DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
    • Economy
    • Constitution
    • History
      • Indian History
      • Right Sidebar
    • Geography
      • Indian Geography
      • Raj Geo
  • Mega Menu

    राजस्थान लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 कब जारी की गई?

    सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

    आदिकालीन हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियां कौन सी हैं

    सर्वप्रथम घोड़े के अवशेष सिंधु घाटी सभ्यता में कहां से मिले हैं?

    डॉ. होमी जहांगीर भाभा: भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक

  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeMahapurush

स्वामी विवेकानन्द

byDivanshuGS -January 12, 2019
0
‘‘मैं ऐसे ईश्वर में विश्वास नहीं करता जो स्वर्ग में तो मुझे आनन्द देगा, पर इस जगत् में मुझे रोटी भी नहीं दे सकता।’’- स्वामी विवेकानन्द
  • स्वामी विवेकानन्द भारत की महान् पुरुष थे जिनके प्रति वर्तमान पीढ़ी ऋणी है और आने वाली पीढ़ी सदैव ऋणी रहेगी।
  • उनके जीवन और चिन्तन ने गांधी, तिलक, बिपिनचन्द्र पाल, लाला लाजपतराय, अरविन्द घोष, नेहरू सभी को प्रभावित किया और रवीन्द्रनाथ टैगोर ने तो उनकी भांति ही अपनी रचनाओं में पूर्व तथा पश्चिम की संस्कृतियों के श्रेष्ठ तत्त्वों का समन्वय करने का प्रयास किया।
  • स्वामी विवेकानन्द ने अपने कर्मठ और तेजोन्मय जीवन तथा गहन आध्यात्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों की छाप विदेशों तक में छोड़ दी। 
  • स्वामी विवेकानन्द ने देशवासियों को शक्ति और निर्भयता का जो सन्देश दिया वह युग-युग के लिए अमर रहेगा।
जीवन परिचय
  • स्वामी विवेकानन्द (1863-1902)
  • जन्म: 12 जनवरी, 1863 में कलकत्ता
  • बचपन का नाम: नरेन्द्रनाथ दत्त
  • गुरु: श्री रामकृष्ण परमहंस
  • दर्शन: आधुनिक वेदांत, राजयोग
  • ‘‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।’’
धर्म की सार्वभौमिकता
  • स्वामी विवेकानन्द ने धर्म का व्यापकतम अर्थ लेते हुए सार्वभौम धर्म का प्रतिपादन किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न दर्शन पद्धतियों में कोई विरोध नहीं है और वेदान्त अंतिम एकता को खोजने के प्रयास के अतिरिक्त कुछ नहीं है तथा वह एक सफल प्रयास है।
  • उन्होंने वैश्विक प्रेम, प्यार और सेवा की भावना में प्रवाहित होते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि धर्म विध्वंसात्मक नहीं, निर्माणात्मक है।
  • सार्वभौम धर्म को प्राप्त करने का मार्ग यह नहीं है कि किसी एक धर्म को अपनाकर दूसरे धर्म की निन्दा की जाए। 
  • प्रत्येक धर्म में अपना-अपना दर्शन, पुराण और कर्मकाण्ड है।
  • सबका अपना-अपना महत्त्व है।
  • फिर भी यह नहीं भूलना चाहिए कि मनुष्यों के स्वभाव भी भिन्न-भिन्न है अर्थात् कोई विचारक है तो कोई दार्शनिक, कोई भक्तिवादी है तो कोई रहस्यवादी और कर्मकाण्डी।
  • यही कारण है कि योग के ध्यानयोग, राजयोग, हठयोग, भक्तियोग और कर्मयोग आदि कितने ही भेद बताए गए हैं, जबकि लक्ष्य सबका एक ही है और वह है आत्मा की प्राप्ति।
  • स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि ‘‘समस्त धर्म ईश्वर की अनंत शक्ति का केवल विभिन्न प्रकाश है और वे मनुष्यों का कल्याण साधन कर रहे हैं - उनमें से एक भी नहीं मरता, एक को भी विनष्ट नहीं किया जा सकता। समय के अभाव से वे उन्नति या अवनति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। परन्तु उनकी आत्मा या प्राणवस्तु उनके पीछे मौजूद है, वह कभी विनष्ट नहीं हो सकती। प्रत्येक धर्म का जो चरम आदर्श है, वह कभी विनष्ट नहीं होता, इसलिए प्रत्येक धर्म ही ज्ञात भाव से अग्रसर होता जा रहा है।’’
  • विवेकानन्द किसी भी रूप में साम्प्रदायिकता और धार्मिक विद्वेष के पक्ष में नहीं थे। उनका कहना था कि हमें ‘‘सतर्क रहकर चेष्टा करनी होगी कि धर्म से किसी संकीर्ण सम्प्रदाय की सृष्टि न हो पाए। इससे बचने के लिए हम अपने के एक असाम्प्रदायिक सम्प्रदाय बनान चाहेंगे। सम्प्रदाय से जो लाभ होते हैं वे भी उसमें मिलेंगे अैर साथ ही साथ सार्वभौमिक धर्म का उदारभाव भी उसमें होगा।’’

धार्मिक संकीर्णता से ऊपर उठते हुए स्वामी विवेकानन्द ने घोषणा कि -

  • ‘‘अतीत के धर्म-सम्प्रदायों को सत्य कहकर ग्रहण करके मैं उन सबके साथ आराधना करूंगा। प्रत्येक सम्प्रदाय जिस भाव से ईश्वर की आराधना करता है, मैं उनमें से प्रत्येक के साथ ही ठीक उसी भाव से आराधना करूंगा। मैं मुसलमानों के साथ मस्जिद में जाऊंगा, ईसाइयों के साथ गिरजे में जाकर क्रूसविद्ध ईसा के सामने घुटने टेकूंगा, बौद्ध के मन्दिर में प्रवेश् कर बुद्ध और संघ की शरण लूंगा अैर अरण्य में जाकर हिन्दुओं के पास बैठ ध्यान में निमग्न हो, उनकी भांति सबके हृदय को उद्भासित करने वाली ज्योति के दर्शन करने में सचेष्ट होऊंगा। केवल इतन ही नहीं, जो पीछे आएंगे उनके लिए भी हम हृदय उन्मुक्त रखेंगे। क्या ईश्वर की पुस्तक समाप्त हो गई? अथवा अभी भी वह क्रमशः प्रकाशित हो रही है? संसार की यह आध्यात्मिक अनुभूति एक अद्भुत पुस्तक है। वेद, बाईबिल, कुरान तथा अन्यान्य धर्मग्रन्थ-समूह मानो उसी पुस्तक में एक-एक पृष्ठ हैं और उसके असंख्य पृष्ठ अभी भी अप्रकाशित हैं। मेरा हृदय उन सबके लिए उन्मुक्त रहेगा।’’
रुचिनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानपथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इवं
  • जैसे विभिन्न नदियां भिन्न-भिन्न स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्न-भिन्न रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जानेवाले लोग अन्त में तुझमें ही आकर मिल जाते हैं।

शक्ति और निर्भयता अथवा प्रतिरोध का सिद्धांत
  • स्वामी विवेकानन्द उत्कट देशभक्त और संवेगात्मक देशभक्ति के मूर्त रूप थे जिन्होंने अपने देश, उसकी जनता तथा उसके आदर्शों के साथ अपनी चेतना का तादात्म्य स्थापित कर लिया। 
  • स्वामी विवेकानन्द ने भारतीयों को शक्ति और निर्भीकता का सन्देश दिया और उनके हृदय में यह भावना भरने की कोशिश की कि शक्ति तथा निडरता के अभाव में न तो व्यक्तिगत अस्तित्व की रक्षा हो सकती है और न अपने अधिकारों के लिए संघर्ष ही किया जा सकता है। 
  • उन्होंने कहा था - ‘‘मैं कायरता को घृणा की दृष्टि से देखता हूं। कायर तथा राजनीतिक मूर्खता के साथ मैं अपना सम्बन्ध नहीं रखना चाहता।’’
  • ‘‘जो कुछ भी तुम्हें भौतिक रूप से, बौद्धिक रूप से अथवा आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनाता है, उसे तुम जहर समझो। उसमें जीवन नहीं है तो वह कभी सत्य नहीं हो सकता। सत्य बल देता है, सत्य शुद्ध है, सत्य सम्पूर्ण ज्ञान है।’’
  • विवेकानन्द ने भारतीयों को ललकारा - ‘‘अगर दुनिया में कोई पाप है तो वह है दुर्बलता, दुर्बलता को दूर करो, दुर्बलता पाप है, दुर्बलत मृत्यु है - अब हमारे देश् को जिन वस्तुओं की आवश्यकता है, वे हैं लोहे के पुट्ठे, फौलाद की नाड़ियां और ऐसी प्रबल मनःशक्ति जिसको रोका न जा सके।’’
  • 4 जुलाई, 1902 ई. को बेलूर में रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यानमग्न अवस्थ में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए।


Tags: Mahapurush
  • Facebook
  • Twitter
You might like
Responsive Advertisement
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Geography

विश्व के प्रमुख मरुस्थलों से संबंधित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

शुक्र ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

जेट स्ट्रीम क्या है? उत्तरी भारत में दक्षिणी- पश्चिमी मानसून के अचानक फटने के लिए 'पूर्वी जेट-स्ट्रीम' कैसे जिम्मेदार है?

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

राजस्थान लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 कब जारी की गई?

DivanshuGS- July 19, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Accept !
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
    • Economy
    • Constitution
    • History
      • Indian History
      • Right Sidebar
    • Geography
      • Indian Geography
      • Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET

Contact Form