Type Here to Get Search Results !

आंग्ल—सिख युद्ध

आंग्ल—सिख युद्ध

 


प्रथम आंग्ल—सिख युद्ध 1845—46


  • प्रथम आंग्ल—सिख युद्ध के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग था।
  • 1843 ई. में मेजर ब्रॉडफुट जो लुधियाना में कंपनी का एजेंट था, ने युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी।
  • लॉर्ड हार्डिंग ने 13 दिसम्बर, 1845 को युद्ध की घोषणा कर दी।
  • 11 दिसम्बर, 1845 को सिख सेना ने हरिके और कसूर के बीच सतलज नदी को पार किया और सर ह्यूगफ के अधीन अंग्रेजों से टक्कर ली।
  • प्रथम आंग्ल—सिख युद्ध के समय पांच लड़ाइयां लड़ी गई जिसमें चार लड़ाइयां — मुदकी, फिरोजशाह, बद्दोवाल तथा आलीवाल अनिर्णीत रहीं केवल पांचवीं लड़ाई जो 10 फरवरी, 1846 को सबराओं में लड़ी गई, निर्णायक रही। सिख सेना पूरी तरह हार गयी तथा अंग्रेजों का लाहौर पर अधिकार हो गया।


द्वितीय आंग्ल—सिख युद्ध 1848—49


  • लाहौर की संधि के पश्चात् अंग्रेजों की वास्तविक भावना स्पष्ट हो गयी। लाल सिंह और रानी जिंदा (झिंदन) को अंग्रेजों से बहुत निराशा हुई।
  • लाहौर में नियुक्त ब्रिटिश रेजीडेंट का नियंत्रण अधिक बढ़ गया।
  • बाद में अंग्रेजों ने लाल सिंह को हटा दिया तथा लाहौर का शासन एक प्रतिनिधिमंडल को सौंप दिया।
  • भैरोवाल की संधि से पूर्व लाहौर के ब्रिटिश रेजीडेंट ने कुछ सरदारों को अपनी ओर मिला लिया तथा उनकी ओर से ब्रिटिश सरकार से स्वयं को पंजाब में कुछ दिन और रूकने देने के लिए प्रार्थना किया।
  • मुल्तान के गवर्नर मूलराज के विद्रोह तथा उसके द्वारा दो अंग्रेज अधिकारियों वेंस एग्न्यिू ओर एंडरसन की हत्या, द्वितीय आंग्ल—सिख युद्ध का तात्कालिक कारण बना।
  • लॉर्ड डलहौजी द्वितीय आंग्ल—सिख युद्ध के समय भारत का गवर्नर जनरल था।
  • 13 जनवरी, 1849 को जनरल गफ के नेतृत्व में चिलियानवाला युद्ध लड़ा गया, जिसमें अंग्रेजों को भारी खर्च उठाकर विजय प्राप्त हुई।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Ad