भारत में वामपंथी आन्दोलन

भारत में वामपंथी आन्दोलन
भारत में साम्यवादी आंदोलन

  • भारत में वामपंथी विचारधारा का उदय प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् राजनैतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के कारण हुआ।

समाजवादी एवं वामपंथी विचारों का उद्भव एवं विकास-

  • 1917 ई. में रूस की क्रांति के बाद विश्वभर में साम्यवादी विचारों का प्रसार शीघ्रता से हुआ। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। 
  • 17 अक्टूबर, 1920 ई. को ताशकंद में ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी’ की सर्वप्रथम स्थापना की गई। इसके सदस्यों में एम.एन. राय, ए.टी. राय, अवनी मुखर्जी, मुहम्मद अली आदि थे।
  • ब्ंगाल में ‘नवयुग’ के सम्पादक मुजफ्फर अहमद, बम्बई में ‘सोशलिस्ट’ के सम्पादक एस. ए. डांगे (गांधी बनाम लेनिन पुस्तक लिखी), मद्रास में ‘लेबर किसान गजट’ के सम्पादक सिंगारवेलु चेट्टियार एवं लाहौर में ‘इन्कलाब’ के सम्पादक गुलाम हुसैन आदि ने साम्यवादी विचारधारा को भारत में अपना पूर्ण समर्थन देते हुए उसके प्रसार में योगदान दिया।
  • भारत में वामपंथी विचारों का समूह एक दल के रूप में 1 सितम्बर, 1924 को कानपुर में ‘भारतीय साम्यवादी दल’ के नाम से स्थापित हुआ। इसकी स्थापना ‘सत्य भक्त’ द्वारा की गई। 
  • अन्य सदस्य- हसरत मोहानी, वी.एम. जोशी, रमाशंकर अवस्थी और पंडित रामगोपाल।
  • 27 दिसम्बर, 1925 को विभिन्न साम्यवादी दलो के सहयोग से कानपुर मे ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी’ की स्थापना की गई। 
  • इसने सर्वप्रथम भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की तथा नारा दिया कि ‘राजनीतिक स्वतंत्रता एक साधन है और आर्थिक स्वतंत्रता एक लक्ष्य।’

पेशावर षड्यंत्र केस (1922-23)

  • पेशावर केस में अभियुक्तों की ओर से हाई कोर्ट के नामी वकील अब्दुल कादिर ने जोरदार पैरवी की। 18 मई, 1923 को फैसला सुनाया गया, जिसमें अभियुक्तों की एक या दो साल की कड़ी सजा दी गई।
  • कानपुर षड्यंत्र केस (1924)
  • कम्युनिस्ट आंदोलन की शक्ति एवं प्रभाव को कम करने के लिए एक मुकदमा चलाया गया जिसे कानपुर षड्यंत्र केस के नाम से प्रसिद्ध है।
  • सरकार ने इस आधार पर कि ‘ये लोग एक षड्यंत्र रच रहे हैं, जिसका उद्देश्य भारत में क्रांतिकारी संगठन को स्थापित करना है और भारत से सम्राट की प्रभुसत्ता को समाप्त करना है।’
  • 21 फरवरी, 1924 को एम.एन. राय, श्रीपाद अमृत (एस.ए.) डांगे, मुजफ्फर अहमद, गुलाम हुसैन, रामचरण लाल शर्मा और सिंगारवेलू चेट्टियार पर कानपुर मे मुकदमा चलाया। मुकदमे के क्रम के केवल चार व्यक्ति नलिन गुप्ता, शौकत उस्मानी, डांगे और मुजफ्फर अहमद अदालत मे पेश किये गए।
  • 20 मई, 1924 को फैसला सुनाया गया, जिसमें चारों अभियुक्तों को चार-चार साल की कड़ी कैद की सजा दी गई। 

मेरठ षड्यंत्र केस (1922-23)

  • इसके अंतर्गत क्रांतिकारी राजनीतिक एवं ट्रेड यूनियन से जुड़े 32 नेताओं व तीन अंग्रेजों (फिलिप स्पेट, बेन ब्रैडले, लेस्ट हचिन्सन) को गिरफ्तार कर मुकदमें चलाए गए।
  • कांग्रेस में ‘कांग्रेस समाजवादी पार्टी’ की स्थापना 1934 में पटना में हुई। इसके मुख्य नेता थे- जय प्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, डॉ. राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता, कमला देवी चट्टोपाध्याय आदि।
  • दो प्रमुख युवा कांग्रेसी नेता जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस भी समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। इस पार्टी का उद्देश्य कांग्रेस के अन्दर रहते हुए स्वतंत्रता आन्दोलन चलाला था।
  • 1936 ई. में जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति में तीन समाजवादियों - जय प्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, अच्युत पटवर्धन को स्थान दिया।
  • मार्च 1939 में सुभाष चन्द्र बोस ने कांग्रेस से अलग होकर ‘फारवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना की।
भारतीय बोल्शेविक दल 
  • स्थापना - 1939 ई. में एन. दत्त मजूमदार ने की।
क्रांतिकारी साम्यवादी दल

  • स्थापना - सौम्येन्द्र नाथ टैगोर ने 1942 में की।

अतिवादी लोकतांत्रिक दल (Radical Democratic Party रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी)

  • स्थापना - एम.एन. राय ने 1940 में की।

बोल्शेविक लेनिनिस्ट दल - 

  • अजीत राय, इंद्रसेन ने की 


‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ने अंग्रेजों का साथ दिया।

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