लैफर वक्र

प्रमुख टैक्स

कर एवं शुल्क
  • कर वह अनिवार्य भुगतान है, जिसके बदले नागरिकों को सरकार से कुछ नहीं प्राप्त होता है।
  • शुल्क वह भुगतान है जो किसी सेवा के बदले नागरिकों को सरकार को चुकता करना होता है।
प्रत्यक्ष कर Direct Tax
  • ऐसे करों को प्रत्यक्ष कर कहा जाता है, जिसका विवर्तन नहीं है अर्थात जिसे व्यक्ति/संस्था पर लगाया जाता है। इस प्रकार के कर की स्थिति में कराभार और कराघात दोनों एक ही व्यक्ति पर होता है। जैसे - निगम कर, आयकर, उपहार कर।

अप्रत्यक्ष कर Indirect Tax
  • ऐसे करों को अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है, जिसके अंतर्गत कराभार तथा कराघात दोनों अलग-अलग व्यक्तियों या संस्थाओं पर होता है।
  • इसमें करों के मौद्रिक भार का विवर्तन होता है। कर का प्राथमिक भार और अंतिम भार दोनों अलग-अलग बिंदुओं पर होता है। जैसे - बिक्री कर, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क।


फ्रिंज बेनिफिट टैक्स -
  • नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों को नकद भुगतान के अतिरिक्त जो सुविधा प्रदान की जाती है। उसके समय मूल्य पर लगाया जाने वाला कर फ्रिंज बेनिफिट टैक्स कहलाता है। इस कर को नियोक्ता को भुगतान करना पड़ता है।
सेवा कर -
  • यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो किसी सेवा पर लगाया जाता है। इसको सेवा प्रदाता को भुगतान करना होता है परंतु सेवा प्रदाता इसे उपभोक्ता से वसूल लेता है।
  • भारत में सेवा कर पहली बार 1994-95 में लगाया गया है।

मैनवेट ManufacturingValue Added Tax-
  • इसका संबंध विनिर्मित उत्पादों तथा उत्पाद शुल्क से है। इसके अंतर्गत उत्पाद शुल्क उत्पादन के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है। यह प्रणाली भारत में 31 मार्च, 1986 तक प्रचलन में रही।
करापात -
  • कर के आरोपण (कर के प्रारंभिक भार) को करापातकहा जाता है। 
कराघात या कराभार -
  • कर के अंतिम भार को कराघात या कराभार कहा जाता है।
कर विवर्तन
  • कर के हस्तांतरण को कर विवर्तन कहा जाता है।
टोबिन कर -
  • नोबेल पुरस्कार विजेता जेम्स टोबिन ने 1978 ई. में विदेशी मुद्रा बाजार में समग्र लेन-देन पर कर लगाने का सुझाव दिया था जिसे टोबिन कर कहा जाता है।
  • टोबिन के अनुसार विदेशी मुद्राओं में होने वाले अधिकांश लेन-देन सट्टे एवं अंतर्राष्ट्रीय ब्याज दरों में अंतर से लाभ कमाने की प्रवृत्ति से संबंधित होते हैं। अतः ऐसे लेन-देन पर कर लगाकर पर्याप्त आय सृजित की जा सकती है।

लैफर वक्र -

  • कर की दर और उसके प्राप्त कर राजस्व के मध्य संबंधों का रेखीय चित्रण लैफर वक्र कहलाता है। शुरू में कर दर में वृद्धि होने पर कर राजस्व बढ़ता है परंतु बाद में कम होने लगता है। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कर की ऊंची दर उत्पादन को हतोत्साहित करती है।


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