गुड एण्ड बैंड डायट‘- अकाल वर्णन।
  • - प्रत्येक नगर का अपना मजिस्ट्रेट और सिटी काउंसिल होती थी। ये नगर में शांति-व्यवस्था बनाए रखने और नगर का प्रशासन सुचारू रूप से चलाने का कार्य करते थे।
  • - ईरान के विपरीत सार्वजनिक स्नानागार रोमन शहरों की विशेषता थी।
  • - 176 दिन मनोरंजन
  • - प्रशासनिक दुर्बलता प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार था। सबसे अधिक भ्रष्टाचार था।
  • - सबसे अधिक भ्रष्टाचार न्याय और सैन्य विभाग में व्याप्त था।

सामाजिक संरचना

सामाजिक वर्गीकरण
  • रोमन समाज मोटे तौर पर दो सामाजिक वर्गों - पैट्रिसियन और पलेबियन, में विभक्त था।
  • पैट्रिसियन उच्च अभिजात वर्ग था तथा प्लेबियन आर्थिक, राजनाीतिक और सामाजिक अधिकारों से वंचित वर्ग था।

इतिहासकार टैसियस के अनुसार, रोमन साम्राज्य के प्रमुख सामाजिक समूह थे-
  1.  सीनेटर या पैट्रेस- जिसका शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है।
  2.  अश्वारोही, इन्हें 'नाइट' कहा
  3.  निम्नवर्ग
  4.  गुलाम
  • उच्च और कुलीन वर्ग में सबसे प्रमूख सीनेटरों का वर्ग था।
  • अश्वारोहियों के पास बडी जमींदारियां थी।
  • व्यापार व साहूकारी का कार्य, जहाजी बेडे
  • कॉन्सटैननटाइन प्रथम के समय से सीनेटरों और अश्वारोहियो ने मिलकर एक एकीकृत और विस्तृत अभिजातवर्ग का गठन कर लिया।
  • पहला, समाज में आर्थिक विषमता गहरी थी,
  • दूसरी, पांचवी शताब्दी में सोने पर आधारित मौद्रिक व्यवस्था का प्रचलन था क्योंकि तीसरी शताब्दी तक चांदी की कमी हो गई थी।
  • मध्यम वर्गः पैट्रिसियन और प्लेबियन के बीच की
  • राजकीय सेवा में नियुक्त पदाधिकारी और सेवाकर्मी सैनिक एवं सैन्य पदाधिकारी, बडे किसान और समृद्ध व्यावारी आते थे।
  • टैसियस मध्यम वर्ग को 'सीनेट गृहो का आश्रित' कहता हैं। राज्य और राजकीय सेवा पर आश्रित
  • प्लेबियन ये श्रमिकों का बाहुल्य था श्रमिकों के नीचे गुलामों।

दास प्रथा

  • रोमन साम्राज्य में दास प्रथा व्यापक रूप से प्रचलित थी।
  • दास प्रथा संस्थागत बन गई थी। गुलाम युद्धबंदी होते थे।
  • युद्ध में विजित गुलामों का एक बडा बाजार डेफलस नगर में लगता था, जहां दासों की खरीद-बिक्री की जाती थी।
  • सम्राट ऑगस्टस के शासन काल में इटली की 75 लाख की आबादी में से तीस लाख गुलाम थे।
  • गुलामों का एक वर्ग योद्धा पहलवानों अथवा ग्लैडिटियर का था।
  • रोम स्थित कोलेसियम जिसका निर्माण 73 ई.पू. के विख्यात अखाडे में हजारों दर्शक एकत्रित होकर इस खूनी संघर्ष को देखते थे।
  • 73 ई.पू. में स्पार्टाकस नामक ग्लैडिटियर के नेतृत्व में गुलामों ने विद्रोह कर दिया। जिसमें एक लाख गुलामों ने भाग लिया। जिसे दबा दिया। साम्राज्यीय युग में गुलामों की स्थिति में कुछ सुधार आया। इसमें दासों को पूंजी-निवेश के रूप में देखा जाने लगा।
  • स्त्रियां राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों से वंचित थी परन्तु उन्हें सम्पत्ति संबंधी व्यापक अधिकार प्राप्त थे। दहेज प्रथा प्रचलित थी। स्त्रियों की अपनी व्यक्तिगत संपत्ति होती थी जिसे वह अपने पति को हस्तांतरित नही करती थी, पैतृक सम्पत्ति पर उनका पूरा अधिकार होता था। कानून के अनुसार, पति-पत्नी दोनों अलग-अलग वित्तीय इकाइयां थी, संयुक्त नहीं
  • स्त्रियों की प्रताडना का उल्लेख कैथोलिक बिशप सेंट ऑगस्टीन ‘354-30 ई. ने, जो 396 ई. से उत्तरी अफ्रीका के हिप्पोनगर के बिशप थे, किया है। पोम्पई नगर, जो विसूवियस ज्वालामुखी के फटने से 79 ई. में नष्ट हो गया और जिसमें इतिहासकार वरिष्ठ प्लिनी की मृत्यु हुई, में व्यापक रूप में साक्षरता प्रचलित थी।

सांस्कृतिक जीवन

  • बांसरी तथा वीणा उनके प्रमुख वाद्ययंत्र थे। नृत्य, संगीत एवं अभिनय का विकास हुआ। इन सर्कसों में सबसे बडा कोलोसियम था। 80 प्रवेशद्वार इसमें लगभग 50,000 दर्शक एक साथ बैठकर विभिन्न प्रतियोगिताओं को देख सकते थे। इसमें पुरूषों का खूनी द्वंद्व युद्ध रथों की दौड, पशुओं-मनुष्यों के युद्ध इत्यादि आयोजित किए जाते थे। होलिकोत्सव जैसे उत्सव मनाए। मद्यपान का प्रचलन था।

सांस्कृतिक विविधताः

  • संपूर्ण साम्राज्य में धार्मिक, भाषाई, वेशभूषा, खान-पान सामाजिक संगठनात्मक विविधता प्रचलित थी। निकटवर्ती पूर्व की प्रमुख भाषा अरामाइक थी जबकि मिस्र में कॉप्टिक भाषा का व्यवहार होता था। उत्तरी अफ्रीका की भाषा प्यूनिक तथा बर्बर और स्पेन तथा उत्तरी पश्चिमी भाषा कैल्टिक थी। 
  • इनमें से अनेक भाषाऐं उस समय तक मौखिक रही जब तक उनकी लिपि का विकास नही हुआ।
  • आर्मिनियाई लिपि पांचवी शताब्दी में प्रचलन में आई। इस लिपि के विकास के पूर्व ही तीसरी शताब्दी तक बाइबिल का कॉप्टिक भाषा में अनुवाद किया जा चुका था। अनेक स्थानों पर प्रचलित मौखिक भाषा का स्थान लातीनी ने लिखित रूप ग्रहण कर लिया।
  • कैप्टिक भाषा, जिसकी लिपि प्रथम शताब्दी के पश्चात बंद हो गई।


Tags: History World History
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts

1 Comments

  1. UnknownOctober 4, 2021 at 8:44 PM

    hi

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...
Post a Comment
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form