हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है

हड़प्पा


  • यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के बांये तट पर स्थित है।
  • इस टीले का उल्लेख सर्वप्रथम 1826 ई. में चार्ल्स मेसन ने किया था। 
  • 1921 ई. में दयाराम साहनी के नेतृत्व में (1926 में माधोस्वरूप वत्स) इसकी खुदाई की गई।
  • 1946 में मार्टीमर ह्वीलर ने व्यापक स्तर पर उत्खनन करवाया। 
  • हड़प्पा से प्राप्त दो टीलों में पूर्वी टीले को नगर टीला तथा पश्चिमी टीले को दुर्ग टीला कहते हैं।
  • हड़प्पा का दुर्ग क्षेत्र सुरक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था।
  • यहां पर छः-छः की दो पंक्तियों में निर्मित कुल 12 कक्षों वाले एक अन्नागार का अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • सामान्य आवास क्षेत्र के दक्षिण में एक कब्रिस्तान स्थित है, जिसे समाधि आर-37 नाम दिया गया है। समाधि-एच भी मिली है।
  • यहां पर खुदाई से कुल 57 शवाधान पाए गए हैं। शव प्रायः उत्तर-दक्षिण दिशा में दफनाए जाते थे जिनमें सिर उत्तर की ओर होता था।
  • 12 शवाधानों से कांस्य दर्पण भी पाए गये हैं। लकड़ी का ताबूत भी मिला है।
  • हड़प्पा के ‘एफ’ टीले में पकी हुई ईंटों से निर्मित 18 वृत्ताकार चबूतरे मिले हैं। हर चबूतरे पर ओखली लगाने के लिए छेद था।
  • इन चबूतरों के छेदों से राख जले हुए गेहूं तथा जौ के दाने एवं भूसा के तिनके मिले हैं।
  • मार्टीमर व्हीलर का अनुमान है कि इन चबूतरों का उपयोग अनाज पीसने के लिए किया जाता रहा होगा।
  • श्रमिक आवास के रूप में विकसित 15 मकानों की दो पंक्तियां मिली है जिनमें उत्तरी पंक्ति में सात एवं दक्षिणी पंक्ति में 8 मकानों के अवशेष प्राप्त हुए है। आकार 17 वाई 7.5 मीटर
  • प्रत्येक गृह में कमरे तथा आंगन होते थे। इनमें मोहनजोदडों के घरों की तरह कुंए नहीं मिले है।
  • सिंधु सभ्यता में अभिलेख युक्त मुहरें सर्वाधिक हड़प्पा से मिले है।
  • नगर की रक्षा के लिए पश्चिम की ओर स्थित दुर्ग टीले को ह्वीलर ने माउण्ट ए-बी की संज्ञा प्रदान की है।
  • हड़प्पा में अन्नागार गढ़ी से बाहर मिला है, वही मोहनजोदड़ो में यह गढ़ी के अन्दर है।

कुछ महत्वपूर्ण अवशेष -

  • तांबे का पैमाना मिला है।
  • एक बर्तन पर मछुआरे का चित्र बना है।
  • शंख का बना बैल, तांबे का बना इक्कागाड़ी
  • स्त्री के गर्भ से निकला हुआ पौधा
  • ईंटों के वृत्ताकार चबूतरे, गेहूं तथा जौ के दानों के अवशेष भी मिले हैं।
  • हड़प्पा में मोहनजोदड़ो के विपरीत पुरुष मूर्तियां नारी मूर्तियों की तुलना में अधिक हैं।


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