भारत पर अरब आक्रमण

मोहम्मद बिन कासिम 
  • भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम अरब मुस्लिम मोहम्मद बिन कासिम था।
  • मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के समय सिंध का शासक दाहिर था।
  • ब्रह्म गुप्त द्वारा लिखित ब्रह्मसिद्धांत एवं खण्डखाद्य का अरबी में अनुवाद भारतीय विद्वानों की सहायता से
  • अल-फाजरी ने किया था। ब्रह्म सिद्धांत का अरबी नाम इल्म-उल-साहिब रखा गया।
  • खगोल शास्त्र पर आधारित पुस्तक किताब-उल-जिज की रचना अल-फाजरी ने की।
  • किताब-फुतुल-उल-बलदान का लेखक बिलादुरी है।
  • पंचतंत्र का अरबी अनुवाद कलीला वा दिमना के नाम से किया।
  • मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध व मुल्तान, बहमनाशाद आदि को जीता।
  • भारत में जजिया कर सबसे पहले मोहम्मद बिन कासिम ने लगाया था।
तुर्कों का आक्रमण
अलप्तगीन 
  • अलप्तगीन बुखारा के सामानी वंश के शासक अब्दुल मलिक (954-961 ई.) का तुर्क दास था। बाद में उसकी योग्यता और दूरदर्शिता के कारण 956 ई. में उसे खुरासान का राज्यपाल नियुक्त किया गया। 
  • 961 ई. में अब्दुल मलिक के देहांत के बाद उत्तराधिकार के संघर्ष (अब्दुल मलिक के भाई और चाचा) में अलप्तगीन ने उसके चाचा की सहायता की, परंतु अब्दुल मलिक का भाई मंसूर सिंहासन पाने में सफल रहा।
  • अलप्तगीन इन परिस्थितियों में अपने लगभग 800 वफादार सैनिकों के साथ अफगान प्रदेश के गजनी नगर में बस गया और यहाँ स्वतंत्र गजनवी वंश की स्थापना की। अलप्तगीन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इस्हाक और उसके बाद बलक्तगीन गद्दी पर बैठा।
  • बलक्तगीन की मृत्यु के बाद पीराई ने गजनी पर अधिकार कर लिया पर वह एक अयोग्य शासक था, जिसे हटाकर सुबुक्तगीन गद्दी पर बैठा।
सुबुक्तगीन
  • सुबुक्तगीन प्रारंभ में अलप्तगीन का गुलाम था। गुलाम की प्रतिभा से प्रभावित होकर उसने उसे अपना दामाद बना लिया और ‘अमीर-उल-उमरा’ की उपाधि से सम्मानित किया।
  • सुबुक्तगीन एक योग्य तथा महत्त्वाकांक्षी शासक सिद्ध हुआ। उसने अपनी शक्ति को बढ़ाया और साथ ही राज्य का विस्तार भी शुरू कर दिया।
  • सुबुक्तगीन ही प्रथम तुर्की था, जिसने हिंदूशाही शासक जयपाल को पराजित किया। सुबुक्तगीन के देहांत के बाद उसका पुत्र एवं उत्तराधिकारी महमूद गजनवी (998-1030 ई.) गजनी की गद्दी पर बैठा।
  • पिता की मृत्यु के बाद महमूद गजनवी के पास एक विशाल और सुसंगठित साम्राज्य था। इसमें कोई संदेह नहीं कि सुबुक्तगीन एक वीर और गुणवान शासक था। उसने अपने राज्य का शासन 20 वर्षों तक विवेक, सुनीति और उदारता के साथ किया।
  • भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम तुर्क (मुस्लिम) शासक सुबुक्तगीन ही था।
महमूद गजनवी (998-1030 ई.)
  • महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
  • महमूद गजनवी ने 1001 ई. से 1027 ईस्वी के मध्य में भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
  • सुल्तान की उपाधि तुर्की शासकों ने प्रारंभ की थी। उसे यह उपाधि बगदाद के खलीफा ने प्रदान की।
  • सुल्तान की उपाधि लेने वाला वह पहला शासक था।
  • सुबुक्तगीन की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र महमूद गजनवी 998 ई. में शासक बना। राज्यारोहण के समय उसकी आयु मात्रा 27 वर्ष की थी।
  • महमूद गजनवी ने 1000 ई. से 1027 ई. तक भारत में कुल 17 बार आक्रमण किया।
  • उसके आक्रमण का मुख्य उद्देश्य भारत की संपत्ति को लूटना था।
  • महमूद ने 1000 ई. में भारत पर आक्रमण शुरू किये तथा सीमावर्ती क्षेत्रों के दुर्गों/किलों को जीता।
  • 1001 ई. में हिंदुशाही शासक जयपाल को पेशावर के निकट पराजित किया। महमूद ने धन लेकर जयपाल को छोड़ दिया परंतु अपमानित महसूस करते हुए जयपाल ने अपने पुत्र आनंदपाल को राज्य सौंपकर आत्महत्या कर ली।
    महमूद का महत्त्वपूर्ण आक्रमण मुल्तान पर हुआ तथा रास्ते में भेरा के निकट जयपाल के पुत्रा आनंदपाल को पराजित किया और 1006 ई. में मुल्तान पर विजय प्राप्त की। 1008 ई. में महमूद ने पुनः मुल्तान पर आक्रमण किया और उसे अपने राज्य में मिला लिया।
  • 1009 ई. में हिंदुशाही राजा आनंदपाल से बैहंद के निकट महमूद का युद्ध हुआ परंतु आनंदपाल पराजित हुआ और सिंध से नगरकोट तक महमूद का आधिपत्य स्थापित हो गया।
  • 1014 ई. में महमूद ने थानेश्वर पर आक्रमण किया। दिल्ली के राजा ने पड़ोसी राजाओं के साथ मिलकर महमूद को रोकने का प्रयत्न किया, परंतु विफल रहे।
  • 1018 ई. में महमूद ने कन्नौज क्षेत्र पर आक्रमण किया। वहाँ गुर्जर-प्रतिहार शासक के प्रतिनिधि राज्यपाल का शासन था।

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