DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomePol Sci

आचार्य विनोबा भावे के राजनीतिक विचार

byDivanshuGS -November 19, 2022
0

acharya-vinoba-bhave-ke-rajnitik-vichar

आचार्य विनोबा भावे के राजनीतिक विचारों पर सबसे अधिक प्रभाव गांधीजी का पड़ा है। गांधीजी द्वारा अपने जिन आदर्शों को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान नहीं किया जा सका था और ऐसा लगने लगा था कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्राप्त होने तथा गांधीजी की हत्या होने के बाद वे मृतप्राय हो जाएंगे। उनको पुनर्जीवन देने का काम विनोबा भावे के द्वारा किया गया। स्वतंत्र भारत की नई परिस्थितियों में गांधीवादी दर्शन को प्रासंगिकता प्रदान करने में उनकी महती भूमिका है। 

आचार्य विनोबा भावे के प्रमुख राजनीतिक विचारों का उल्लेख निम्न प्रकार किया जा सकता है- 


सर्वोदय विषयक विचार Sarvoday vishayak vichar

  • आचार्य विनोबा भावे सर्वोदय के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने यह धारणा गांधीजी से ग्रहण की और इसे नया नाम 'साम्ययोग' दिया। सर्वोदय का शाब्दिक अर्थ है 'सबका उदय'(sabka udaya) अर्थात उत्थान और कल्याण सर्वोदय को स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि यह समाज के कुछ लोगों का या बहुतों का या अधिकतम का उत्थान हनीं चाहता। हम बेन्थम के अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख की धारणा से संतुष्ट नहीं है बल्कि हम तो केवल एक की और सबकी उच्च और निम्न की संबल और निर्बल की, बुद्धिमान और बुद्धिहीन की भलाई से ही संतुष्ट हो सकते हैं। सर्वोदय शब्द इस व्यापक धारणा को अपने में समेटे हुए है। 
  • आचार्य विनोबा भावे के द्वारा अपनी सर्वोदय सम्बंधी विचारधारा को स्थापित करने के लिए इसकी तुलना संसार में प्रचलित तीन विचारधााराओं से की गई।
  • पहली विचारधारा पूंजीवादी थी जिसकी मान्यता थी कि अधिक योग्यता वाले को अधिक वेतन दिया जाए जबकि कम योग्यता वाले को कम। इस व्यवस्था में कुछ गिने चुने लोग अधिकाधिक संपत्ति पर आधिपत्य स्थापित कर लेते हैं तो बहुतायत जनता निर्धनता एवं अभाव का जीवन जीने के लिए मजबूर होती है। यह स्थिति समाज के लिए उचित नहीं कही जा सकती।
  • दूसरी विचारधारा लोकतांत्रिक समाजवाद पर आधारित है, जिसकी मान्यता है कि प्रत्येक सुधार संसदीय एवं संवैधानिक तरीके से की जानी चाहिए। लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को एक मत देने का अधिकार होता है अर्थात यह 'एक व्यक्ति एक मत के सिद्धांत' में विश्वास करती है। चुनाव में विजय उसी की मानी जाती है जिसे बहुमत प्राप्त होता है अ​र्थात बहुमत प्राप्त करने वाले को ही शासन करने की शक्ति प्राप्त होती है। इसलिए स्वाभाविक रूप से इसमें बहुसंख्यकों की रक्षा और अल्पसंख्यकों का दमन किया जाता है, इसलिए इसे भी वांछनीय नहीं कहा जा सकता। 
  • तीसरी विचारधारा साम्यवाद (कम्यूनिज्म) की है जिसमें वर्ग संघर्ष के सिद्धांत को मान्यता प्रदान की गयी है और कहा गया है कि श्रमिक (सर्वहारा) क्रांति के माध्यम से पूंजी के सभी साधनों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेगा। यह हिंसात्मक क्रांति का समर्थन करता है किंतु विनोबा भावे ने हिंसक क्रांति का विरोध करते हुए कहा कि हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है और जब तक यह चक्र चलता रहेगा दुनिया में शांति स्थापित नहीं की जा सकती है। हिंसा का प्रयोग मानवता के मूल्य और प्रतिष्ठा को घटा देता है इसलिए ऐसी विचारधारा भी समाज के लिए उचित नहीं कही जा सकती है। 
  • उपर्युक्त तीनों विचारधाराओं को अस्वीकार करते हुए विनोबा भावे ने कहा कि सर्वोदय दर्शन सबसे उत्तम है क्योंकि यह बिना किसी द्वंद या विरोध के सबके उत्थान की बात करता है। इसे संबंध में वे अद्वैत वेदान्त के सिद्धांत से प्रभावित दिखायी देते हैं। इसलिए उन्होंने माना कि प्रत्येक मनुष्य में परब्रह्म की एक आत्मा समान रूप से निवास करती है। इसलिए सभी मानव समान है और उनमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उनका मानना था कि समाज में सर्वाधिक भेदभाव संपत्ति के आधार पर किया जाता है। इसलिए निजी संपत्ति की धारणा पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि संपत्ति किसी रूप में क्यों न हो, हम उसके मालिक नहीं बल्कि सिर्फ ट्रस्टी हैं। वह एक पवित्र धरोहर के रूप में हमारे पास है। वस्तुत: हमारे पास जितनी शक्तियां हैं वे समाज की सेवा के लिए है न कि व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए। 
  • सर्वोदय समाज पूर्ण रुपेण ऐसा समाज होगा जिसमें आपसी सौहार्द, प्रेम और सहयोग की भावना प्रबल होगी और प्रतिस्पर्धा या द्वेष के लिए कोई स्थान नहीं होगा। इसलिए उन्होंने सर्वोदय के संबंध में लिखा कि सर्वोदय समाज के लिए अपनी आवश्यकताओं को बढ़ाने और पूरा करने के लिए आकाश—पाताल एक करने के ​बजाय अपनी आवश्यकताओं और तृष्णाओं को कम करेंगे और अपने मन को नियंत्रित करेंगे। ऐसे समाज में बहुमत या अल्पमत की समस्याएं उत्पन्न नहीं होगी। बहुमत और अल्पमत की समस्याएं तो वहां उत्पन्न होती है जहां मनुष्य अपने प्रतिद्वंदी हितों की पूर्ति के लिए अपने आपको संगठित कर लेते हैं और प्रेम तथा साहचर्य की अपेक्षा धन और व्यक्तिगत हित को अधिक महत्व देते हैं। 
  • सर्वोदय समाज का सूत्र वाक्य होगा तुम दूसरों की आवश्यकताओं का ध्यान रखे और अपनी ऐसी कोई आवश्यकता न पालो जिससे दूसरों को कष्ट होता हो। उनके अनुसार यही वह नियम है जिसका अनुसरण करने वाले परिवार सुखी होत हैं इसलिए इसको व्यापक समाज पर भी आरोपित करना कठिन हीं होना चाहिए बल्कि सामाजिक जीवन में इसे सहजता और स्वाभाविक तरीके से स्वीकार किया जाना चाहिए।
  • सर्वोदय दर्शन (Sarvoday) पर आधारित समाज में आपसी कुटता, वैमनस्य या विरोध—प्रतिरोध की संभावना इसलिए भी नहीं होगी क्योंकि इसमें लिया जाने वाला निर्णय मतदान ​अर्थात बहुमत पर आधारित नहीं होता है बल्कि वहां तो प्रत्येक निर्णय आपसी वाद—विवाद और तर्क—वितर्क पर आधारित एवं सर्वसम्मति से होता है। जिसमें एक—दूसरे की विरोधी भावनाओं का लोप हो जाता है। इसका अंतिम निहितार्थ व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामाजिक हित अर्थात सबका कल्याण करना होता है। सबके कल्याण की भावना से ओतप्रोत होने के कारण सर्वोदय समाज में असमानता या अन्याय के लिए कोई स्थान नहीं बचता है। इसलिए हिंसा और अशांति की भी सम्भावनाओं का अंत हो जाता है। ऐसा समाज आपसी भाईचारे और सहयोग की अद्भूत मिशाल कायम करेगा। यह ऐसा समाज होगा जिसमें किसी भी रूप में मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण नहीं होगा। इसमें विषमता के स्थान पर समानता, प्रतिस्पर्धा के स्थान पर सहयोग और संघर्ष के स्थान पर सहयोग और प्रेम का साम्राज्य स्थापित होगा। 

Tags: Pol Sci
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form