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‘वीवीपीएटी’ (VVPAT: Voter-Verified Paper Audit Trial) प्रणाली

वीवीपीएटी प्रणालीः भारतीय मतदाताओं को मिला एक और अधिकार

8 अक्टूबर, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मतदाताओं को एक और अधिकार मिल गया है। इस अधिकार के अंतर्गत अब मतदाता ईवीएम में अपना मत देने के बाद यह जान सकेंगे कि उनका मत उनके दिए अनुसार ही पड़ा है अथवा नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया है कि वह आगामी आम चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए देश भर में चरणबद्ध रूप से ‘वीवीपीएटी’ (VVPAT: Voter-Verified Paper Audit Trial) प्रणाली लागू करे।
वीवीपीएटी प्रणाली के तहत ईवीएम के साथ एक विशेष प्रकार की प्रिंटर यूनिट जोड़ी जाती है जिसमें मतदाता द्वारा मत देने के बाद दिए गए मत का सीरियल नंबर, प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिह्न प्रिंट हो जाता है, जिसे मतदाता पारदर्शी विंडो के माध्यम से देख सकता है, हालांकि मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मतदाता को वह प्रिंट प्राप्त नहीं होता। किसी विसंगति की स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक रूप से पड़े मतों और उनके प्रिंटों का मिलान किया जा सकता है।
केन्द्रीय विधि मंत्रालय द्वारा 14 अगस्त, 2013 को वीवीपीएटी प्रणाली लागू किए जाने के लिए चुनाव संचालन नियमों, 1961 में संशोधन किया गया है।
फरवरी, 2013 में नगालैंड में हुए विधानसभा चुनावों में प्रायोगिक रूप से 21 मतदान केन्द्रों पर वीवीपीएटी प्रणाली का प्रयोग किया गया था जो कि सफल रहा था।

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