गुप्तकाल भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’


प्रश्नः गुप्तकाल भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ माना जाता है? व्याख्या करें?

उत्तर - गुप्तकाल को भारतीय का स्वर्ण युग माना जाता है। इसे भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक समृद्धि तथा शासन व्यवस्था की स्थापना काल के रूप में जाना जाता है।
मूर्तिकला के क्षेत्र में देखें तो गुप्तकाल में भरहुत, अमरावती, सांची तथा मथुरा कला की मूर्तियों में कुषाण कालीन प्रतीकों तथा प्रारम्भिक मध्यकालीन युग की नग्नता के मध्य अच्छे संश्लेषण तथा जीवतंता का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करती है।
स्थापत्य के क्षेत्र में देवगढ़ का दशावतार मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर बोध गया और सांची के उत्कृष्ट स्तूपों का निर्माण हुआ।
चित्रकला के क्षेत्र में अजंता, एलोरा तथा बाघ की गुफाओं में की गई, चित्रकारी तथा फ्रेस्कों चित्रकारी परिष्कृत कला के उदाहरण हैं।
साहित्य के क्षेत्र में एक ओर कालिदास ने मेघदूत, ऋतुसंहार तथा अभिज्ञान शाकुंतलम् की रचना की तो दूसरी ओर नाटक तथा कविता लेखन में एक नये युग की शुरुआत हुई।
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में आर्यभट्ट ने जहां एक ओर पृथ्वी की त्रिज्या की गणना की और सूर्य-केन्द्रित ब्रह्माण्ड का सिद्धांत दिया वहीं दूसरी ओर वराहमिहिर ने चन्द्र कैलेण्डर की शुरुआत की।
गुप्तकाल में विज्ञान प्रौद्योगिकी से लेकर साहित्य, स्थापत्य तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में नये प्रतिमानों की स्थापना की गई जिससे यह काल भारतीय इतिहास में ‘स्वर्ग युग’ के रूप  में जाना गया।

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