राजस्थान स्थापत्य कला: छतरियां

 

Rajasthan Sthapatya Kala: Chhatariyan

छतरियां 

  • राजपूताना में राजाओं के मरणोपरांत उनकी स्मृति में स्थापत्य की दृष्टि से विशिष्ट स्मारक बनाए जाते थे, जिन्हें छतरियां तथा देवल के नाम से जाना जाता है। 
  • स्थापत्य कला की दृष्टि से इन स्मारकों का बहुत महत्व है। 
  • छतरियों का निर्माण हिंदू एवं मुस्लिम स्थापत्य शैलियों में किया गया है। ये अनेक स्तम्भों पर टिकी हुई अष्टकोणीय चबूतरा, गोल गुम्बद, राजपूती मेहराबदार छतरियां, मूर्तिकला और बेलबूटों से सुसज्जित हैं।
  • राजाओं की छतरियों में अधिकतर पगले बने हैं तो शैवों, नाथों की छतरियों में खडाउ, शिवलिंग या नंदी प्रतीक में बने है। इस दृष्टि से जोधपुर के महामंदिर की छतरी विशेष उल्लेखनीय है। 

 

प्रसिद्ध छतरियां Prasiddha Chhatariyan

  • गैटोर, जयपुर
  • जसवंत थड़ा, जोधुपर
  • छत्र विलास बाग, कोटा
  • बड़ा बाग, जैसलमेर 


  • बड़ा बाग की छतरियां जैसलमेर के पीले पत्थर से निर्मित हैं।


84 खम्भों की छतरी 84 khambhon ki chhatari

  • बूंदी के राव अनिरुद्ध सिंह ने धाबाई देवा की स्मृति में देवपुरा गांव में 1683 ई. में इसका निर्माण करवाया। इसके खम्भों पर कामसूत्र के 84 आसनों को दर्शाया गया है। 84 योनियों का स्मरण दिलाया गया है। 

गैटोर की छतरियां


जयपुर के महाराजाओं की छतरियां

Jaipur ke Maharajon ki chhatariyan

गैटोर की छतरियां Gaitor ki chhatariyan

  • जयपुर के कच्छवाहा शासकों की सफेद संगमरमर से निर्मित कलात्मक छतरियां
  • महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय से लेकर महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय तक के राजाओं व उनके पुत्रों की स्मृति में 
  • यहां केवल सवाई ईश्वरी सिंह की छतरी नहीं है। उसने आत्महत्या कर ली थी।
  • पंचायतन शैली में निर्मित हैं।
  • यह नागरगढ़ किले की तलहटी में स्थित जयपुर के राजाओं का निजी श्मशान घाट है। 
  • सवाई ईश्वरी सिंह की छतरी, जयपुर
  • सिटी पैलेस के जयनिवास उद्यान में जिसका निर्माण सवाई माधोसिंह द्वितीय ने करवाया था।


राजा मानसिंह प्रथम की छतरी

  • आमेर से 2 किमी दूर हांडीपुरा गांव में राजस्थान के भित्ति चित्रों में प्राचीनतम चित्र इसी छतरी के हैं। इसके चित्र मुगल बादशाह जहांगीरकालीन हैं। 


भारमल की छतरी, जयपुर

  • जयपुर राजपरिवार की महा​रानियों की छतरियां, जयपुर


बूंदी Bundi shasakon ki chhatariyan

  • बूंदी शासकों व राजपरिवारों की 66 छतरियां हैं। जिसमें महाराज कुमार से लेकर महाराज विष्णुसिंह की छतरी निर्मित हैं।


जोधपुर के महाराजाओं की छतरियां

Jodhpur ke Maharajon ki chhatariyan


मण्डोर की छतरियां Mandor ki chhatariyan

  • जोधपुर के राजाओं की छतरियां बनी हुई हैं। 
  • राव मालदेव के समय से छतरियां पंचकुण्ड के स्थान पर मण्डोर में बनाई जाने लगी।
  • मण्डोर से पहले जोधपुर के राजाओं की छतरियों पंचकुण्ड नामक स्थान पर होती थी।
  • मण्डोर से 4 मील दूर पंचकुण्ड नामक स्थान पर राव चूण्डा, राव रणमल, राव जोधा व राव गंगा की छतरियां हैं।
  • पंचकुण्ड के दक्षिण में मारवाड़ की रानियों की छतरियां निर्मित हैं।


कागा की छतरियां, मण्डौर, जोधपुर Kaga ki chhatariyan

  • राजपरिवार के सदस्यों की छतरियां है। यहां ऋषि काग भुशुंडि ने तपस्या की थी। कागा में शीतला देवी का मंदिर भी  है जिसका निर्माण जोधपुर नरेश विनयसिंह ने करवाया था। इस मंदिर के पास दीवान दीपचन्द की छतरी स्थित है। 
  • कागा की छतरियों के पास महाराजा जसवंत सिंह के काल में बक नामक जादूगर द्वारा एक दिन में लगाया गया अनार का बगीचा है। 

मामा—भांजा की छतरी Mama-Bhanja ki chhatari

  • मण्डोर, जोधुपर 
  • महाराजा अजी​तसिंह द्वारा निर्मित
  • लोहापोल के पास धन्ना—भींया की 10 खम्भों की स्मारक छतरी है। धन्ना गहलोत तथा भींया चौहान आपस में मामा—भांजे थे। इन्होंने जोधपुर नरेश अजीतसिंह के प्रधानमंत्री एवं अपने स्वामी मुकुन्द दास चम्पावत की हत्या का बदला ठाकुर प्रतापसिंह उदावत से लेकर स्वामीभक्ति का परिचय दिया तथा आत्मबलिदान किया। 
  • उनकी स्मृति में महाराज अजीत सिंह ने इस छतरी का निर्माण करवाया था।


कीतर सिंह सोढ़ा की छतरी 

मेहरानगढ़, जोधपुर

इसका निर्माण राजा मानसिंह ने करवाय।

सेनापति इन्द्रराज सिंघि की छतरी

नागौरी गेट के पास, जोधपुर

जोधपुर के महाराजा मानसिंह के सेनापति की छतरी है। 

गोराधाय की छतरी Goradhay ki chhatari

  • जोधपुर शहर
  • 1711 ई. में महाराजा अजीतसिंह ने अपनी धाय मां गोराधाय की स्मृति में इस छतरी का निर्माण करवाया था।


प्रधानमंत्री की छतरी, जोधपुर Pradhanmantri ki chhatari, Jodhpur

  • 18 खंभों की इस छतरी का निर्माण महाराजा जसवंत सिंह प्रथम ने करवाया। उन्होंने अपने प्रधानमंत्री राजसिंह कुंपावत, जिसने ​जसवंत सिंह की रक्षा के लिए अपने प्राणोत्सर्ग कर दिए। उनके बलिदान की स्मृति में इस छतरी का निर्माण करवाया गया। इसमें लाल पत्थरों का उपयोग किया गया है। 


ब्राह्मण देवता की छतरी 

  • मण्डोर में पंचकुण्डा क निकट लाल बलुई पत्थर की छतरी, मेहरानगढ़ दुर्ग के तांत्रिक अनुष्ठान में जिस ब्राह्मण ने आत्मबलिदान दिया, उसकी स्मृति में है। यह शिल्प कला व स्थापत्य कला का अद्भुत स्मारक है। 


सिंघवियों की छतरी

  • जोधपुर नरेश भीमसिंह के सेनापति सिंघवी अखैराज की छतरी प्रमुख है। यह 20 खंभों से निर्मित है और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। 


उदयपुर के महाराजाओं की छतरियों Udaipur ke Maharajon ki chhatariyan

  • आहड़ की छतरियां/महासतियां, उदयपुर

मेवाड़ के महाराणाओं की छतरियां Mevar ke Maharajon ki chhatariyan

  • महाराणा अमरसिंह प्रथम से लेकर अब तक 
  • सबसे विशाल संग्राम सिंह द्वितय की छतरी है। 

महाराणा प्रताप की छतरी

  • बाड़ोली गांव उदयपुर 
  • निर्माण — अमरसिंह प्रथम 
  • 8 खंभों की 
  • केजड़ बांध पर स्थित है। 
  • चेतक की छतरी — बलीचा गांव, राजसमंद
  • राणा सांगा की छतरी— माण्डलगढ़, भीलवाड़ा में 8 खंभों की।
  • उड़ना राजकुमार कुंवर पृथ्वीराज सिसोदिया की छतरी — कुम्भलगढ़ दुर्ग
  • 12 खम्भों की।
  • कल्ला राठौड़ की छतरी — चित्तौड़ दुर्ग
  • महाराणा उदयसिंह की छतरी — गोगुन्दा, उदयपुर


बीकानेर राजपरिवार की छतरियां

  • देवीकुंड सागर

कोटा के हाड़ा शासकों की छतरियां

  • क्षारबाग, कोटा

जैसलमेर के महारावलों की छतरियां


  • बड़ा बाग की छतरियां, जैसलमेर

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