राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम)



  • केन्द्र सरकार प्रायोजित योजना 2006-07 में प्रारंभ की गई।
  • इस मिशन का उद्देश्य बांस के प्रचार और उत्पादन पर मुख्य बल था और प्रसंस्करण, उत्पाद विकास तथा मूल्यवर्धन पर सीमित प्रयास किए गए थे। उत्पादकों (किसानों) तथा उद्योग के बीच सम्पर्क की कड़ी कमजोर थी।
  • पुनर्गठित प्रस्ताव गुणवत्ता सम्पन्न पौधारोपण के प्रचार, उत्पाद विकास तथा मूल्यवर्धन पर एक साथ बल देता है। इसमें प्राथमिक प्रसंस्करण और शोधन, सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम, उच्च मूल्य के उत्पाद, बाजार और कौशल विकास शामिल है। इस तरह इसमें बांस क्षेत्र के विकास के लिए सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाने पर बल दिया गया है।
  • 2014-15 में इसे बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) के अंतर्गत शामिल कर लिया गया। ऐसा 2015-16 तक चला।

मंत्रिमंडल ने पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दी -

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 25 अप्रैल, 2018 को 14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दे दी है।
  • मिशन सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाकर और उत्पादकों का उद्योग के साथ कारगर संपर्क स्थापित करके बांस क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित करेगा।


प्रमुख तथ्य:-

  • 14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान मिशन लागू करने के लिए 1290 करोड़ रुपये का (केन्द्रीय हिस्से के रूप में 950 करोड़ रु  के साथ) प्रावधान किया गया है।
  • इस योजना में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में किसानों, स्थानीय दस्तकारों और बांस क्षेत्र के काम कर रहे अन्य लोगों को लाभ होगा। पौधरोपण के अंतर्गत लगभग एक लाख हैक्टेयर क्षेत्र को लाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • मिशन उन सीमित राज्यों में जहां बांस के सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक लाभ हैं वहां बांस के विकास पर ध्यान दिया जायेगा, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में।
  • बांस पौधरोपण से कृषि उत्पादकता और आय बढ़ेगी और परिणामस्वरूप भूमिहीनों सहित छोटे और मझौले किसानों तथा महिलाओं की आजीविका अवसर में वृद्धि होगी और उद्योग को गुणवत्ता सम्पन्न सामग्री मिलेगी।
  • इस तरह यह मिशन न केवल किसानों की आय बढ़ाने के लिए संभावित उपाय के रूप में काम करेगा, बल्कि जलवायु को सुदृढ़ बनाने और पर्यावरण लाभों में भी योगदान करेगा। मिशन कुशल और अकुशल दोनों क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में सहायक होगा।

पूर्वोत्तर भारत में बांस से जुड़े रोचक तथ्य :-
रोज़मर्रा के जीवन में महत्वपूर्ण है बांस 

  • उत्तर पूर्वी भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक परंपराओं में बाँस को प्राकृतिक रूप से बुना जाता है
  • राष्ट्रीय बांस मिशन के अनुसार, भारत का 2/3 बांस उत्तर पूर्व में उगाया जाता है और इस क्षेत्र के जीवन का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। 
  • पूर्वोत्तर भारत में बांस भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके साथ कई व्यंजन बनाए जाते हैं। 
  • बांस से संगीत वाद्ययंत्र बनाए जाते हैं और पारंपरिक नृत्य करने के लिए भी उपयोग लिया जाता है। 

  • शिल्प कौशल के रूप में बांस का उपयोग 
  • उत्तर पूर्वी राज्यों में बांस से सुंदर बेंत बनाई जाती है और बुनाई के साथ ही उनमें सुंदर डिजाइन की हस्तशिल्प की जाती है। 
  • लकड़ियों का घर
  • आसाम के आर्थिक विकास में बांसों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, राज्य में बांसों की 26 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 

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