Type Here to Get Search Results !

‘धार्मिक-सामाजिक सुधार आन्दोलन के क्षेत्र में राजा राममोहन राय का नाम सर्वोपरि है।’ स्पष्ट कीजिए।


  • 19वीं शताब्दी का भारतीय समाज रूढ़िवादी, विभाजित तथा पिछड़ा हुआ था। धार्मिक कट्टरता, आडंबर, जात-पांत तथा छुआछुत भारतीयों पर हावी थी। राजा राममोहन राय उन व्यक्तियों में थे, जिन्होंने सबसे पहले कहा कि जब तक आधुनिक ज्ञान, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सामाजिक एकता एवं मानव गरिमा के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जाएगा, तब तक भारत का विकास नहीं होगा। 
  • उन्होंने न केवल भारत की सामाजिक एवं धार्मिक समस्याओं को पहचाना, बल्कि उन समस्याओं के निदान का प्रयास भी किया। 
  • 1829 ई. में सती प्रथा के विरुद्ध कानून पारित करवाने में उनकी महती भूमिका थी। उन्होंने बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन तथा स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया। 
  • उन्होंने धार्मिक क्षेत्र में मूर्तिपूजा का विरोध कर एक ब्रह्म की उपासना के द्वारा भारतीय समाज की एकता पर बल दिया, साथ ही जातिवाद, छुआछुत तथा सामाजिक असमानता का विरोध किया। 
  • वे आधुनिक शिक्षा के प्रबल समर्थक थे, इस उद्देश्य के लिए उन्होंने 1825 में वेदांत कॉलेज की स्थापना की। उन्होंने अपने विचारों को प्रचारित करने के लिए संवाद कौमुदी तथा मिरातुल अखबार जैसे पत्रों का प्रकाशन किया, उन्हें उचित ही भारतीय पत्रकारिता का अग्रदूत कहा जाता है। 
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं, राजा राममोहन राय का नाम धार्मिक तथा सामाजिक सुधार आंदोलन के क्षेत्र में सर्वोपरि है।


Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Ad