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द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण

byDivanshuGS -September 10, 2018
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  • एर्जबर्गर -‘60 मिलियन उत्पीड़ित देशवासियों का राष्ट्र कभी मर नहीं सकता।’
  • 30 जनवरी 1933 को हिटलर जर्मनी का चांसलर बन गया।  2 अगस्त को जनमत संग्रह द्वारा राष्ट्रपति व चांसलर पद को एक करने का निर्णय लेकर हिटलर ने राइक फ्यूहरर के नाम से सर्व सत्ता स्थापित कर ली।
  • हिटलर की पुस्तक ‘मीन केम्फ’ (मेरा संघर्ष) की रचना जेल में रहकर की।

वाशिंगटन सम्मेलन -

  • 12 नवम्बर, 1921 को नौ सैनिक शक्ति में कटौती व निःशस्त्रीकरण हेतु जापान राष्ट्र संघ, ब्रिटेन, इटली और फ्रांस के बीच पंच राष्ट्रीय समझौता हुआ, जिसमें इटली व फ्रांस का कटौती  अनुपात तुलनात्मक रूप से कम रखकर असंतोष की स्थिति पैदा कर दी।

तनाका स्मरण पत्र -

  • 1927 में बैरन जनरल तनाका जापान के प्रधानमंत्री बने।
  • जुलाई 1927 में प्रधानमंत्री ने सेनाध्यक्षों एवं वित्त विशेषज्ञों की बैठक बुलाकर अपनी सैन्यवाद व राष्ट्रवाद की विचारधारा का समावेश कर तनाका स्मरण पत्र तैयार कर 25 जुलाई 1927 को सम्राट के सम्मुख प्रस्तुत किया।
  • इस पत्र को जापान का मुनरो सिद्धांत भी कहा जाता है।

मंचूरिया काण्ड -

  • तनाका स्मरण पत्र में अपनी विस्तारवादी सोच को उजागर करते हुए उल्लेख किया गया था कि ‘चीन पर अधिकार करने से पूर्व हमें मंचूरिया और मंगोलिया जीत लेना चाहिए।’ 
  • इसका प्रमुख कारण बढ़ती जनसंख्या को बसाना व मंचूरिया की खनिज-सम्पदा पर अधिकार।
  • 3 जनवरी 1932 को मंचूरिया पर अधिकार कर लिया।
  • 19 फरवरी 1932 को मांचूको नामक कठपुतली सरकार की स्थापना की।
  • 20 मार्च 1933 को राष्ट्रसंघ का त्याग कर दिया।

एन्टीकोमिन्टर्न पेक्ट -

  • जापान ने 25 नवम्बर 1936 को एन्टीकोमिन्टर्न पेक्ट पर हस्ताक्षर कर, जर्मनी के साथ संधि कर ली।
  • 6 नवम्बर 1937 में इटली भी इसमें शामिल हो जाने से रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी का निर्माण हो गया।

इंग्लैण्ड -


  • दो विश्वयुद्धों के बीच ब्रिटेन की विदेश नीति के प्रमुख आधार निम्नलिखित थे -
  • अलगाववादी नीति का युग (1919 से 1930 तक) - लायड जॉर्ज ने 1922 तक, अनुदार दल के नेता बोनरला तथा वाल्डविन 1922 से 1929 तक, मेकडॉनाल्ड की मजदूर दलीय सरकारों ने 1930 तक अलगाववाद को जारी रखा।
  • तुष्टिकरण की नीति का युग (1930 से 1939 तक) - 
  • 1931 से 1939 तक मेकडॉनाल्ड 1931-35, वाल्डविन 1935-37 तथा चेम्बरलेन 1937-40 ने तुष्टिकरण की नीति का पालन किया जा द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना।

ब्रिटेन द्वारा तुष्टिकरण की नीति का पालन करने के कारण थे -

  1. साम्यवाद का भय, 
  2. शक्ति संतुलन को बनाए रखना, 
  3. ब्रिटिश-फ्रेंच मतभेद, 
  4. ब्रिटेन की आन्तरिक एवं आर्थिक कठिनाइयां और 
  5. ब्रिटिश नेताओं के दिल में युद्ध का अदृश्य खौफ था।
  • यदि बिना रक्त की बूंद बहाए, आपसी विवादों का हल ढूंढने के लिए ऊंची कीमत भी चुकानी पड़े तो भी विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए यह मार्ग उत्तम रहेगा।’- चेम्बरलेन
  • चेकोस्लोवाकिया का अंग-भंग व म्युनिख समझौता तुष्टिकरण की चरम स्थिति थी।
  • 1 सितम्बर 1939 को दूसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत हुई
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण -
  • वर्साय संधि की कठोर व अपमानजनक शर्तें
  • तानाशाहों का उत्कर्ष  - हिटलर ने 1935 ई. में राष्ट्रसंघ की सदस्यता त्याग दी।
  • मुसोलिनी ने अबिसीनिया पर आक्रमण कर अपनी साम्राज्यवादी भावना को प्रदर्शित किया।
  • 6 नवम्बर 1937 को रोम बर्लिन टोकियो धुरी का निर्माण हुआ।
  • राष्ट्रसंघ की असफलता - तानाशाहों के विरूद्ध मित्र राष्ट्रों द्वारा अपने हित-अहित के आधार पर कार्यवाही करने से राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय संकटों के समय कारगर कदम नहीं उठा सका।
  • स्पेन के गृहयुद्ध में हस्तक्षेप - 17 जुलाई 1938 को स्पेनिश गृहयुद्ध आरम्भ हुआ।
  • स्पेनी सेना के जनरल फ्रेंको का समर्थन इटली व जर्मनी ने किया। दूसरी ओर वामपंथियों का समर्थन रूस ने किया।
  • अबीसीनिया पर आक्रमण - 
  • मुसोलिनी ने 2 अक्टूबर 1935 को अबीसीनिया पर आक्रमण कर दिया।
  • इथोपिया की अपील पर राष्ट्र संघ ने 7 अक्टूबर 1935 को इटली का अक्रांता घोषित कर दिया तथा सेना हटाने को कहा।
  • मुसोलिनी ने कहा ‘अगर पूरा इथोपिया ही मुझे चांदी की थाली में परोसकर दिया जाये तो मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा, मैं उसे तलवार के बल पर ही विजय करूंगा।’
  • 18 नवम्बर 1935 को इटली पर राष्ट्रसंघ ने आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए।
  • 5 मई 1936 को मुसोलिनी ने अबीसीनिया की राजधानी अदिस-अबाबा पर अधिकार कर लिया।
  • निःशस्त्रीकरण के प्रयासों की असफलता
  • पश्चिमी राष्ट्रों की नीति में अन्तर्विरोध
  • इंग्लैण्ड की तुष्टिकरण की नीति -
  • चर्चिल - ‘हमारी तुष्टिकरण की नीति का एक दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम यह रहा कि हिटलर को विश्वास हो गया कि इंग्लैण्ड व फ्रांस उसके विरूद्ध युद्ध करने में सक्षम नहीं है।’
  • शूमेन - यह नीति आरम्भ से ही एक आत्मघाती मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ नहीं थी इसे किसी प्रकार से भी उपर्युक्त नहीं ठहराया जा सकता था।
  • उग्र राष्ट्रवाद की भावना
  • दो प्रतिद्वन्द्वी गुटों का उदय
  • अल्पसंख्यक जातियों का असंतोष
  • युद्ध का तत्कालिका कारण - जर्मनी का पोलैण्ड पर आक्रमण
  • 3 सितम्बर को ब्रिटेन व फ्रांस द्वारा चेतावनी देने पर भी युद्ध बंद नहीं किया तो ब्रिटेन व फ्रांस ने भी जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
  • 7 दिसम्बर 1941 से 7 नवम्बर 1942 तक जापान का पर्ल हार्बर पर आक्रमण तथा मित्र राष्ट्रो के सैन्य बल का नीदरलैण्ड, ईस्टइन्डीज तथा कोकेशस पर अधिकार।
  • मई 1941 तक धुरी राष्ट्रों को शानदार सफलता मिली। जून 1941 में रूस पर जर्मनी आक्रमण भारी भूल साबित हुआ। रूस मित्र राष्ट्रों से जा मिला।
  • पर्ल हार्बर पर दिसम्बर 1941  में जापानी आक्रमण ने संयुक्त राज्य अमेरिका को युद्ध में शिरकत करने का न्यौता दिया।
  • इटली 1943 में धराशायी हुआ, 
  • 1945 में जर्मनी को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
  • 6 व 9 अगस्त 1945 को हिरोशिमा व नागासाकी पर बम वर्षा ने जापान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।


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