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विलयन


  • विलयन एक समांगी मिश्रण होता है, जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ होते हैं। साधारणतः मुख्य अवयव (जो भाग अधिक मात्रा में हो) को विलायक एवं कम मात्रा में उपस्थित भाग को विलेय कहते हैं। 
  • जल एक सार्वत्रिक विलायक है।
  • दिये हुए ताप पर किसी विलयन में जब उसकी क्षमता के अनुसार जितना विलेय घुल सकता है, घुल जाता है तब उसे संतृप्त विलयन कहते हैं।

कोलाइडः-

  • जब किसी विलायक में परिक्षेपित एक पदार्थ के कणों की आकृति निलंबन के कणों की आकृति तथा साधारण विलयनों के कणों की आकृति के बीच की होती है, तो ऐसे घोलों को कोलाइड कहा जाता है।
  • कोलाइडी कण इतने बड़े (व्यास में लगभग 1000 ) होते हैं कि वे परिक्षेपी माध्यम से गुजरने वाले दृश्य प्रकाश का प्रकीर्णन कर देते हैं। इस परिघटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं।

पायस:-
  • जब एक कोलाइड में एक द्रव के सारे कण दूसरे द्रवों के सारे कणों में परिक्षेपित हो जाते हैं, लेकिन घुलते नहीं हैं, तो इस कोलाइड को पायस या इमल्शन कहा जाता है। 
  • पायस दो प्रकार के होते हैं - जल में तेल प्रकार का और तेल में जल प्रकार का।
  • पायस का निर्माण किसी मिश्रण को लगातार हिलाने से या उसे पराश्रव्य कम्पन देने पर किया जा सकता है। पायस सामान्यतया अस्थायी होते हैं, यदि उनमें पायसीकारक उपस्थित न हों।
  • साबुनों और डिटरजेंटों का पायसीकारक के रूप में प्रयोग होता है। 
  • पायसीकारक का प्रयोग अयस्कों के सान्द्रण में भी होता है। दूध एक प्राकृतिक पायस है, जबकि पेंट एक कृत्रिम पायस का उदाहरण है।

परासरण:-

  • परासरण वह प्रक्रिया है जिसमें शुद्ध विलायक का बहाव विलायक से विलयन में होता है या कम सान्द्रण वाले विलयन से अधिक सान्द्रण वाले विलयन की ओर अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होता है।

सोल:-

  • सोल एक ऐसा कोलाइड है जिसमें ठोस कण द्रव में परिक्षेपित है।

जेल:- 

  • ऐसा कोलाइड जिसमें ठोस कण द्रव में समान रूप से परिक्षेपित तो होते हैं, पर उनमें प्रवाह नहीं होता।  वे प्रवाह के अभाव में जम जाते हैं। जैसे - जिलैटिन एवं जेली। 

एरोसोल:-

  • एरोसोल किसी गैस में द्रव या ठोस कणों का परिक्षेपण है। जब परिक्षेपित कण ठोस होता है तो ऐसे ऐरोसोल को धुंआ कहते हैं और जब परिक्षेपित पदार्थ द्रव होता है तो ऐसे एरोसोल को कोहरा कहा जाता है। 
  • जब परिक्षेपण का माध्यम जल होता है, तो कोलाइड को हाइड्रोसोल कहते हैं जबकि एल्कोहल के माध्यम के रूप में रहने पर कोलाइड को एल्कोसोल कहते हैं।




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