इसरो ने लॉन्च किया जीसैट-7 ए


  • इसरो का जीसैट-7 ए लॉन्च
  • इसरो चेयरमैन - के. सिवन 
  • इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से संचार उपग्रह जीसैट-7 ए सफलतापूर्वक लॉन्च कर किया। 
  • जीएसएलवी-F11 नामक रॉकेट ने अंतरिक्ष में अपनी तय कक्षा में पहुंचा दिया। यह उपग्रह वायु सेना की कम्युनिकेशन प्रणाली को और दुरुस्त बनाएगा। 
  • एयरक्राफ्ट के बीच हवा से हवा में वास्तविक समय में संपर्क हो सकेगा, ग्राउंड के जरिए संपर्क करने की जरूरत नहीं होगी।

क्या है जीसैट-7 ए

  • 2250 किलोग्राम वजन पेलोड- केयू बैंड ट्रांसपोंडर्स
  • 8 साल मिशन की अवधि, 800 करोड़ रुपए की लागत 

  • गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व इसरो ने नेवी के लिए रुक्मणि उपग्रह भी लॉन्च किया था। 
  • विश्व में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही अभी तक अपनी सेना के लिए इस प्रकार के उपग्रह प्रक्षेपित कर चुके हैं।  
  • इस उपग्रह में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए करीब 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है।
  • इस उपग्रह में ग्रिगोरियन एंटीना लगाया गया है। इसका इस्तेमाल सिविलियन और मिलिट्री कम्युनिकेशन के लिए होगा।

क्या करेगा जीसैट-7 ए

  • यह उपग्रह वायुसेना के विमान, हवा में मौजूद अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन और ग्राउंड स्टेशनों को जोड़ देगा जिससे एक केंद्रीकृत नेटवर्क तैयार होगा। 
  • यह केयू-बैंड के उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमताएं मुहैया कराने के साथ-साथ वायुसेना के लिए भी उपयोगी उपग्रह है। 
  • इस उपग्रह की सहायता से वायुसेना को भूमि पर राडार स्टेशन, एयरबेस और एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) से इंटरलिंकिंग की सुविधा मिलेगी, जिससे उसकी नेटवर्क आधारित युद्ध संबंधी क्षमताओं में विस्तार होगा और ग्लोबल कार्यक्षेत्र में दक्षता बढ़ेगी। 
  • इसके जरिए लंबी दूरी में मौजूद किसी भी एयरक्राफ्ट और पोत का पता लग सकेगा।
  • ड्रोन से वीडियो और इमेज लेकर ग्राउंड स्टेशन को भेजकर निगरानी में मदद करेगा।
  • ये अन्य सैटेलाइट और ग्राउंड स्टेशन के रडार और भारतीय समुद्री क्षेत्र के स्टेशन की कवरेज को बढ़ाएगा।
  • लंबी दूरी में ड्रोन, यूएवी के जरिए एनिमी टारगेट पर हमले की रेंज बढ़ाने और नियंत्रण में मदद करेगा। भारत अमेरिका से गार्जियन ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है जो ऊंचाई से लक्ष्य पर हमला कर सकता है।

क्या है केयू बैंड का फायदा

  • छोटे एंटीना से भी सिग्नल प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • किसी अन्य बैंड की तुलना में ज्यादा बीम कवरेज देता है।
  • बारिश व अन्य मौसमी व्यवधानों में कम प्रभावित होता है।
  • 14 नवंबर : जीएसएलवी मार्क-3 डी-2 से जीसैट-29
  • 29 नवंबर : पीएसएलवी सी-43 से हाइसिस
  • 19 दिसंबर : जीएसएलवी एफ-11 से जीसैट-7ए
  • 5 दिसंबर को फ्रेंच गुयाना (विदेशी जमीन से) से जीसैट-11

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