ज्वालामुखियों का वितरण


  • अधिकांश ज्वालामुखी समुद्र तटों के निकट अथवा द्वीपों पर स्थित हैं, क्योंकि इन भागों में समुद्री जल के भू-गर्भ में पहुंचने की संभावनाएं अधिक होती हैं। 
  • इनका दूसरा प्रमुख क्षेत्र नये वलित पर्वतों का क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में पर्वत निर्माणकारी हलचलों के कारण पड़े वलनों के प्रदेश में भू-पटल बहुत पतला तथा दुर्बल हो जाता है। 

प्रमुख ज्वालामुखी पेटियां निम्नलिखित है -

प्रशान्त महासागरीय पेटी -

  • प्रशान्त महासागर के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर बड़ी संख्या में ज्वालामुखी पाए जाते हैं। यह एक विस्तृत पेटी है जिसे प्रशान्त महासागर का अग्नि वलय कहते हैं।
  • इस पेटी का विस्तार पूर्वी तट पर दक्षिणी अमेरिका के अन्तरीप हॉर्न से लेकर उत्तरी अमेरिका के अलास्का तट तक है। 
  • पश्चिमी तट पर इसका विस्तार एशिया के पूर्वी तट के साथ-साथ है। यहां यह पेटी क्यूराइल द्वीप समूह, जापान, फिलीपाइन्स तथा पूर्वी द्वीप समूह तक फैली हुई है।

मध्य विश्व पेटी -
  • यह पेटी यूरोप तथा एशिया के मध्यवर्ती भागों में आल्प्स तथा हिमालय पर्वत के साथ-साथ पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई है। 
  • यह मैडीरा और कनारी द्वीप समूह से आरम्भ होकर भूमध्य सागर, काकेशस, आरमीनिया, ईरान, बलूचिस्तान से होती हुई हिमालय क्षेत्र में प्रवेश करती है। 
  • हिमालय को पार करके यह यूनान, म्यांमार, अंडमान निकोबार और इंडोनेशिया तक चली गई है।

अफ्रीकन रिफ्ट घाटी -
  • यह अफ्रीका के पूर्वी भाग में झील क्षेत्र से लाल सागर तक होती हुई उत्तर में पैलेस्टाइन तक फैली है। 
  • इसका सबसे क्रियाशील ज्वालामुखी कैमरून पर्वत है। 
  • तंजानिया का किलिमंजारों एक मृत ज्वालामुखी है जो रिफ्ट से बाहर है।

अन्य क्षेत्र -
  • कुछ ज्वालामुखी अटलांटिक महासागर में भी हैं। 
  • इस महासागर के केप वर्डे प्रमुख है। 
  • आइसलैण्ड में बीस से भी अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
  • एजोर्स, सेंट हैलीना आदि अन्य ज्वालामुखी द्वीप है।
  • हिन्दमहासागर में कोमारो, मारीशस, रियूनियन आदि प्रमुख ज्वालामुखी है।
  • अण्टार्कटिका महाद्वीप में रॉस सागर के तटीय भागों पर बुस तथा टेरर सक्रिय ज्वालामुखी है। 


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