आम्र बौछार

आम्र वृष्टि:-


  • ग्रीष्म ऋतु के अंत में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून पूर्व की हल्की वर्षा सामान्य बात हे। इनका स्थानीय नाम ‘आम्र वृष्टि’ आम्र बौछार है। आम के फलों को शीघ्र पकने में सहायक होने के कारण ही इसे यह नाम दिया जाता है।

काल बैसाखी:- 


  • पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश तथा असम में मई माह अर्थात् बैसाख मास में सायंकालीन तड़ित-झंझा का आना सामान्य बात है। इस दौरान पवनें अत्यंत तीव्र गति से गर्जन के साथ बहती हैं, जो अपने साथ वर्षा की तेज बौछारें भी लाती है। 
  • इस क्षेत्र में पेड़ों, फसलों, झोपड़ियों इत्यादि को बहुत नुकसान होता है। इनके कुख्यात स्वरूप के कारण ही इन्हें ‘काल बैसाखी’ या ‘बैसाख मास का काल’ नाम दिया गया है।

लू:- 


  • अत्यंत ही शुष्क तथा गम पवनें उत्तर-पश्चिम भारत तथा गंगा के मैदान में, जो दोपहर के बाद मई तथा जूल माह में चला करती हैं। इसका स्थानीय नाम लूू है। जब इनका प्रभाव बढ़ता है, तो भीषण गमी्र पड़ने लगती है। लू की चपेट में आये वयक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

मानसून का फटना:- 


  • जून के प्रारंभ में जब दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवायें बड़ी तेजी से हिन्द महासागर की तरफ से देश में प्रवेश करती हैं, तब अचानक बादलों का गर्जन, बिजली की चमक तथा झंझावती हवाओं के साथ वर्षा शुरू हो जाती है। इसे ही ‘मानसून का फटना8 कहते हैं। उत्तर भारत में मानसून के फटने का कारण जेट वायु धाराओं का प्रभाव बताया जाता है।

भारत में भ्रंश घाटी


  • भ्रंश घाटी खड़े किनारे वाली गर्त होती है, जिसका निर्माण विवर्तनिक बल के तनाव के कारण होती है। नर्मदा एवं ताप्ती घाटियां ऐसी ही भ्रंश घाटियां हैं, जिनका प्रवाह प्रायद्वीप की सामान्य प्रवाह दिशा के प्रतिकूल है। ये पूर्व से पश्चिम दिशा में बहते हुए अरब सागर में गिरती है। वास्तव में भ्रंश घाटियों का निर्माण दो स्थलों के मध्य के भाग के नीचे धंस जाने अथवा किसी स्थल के दोनों ओर के भू-भाग के ऊपर उठ जाने से होता है।

ट्रक फार्मिंगः-


  • व्यापार के उद्देश्य से की जाने वाली साग-सब्जी तथा फलों की खेती ट्रक-कृषि के नाम से जानी जाती है। इस कृषि का नगरीकरण से घनिष्ठ संबंध है। नगरों में अधिक जनसंख्या के कारण साग-सब्जी तथा फलों की मांग अधिक होने के कारण नगर आंचल में इनकी गहन कृषि होती है। इनको बाजार तक पहुंचाने में यातायात के साधनों का बड़ा महत्त्व है।

दार्जिलिंग 


  • यह नगर अपनी सुन्दरता के कारण ही ‘नगरों की रानी’ के रूप में जाना जाता है। यह समुद्रतल से 2260 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। विश्व की विख्यात हिमालय पर्वतारोहण संस्थान का मुख्यालय भी यहीं है। यह चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है।


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