साइबर अपराधः आधुनिक प्रौद्योगिकी का बढ़ता दुरुपयोग



  • साइबर स्पेस वह काल्पनिक स्पेस (स्थान) है जहां देश-विदेश के कम्प्यूटरों के मध्य आंकड़ों अथवा सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। 

साइबर अपराध - 

  • साइबर स्पेस में सेंधमारी कर, वहां मौजूद आंकड़ों अथवा सूचनाओं की चोरी अथवा उनमें फेरबदल करना साइबर अपराध कहलाता है।
  • ये आंकड़े अथवा सूचनाएं देश की रक्षा से जुड़े हो सकते हैं या किसी बैंक से भी।
  • इस तरह कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ नाजायज छेड़छाड़ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामलों का कारण बनती है। 
  • कम्प्यूटर की दुनिया की प्रचलित भाषा में इस तरह के साइबर अपराधों में अमूमन वित्तीय हेराफेरी, महत्त्वपूर्ण सूचनाओं की चोरी तथा कम्प्यूटर प्रणाली के साथ छेड़छाड़ व उसमें वायरस आदि डाले जाने की घटनाएं शामिल होती है।
  • साइबर अपराध एक ऐसी बुराई है जो आधुनिक जीवन में कम्प्यूटर पर बढ़ती निर्भरता के कारण पैदा हुई है। वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम बनने के बाद इसे कानूनी परिभाषा का जामा पहनाया गया। इस अधिनियम के अनुसार, कोई भी ऐसा गैरकानूनी कृत्य जिसमें कम्प्यूटर एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया गया हो या उसे निशाना बनाया गया हो या वह निशाना और औजार दोनों हो, साइबर अपराध कहलाता है। इनमें आर्थिक अपराध (लोगों को विश्वास में लेकर क्रेडिट कार्ड के नंबर हासिल कर पैसा खर्च कर लेना), साइबर अश्लीलता, अवैध सामान की बिक्री, ऑनलाइन जुआ (एक तरह की मनी लांडरिंग यानी ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में तब्दील करना), बौद्धिक सम्पदा अपराध (सॉफ्टवेयर पाइरेसी, कम्प्यूटर सोर्स कोड की चोरी, कॉपीराइट का उल्लंघन आदि), गलत तथा अश्लील ई-मेल संदेश भेजना, जालसाजी, साइबर मानहानि और साइबर स्टाकिंग शामिल हैं।
  • अब तो आतंकवादियों ने भी इंटरनेट और कम्प्यूटरों का व्यापक इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए करना शुरू कर दिया है। इन गतिविधियों को ‘साइबर आतंकवाद’ का नाम दिया जाता है।
  • आतंकवादी संगठन और माफिया के सदस्य आपस में ई-मेल अथवा मोबाइल फोन के जरिये जुड़े रहते हैं। 
  • किसी गोपनीय संदेश को इस तरह भेजने की तकनीक को स्टैगैनोग्राफी कहते हैं।
  • वेबसाइटों के साथ छेड़छाड़ करने के अलावा साइबर आतंकवादी सर्वर या पूरी कम्प्यूटर प्रणाली को ही ओवरलोड करके उसे अपने घेरे में ले लेते हैं। इस तरह बिजली, पानी की सप्लाई और लिफ्ट जैसी आवश्यक सुविधाओं तथा बैंकिंग, चिकित्सा, रेल व विमान सेवा तक को ठप करने की वे कोशिश करते हैं। निस्संदेश, इन हरकतों से होने वाला नुकसान और उनसे फैलने वाला आतंक से कई गुना अधिक कहर बरपा सकता है। इसे डिनायल ऑफ सर्विसेज अटैक का नाम दिया जाता है।
  • साइबर आतंकवादी रेलगाड़ी और विमानों को दिशा-निर्देश देने वाले कम्प्यूटरों में ही वायरस डाल देते हैं, जिससे कि उन्हें सही दिशा-निर्देश न मिल पाने के कारण दुर्घटना या टक्कर हो जाती है।

कुछ प्रमुख साइबर अपराध

हैकिंग:- 

  • अनधिकृत रूप से कम्प्यूटर प्रणाली और नेटवर्क में प्रवेश करना हैकिंग कहलाता है। कम्प्यूटर में उपस्थित सूचनाओं को क्षतिग्रस्त करना, उनका दुरुपयोग करना, मिटा देने तथा हार्ड डिस्क से सूचना की चोरी करना आदि हैकिंग के अंतर्गत आते हैं। 

डिनायल ऑफ सर्विसेज अटैकः-

  • वेब सर्वर में मांगों की ऐसी बाढ़ पैदा कर दी जाती है कि मांगों को पूरा करने की उसकी क्षमता ही बैठ जाती है। इस तरह की ओवरलोडिंग के कारण बिजली तथा जल आपूर्ति जैसी जरूरी सुविधाएं ठप हो जाती हैं।

कम्प्यूटर वायरस/वॉर्म का हमलाः-

  • वायरस ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो कम्प्यूटर की फाइल में घुस कर अन्य फाइलों और ड्राइव व नेटवर्क में लगे अन्य कम्प्यूटरों में फैल जाते हैं। वायरस कम्प्यूटर का डाटा या तो खराब/डिलीट कर देते हैं या उसमें परिवर्तन कर देते हैं। वायरस के विपरीत कम्प्यूटर वॉर्म कम्प्यूटर में जज्ब हो जाते हैं और तब तक होते रहते हैं जब तक उसकी मेमोरी का पूरा स्पेस न खा जायें। 
  • वर्ष 2000 में ‘लव बग’ नामक वायरस के कारण अमेरिका में 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो गया था।

लॉजिक बम - 

  • यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो किसी खास दिन या विनाशकारी दिन की तारीख पर सक्रिय होता है।

ट्रोजन अटैकः- 

  • किसी व्यक्ति का ई-मेल एड्रेस इस्तेमाल कर उसे परेशानी में डालना ट्रोजन अटैक कहलाता है।

इंटरनेट टाइम की चोरीः-

  • इंटरनेट पासवर्ड हासिल कर किसी अन्य द्वारा खरीदे हुए टाइम का इस्तेमाल करना।

ई-मेल बांबिंगः-

  • अत्यधिक संख्या में ई-मेल, भेजकर किसी के सर्वर या ई-मेल एकाउंट को नष्ट कर देना ई-मेल बांबिंग कहलाता है।

डाटा डिंडलिंगः- 

  • कम्प्यूटर पर प्रोसेस होने से पहले डाटा में परिवर्तन कर देना और प्रोसेस होने के बाद उसे फिर वास्तविक रूप में बदल देना डाटा डिंडलिंग कहलाता है।

उपसंहार -

  • अब समय आ गया है कि समाज और साइबर स्पेस तथा उससे जुड़े तमाम कार्यों के बारे में समाज को ही जागरूक बनाया जाये। साइबर अपराध से लोहा लेना एक निरंतर चलने वाली लड़ाई हे और इस तरह के अपराध से निपटने के लिए हमें और मुस्तैदी से काम लेना होगा तथा उन्नत तौर-तरीके खोजने होंगे। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधन करना होगा।


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