प्रकाश का प्रकीर्णन

 

प्रकाश का प्रकीर्णन

वर्ण विपथन (Chromatic Aberration):  

  • श्वेत प्रकाश से लेस द्वारा किसी वस्तु का बनने वाला प्रतिबिंब प्रायः रंगीन व अस्पष्ट होता है। तेस द्वारा उत्पन्न प्रतिबिम्व के इस दोष को ही वर्ण विपथन कहते है। यह दोष इसलिए उत्पन्न होता है क्योंकि लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक तथा इसके कारण लेंस की फोकस दूरी भिन्न-भिन्न रंगों के लिए भिन्न-भिन्न होती है

प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light): 

  • जब प्रकाश स्रोत व पर्दे के बीच कोई वस्तु रखी जाती है, तो पर्दे पर उसकी छाया बन जाती है यदि यह अवरोध आकार में छोटा हो, तो अवरोधों के किनारों पर प्रकाश मुड़कर छाया में प्रवेश कर जाता है जिस कारण अवरोध की छाया के किनारे तीक्ष्ण नहीं होते प्रकाश द्वारा अवरोध के किनारों पर मुड़ने की घटना को 'प्रकाश का विवर्तन' कहते हैं।
  • प्रकाश के विवर्तन के कारण ही दूरदर्शी में तारों के प्रतिबिम्ब तीक्ष्ण बिंदुओं की तरह न दिखाई देकर अस्पष्ट धब्बों की तरह दिखाई देते हैं।
  • ध्वनि तरंगों की तरंग दैर्ध्य प्रकाश के तरंग दैर्ध्य की तुलना अधिक होती है। इस कारण से ध्वनि तरंगों में विवर्तन की घटना आसानी से देखने को मिलती है।
  • प्रिज्म से गुजरने पर प्रकाश के रंगों में बैंगनी रंग का विचलन सबसे अधिक दर्शाएगा क्योंकि इस रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम और प्रिज्म में इस रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है।


प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light):

  • माध्यम के कणों द्वारा प्रकाश का सभी दिशाओं में होने वाला प्रसारण प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है।
  • सर्वाधिक प्रकीर्णन बैंगनी रंग के प्रकाश का एवं सबसे कम लाल रंग के प्रकाश का होता है।
  • वायुमंडल में विद्यमान धूल आदि के कणों के कारण हमें प्रकीर्णित प्रकाश का मिश्रित रंग हल्का नीला दिखाई पड़ता है। 
  • फलत: पृथ्वी से आकाश नीला दिखाई देता है जबकि ऐसे स्थान (जैसे चन्द्रमा) जहाँ वायुमंडल नहीं है वहां से आकाश काला दिखाई देता है।
  • लाल रंग का प्रकीर्णन कम होने के कारण सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य लाल रंग का दिखाई पड़ता है जबकि मध्याह्न में जब दूरी कम होती है, तो प्रकाश का प्रकीर्णन कम होने के कारण सूर्य हम श्वेत सातों रंगों का मिला रूप दिखाई पड़ता है।


प्रकाश तरंगों का ध्रुवण (Polarisation of Light Waves): प्रकाश की प्रकृति तरंग प्रकृति है।

अनुप्रस्थ तरंग की पुष्टि प्रकाश के ध्रुवण से की जा सकती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रकाश तरंगें एक प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं जिनमें विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे के परस्पर लम्बवत् होते हैं व तरंग के संचरण की दिशा के लम्बवत् तलों में कंपन करते हैं।

विद्युत बल्ब, ट्यूबलाइट आदि से उत्सर्जित होने वाली प्रकाश तरंगें अध्रुवित तरंगें होती है।

समतल ध्रुवित प्रकाश उत्पन्न करने के लिए पोलेराइडों का प्रयोग करते हैं। यह एक बड़े आकार की फिल्म होती है जिसे दो कांच की प्लेटों के बीच रखा जाता है। 

फिल्म नाइट्रो सेलुलोज (Nitro Cellulose) तथा हरपेथाइट (Her pothite) के मिश्रण की बनी होती है। सिनेमाघर में पोलेराइड चश्मे पहनकर तीन विमाओं वाले चित्रों को देखा जाता है।

मरीचिकाः 

गर्मियों में गर्म व शांत दोपहर के समय मस्स्थल सूर्य की गर्मी से अत्यधिक गर्म हो जाते हैं। कभी-कभी गर्म मरुस्थलों में रेत के ऊपर दूर की वस्तुओं अथवा आकाश के कुछ भागों के प्रतिबिम्ब दिखाई देते हैं जो प्यासे यात्रियों अथवा पशुओं को भ्रमित कर देते हैं और उन्हें यह लगता है कि ये प्रतिबिम्ब किसी दूरस्थ झील अथवा पानी से भरे तालाब से परावर्तन द्वारा बन रहे हैं। परन्तु जब वे उस क्षेत्र तक पहुंचते हैं तब वे वहां पर पानी नहीं पाते। इस दृष्टि भ्रम को मरीचिका कहते हैं। छोटे पैमाने पर मरीचिकाएँ प्राय: एक दृष्टि भ्रम के रूप में गर्मियों में दोपहर की तेज धूप के समय कोलतार की सड़कों अथवा चिकने कंक्रोट के बने राजमार्गों पर दिखाई देती हैं।

इन्द्रधनुष (Rainbow): 


  • इन्द्रधनुष दो प्रकार के होते हैं (1) प्राथमिक इन्द्रधनुष तथा (2) द्वितीयक इन्द्रधनुष। 
  • प्राथमिक इन्द्रधनुष का निर्माण तब होता है जब बूंदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन एवं एक बार परावर्तन होता है। प्राथमिक इन्द्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैंगनी रंग अंदर की ओर होता है।
  • द्वितीयक इन्द्रधनुष का निर्माण तब होता, जब बूंदों पर आपतित होने वाली सूर्य किरणों का दो बार अपवर्तन एवं दो बार परावर्तन होता है।
  • द्वितीयक इन्द्रधनुष में बैगनी रंग बाहर की ओर से एवं लाल रंग अंदर की ओर होता है।
  • द्वितीयक इन्द्रधनुष, प्राथमिक इन्द्रधनुष की अपेक्षा कुछ धुंधला दिखलाई पड़ता है।
  • आपतित श्वेत प्रकाश सात वर्णों या रंगों में विभाजित हो जाता ये वर्ण या रंग हैं-बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Bluc) हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange), तथा लाल (Red)
  • कांच में बैंगनी रंग के प्रकाश का वेग सबसे कम तथा अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है व लाल रंग के प्रकाश का वेग सबसे अधिक तथा द्रव अपवर्तनांक सबसे कम होता है। 
  • बैंगनी रंग के प्रकाश की तरंग दैर्ध्य सबसे कम व लाल रंग की तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक होती है।

प्रमुख रंगों का तरंगदैर्ध्य


बैंगनी 3969 A°
नीला 4861 
पीला 5893 
लाल 6563 


किसी पदार्थ का फोटोग्राफ लेने के लिए अपेक्षित उद्घासन काल पदार्थ की चमक पर निर्भर करता है।

कांच पारदर्शी है परन्तु कांच का चूरा अपारदर्शी है, क्योंकि-

अ. चूरे पर पड़ने वाले प्रकाश का प्रकीर्णन हो जाता है।

ब. प्रकाश परावर्तित होकर लौट जाता है।

स. चूरे में कांच के गुण समाप्त हो जाते हैं।

द. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर— अ


यदि दो समतल दर्पणों को समान्तर रखा जाए, तो उनसे बनने वाले प्रतिबिम्बों की संख्या होगी:

अ. दो     ब. चार

स. एक  द. अनन्त

उत्तर— द


आकाश नीला दिखाई देता है:

अ. प्रकीर्णन के कारण

ब. परावर्तन के कारण

स. अपवर्तन के कारण

द. पूर्व आन्तरिक परावर्तन के कारण 

उत्तर— अ


वस्तु के समान माप का वास्तविक प्रतिबिम्ब तब प्राप्त होता है जब वस्तु को उसके वक्रता केन्द्र पर रखा जाता है—

अ. समतल दर्पण के सम्मुख

ब. उत्तल दर्पण के सम्मुख

स. अवतल दर्पण के सम्मुख

द. इनमें से कोई नहीं

उत्तर— स


अवतल दर्पण से अपसारी किरण पुंज प्राप्त करने के लिए वस्तु को रखेंगे:

अ. फोकस पर

ब. वकता केन्द्र पर

स. अनन्त पर

द. फोकस और ध्रुव के बीच

उत्तर— द

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