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आधुनिक भारत का निर्माता लॉर्ड डलहौजी



  • डलहौजी ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत जहां उसे पूर्ण किया वहीं दूसरी ओर उसने भारत का अपने साम्राज्यवादी व औद्योगिक हितों की पूर्ति हेतु आधुनिकीकरण भी किया।

प्रशासकीय सुधार- 

  • गवर्नर जनरल के शासन भार को कम करने की दृष्टि से एक लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की तथा नोन रेग्यूलेशन पद्धति के अनुसार प्राप्त नवीन क्षेत्रों में कम्पनी का सीधा प्रशासन आरम्भ किया। इन प्रदेशों में कमिश्नर नियुक्त किये गये जो सीधे गवर्नर जनरल के प्रति उत्तरदायी थे।

सैनिक सुधार -

  • विशाल साम्राज्य के लिए नई सैनिक व्यवस्था को लागू करते हुए उसने बंगाल तोपखाने का मुख्यालय कलकत्ता से हटाकर मेरठ में स्थापित किया तथा सैनिक मुख्यालय भी शिमला मे स्थापित कर दिया, साथ ही शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया।
  • उसने भारतीय सैनिकों में कमी करके अंग्रेज सैनिकों में वृद्धि करने का प्रयत्न कियां

शिक्षा सम्बन्धी सुधार -

  • जुलाई, 1854 ई. चार्ल्स वुड की शिक्षा योजना लागू की गई। 
  • इसमें प्राथमिक शिक्षा से विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा योजना थी।
  • इसे आधुनिक शिक्षा का मेग्नाकार्टा कहा जाता है।
  • जिलों में ऐंग्लो-वर्नाक्यूलर स्कूलों की स्थापना की गई।
  • इन स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा अनिवार्य थी। कानून और इन्जीनियरिंग की शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया गया।
  • इस उद्देश्य से रूड़की, मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता में इन्जीनियरिंग कॉलेज खोले गये।

रेल तथा तार व्यवस्था -

  • 1830 ई. मे विश्व में प्रथम रेलमार्ग बना
  • डलहौजी ने राजनीतिक, आर्थिक एवं सैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रेल निर्माण की ओर ध्यान दिया।
  • 1853 ई. में पहली रेल लाइन का निर्माण बम्बई से थाना के बीच में किया गया।
  • 1854 ई. में कलकत्ता से रानीगंज तक दूसरी रेल लाइन का निर्माण हुआ।
  • 1852 ई. में सर्वप्रथम भारतीय डाक-विभाग की स्थापना कर संचार साधन में क्रांति उत्पन्न कर दी। 

डाक व्यवस्था-

  • डलहौजी ने 1854 ई. में एक नया पोस्ट-ऑफिस ऐक्ट लागू कर तीनों प्रेसिडेन्सियों में डाक व्यवस्था हेतु एक पोस्ट मास्टर की नियुक्ति करते हुए 2 पैसे का पोस्ट कार्ड जारी किया व डाक टिकटों का सूत्रपात किया।

सार्वजनिक निर्माण विभाग- 1854

नागरिक सेवा-

  • 1853 ई. में चार्ल्स वुड, बोर्ड ऑफ कंट्रोल का अध्यक्ष बना।
  • 1853 ई. के चार्टर ऐक्ट में नागरिक सेवा के द्वारा खुली प्रतियोगिता के आधार पर भारतीयों के लिए भी द्वार खोल दिये गये। 
  • आयु 23 वर्ष कर दी गई और प्रतियोगिता का स्थान इंग्लैण्ड तय किया तथा भाषा का माध्यम अंग्रेजी रखा गया।


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