कनिष्क

कनिष्क कुषाण वंश का महान और प्र​तापी राजा


  • कनिष्क कुषाण वंश का महान और प्र​तापी राजा था। वह विम के लगभग 20 वर्षों के बाद कनिष्क कुषाण उत्तराधिकारी बना।  
  • कनिष्क का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। 
  • उसने 78 ई. में अपना राज्यारोहण किया तथा इसके उपलक्ष्य में शक संवत् चलाया। इसे वर्तमान में भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। यह चैत्र (22 मार्च अथवा 21 मार्च) से प्रारंभ होता है।
  • ह्वेनसांग के विवरण एवं चीनी ग्रंथों से प्रकट होता है कि गंधार कनिष्क के अधीन था। 
  • कश्मीर पर उसका अधिकार कल्हण की राजतंरगिणी से ज्ञात होता है। उसने कश्मीर जीतकर वहां 'कनिष्कपुर' नामक नगर बसाया। 
  • 'सुई विहार' लेख से सिंध पर एवं 'मनिक्याल अभिलेख' से पंजाब पर कनिष्क का अधिकार ज्ञात होता है। उसने काशगर, यारकन्द व खोतान पर भी विजय प्राप्त की।
  • कनिष्क की प्रथम राजधानी 'पेशावर' (पुरुषपुर) एवं दूसरी राजधानी 'मथुरा' थी। 
  • कनिष्क ने बौद्ध धर्म का मुक्त हृदय से संपोषण एवं संरक्षण किया। 
  • कनिष्क के समय में ही कश्मीर के कुंडलवन में वसुमित्र की अध्यक्षता में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ, इसमें अश्वघोष उपाध्यक्ष थे। इस संगीति ने बौद्ध ग्रंथों के ऊपर टीकाएं लिखी जो विभाषाशास्त्र कहलाती है। अशोक के बाद कनिष्क ही बौद्ध धर्म का प्रबल समर्थक था।
  • इस संगीति में पहली बार बौद्ध ग्रंथों में पालि के स्थान पर संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया।
  • उसके समय बौद्ध धर्म की महायान शाखा का उदय और प्रचार हुआ। 
  • कनिष्क का बौद्ध धर्म के विस्तार में अशोक के बाद सर्वाधिक योगदान माना जाता है। 
  • कनिष्क ने अनेक बौद्ध विहारों, चैत्यों एवं स्तूपों का निर्माण करवाया।
  • कनिष्क ने पेशावर में एक स्तूप और विहार का निर्माण कराया जिसमें बुद्ध के अस्थि-अवशेषों को प्रतिष्ठित कराया। खुदाई में इस स्तूप से बुद्ध, इन्द्र, ब्रह्मा एवं कनिष्क की मूर्तियां मिली है।
  • कनिष्क ने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर वहां से प्रसिद्ध विद्वान अश्वघोष, बुद्ध का भिक्षापात्र और एक अनोखा कुक्कुट प्राप्त किया था। 
  • उसके दरबार में पार्श्व, अश्वघोष, वसुमित्र तथा नागार्जुन जैसे विद्वान और चरक जैसे चिकित्सक विद्यमान थे।
  • अश्वघोष : 'बुद्धचरित' का रचयिता एवं अति प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान।
  • वसुमित्र : वह प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक एवं विद्वान था। वह चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष थे। उन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ 'महाविभाष्य शास्त्र' की रचना की, जो बौद्ध जातकों पर टीका है। इसे ग्रंथ बौद्धों का विश्वकोष माना जाता है। 
  • नागार्जुन : महायानी बौद्ध दार्शनिक, जो शून्यवाद के प्रवर्त्तक माने जाते हैं।
  • चरक : कनिष्क के राजवैद्य, चरक संहिता की रचना की। यह चिकित्साशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रंथ है।  
  • कनिष्क कला एवं संस्कृति का महान संरक्षक था। उसके समय में मूर्तिकला की गांधार एवं मथुरा शैली का जन्म हुआ।
  • कनिष्क ने चीन से रोम को जाने वाली सिल्क मार्ग पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
  • चीन में कनिष्क के समय शक्तिशाली 'हान वंश' का शासन था।
  • तक्षशिला के पास सिरकप नामक स्थान पर एक नगर और पुरुषपुर के समीप उसने ​कनिष्कपुर नामक नगर बसाया।
  • महास्थान (बोगरा) में पाई गई सोने की मुद्रा पर कनिष्क की एक खड़ी मूर्ति अंकित है। 
  • मथुरा में कनिष्क की एक प्रतिमा मिली है, जिसमें उन्हें घुटने तक चोगा एवं पैरों में भारी जूते पहने हुए दिखाया गया है।
  • 'मैंने उत्तर को छोड़कर शेष तीन क्षेत्रों को जीत लिया है।'
  • कनिष्क का चीन के शासक 'पान चाओ' से युद्ध हुआ था, जिसमें पहले कनिष्क की पराजय हुई तथा बाद में विजय
  • कनिष्क को 'द्वितीय अशोक' कहा जाता है।
  • कनिष्क द्वारा जारी किये गये एक तांबे के सिक्के पर उसे बलिवेदी पर बलि देते दिखाया गया है।
  • रोमन सम्राट की भांति कनिष्क ने 'कैंसर' या 'सीजर' की उपाधि धारण की तथा शकों की भाँति क्षत्रप शासन व्यवस्था लागू की। 

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