DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeRajasthan Geo

राजस्थान में प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं

byDivanshuGS -October 11, 2021
0

 

राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं

  • राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसका कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। जो सम्पूर्ण भारत का 10.4 प्रतिशत है।  
  • कृषि प्रधान राज्य है और देश के 10.6 प्रतिशत क्षेत्र में कृषि की जाती है। राजस्थान के पश्चिम भाग में मरूस्थल है।
  • मानसून की अनिश्चितता के कारण “कृषि मानसून का जुआ” जैसी बात कई बार चरितार्थ होती है।
  • वर्तमान में राज्य में उपलब्ध सतही जल की मात्रा लगभग 158.60 लाख एकड़ फीट है जो देश में उपलब्ध कुल सतही जल का मात्र 1.6 प्रतिशत ही है। 

राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन 

राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन हैं -

नहरें, तालाब, कुएं और नलकूप है।

  • सबसे अधिक सिंचाई नहरें और कुंओं से होती है। कुएं और नलकूप सिंचाई के सर्वोत्तम साधन है।
  • कुल सिंचित प्रदेश का लगभग 67.37 प्रतिशत भाग पर सिंचाई कुओं व नलकूपों से होती है।
  • नलकूप से सिंचाई पहले स्थान पर है। 
  • नहरों द्वारा सतही जल का सबसे अधिक उपयोग होता हैं। राजस्थान में कुएं व नलकूपों के बाद सिंचाई का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन नहरें हैं।
  • राज्य में नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंचित जिले श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ है।


राजस्थान में नहरों से सिंचाई का घटता क्रम:

श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बूंदी, कोटा, बांसवाड़ा

  • दूसरी ओर पाली, सिरोही, राजसमंद आदि जिलों में नहरों द्वारा कोई सिंचाई नहीं होती है।
  • सर्वाधिक नहरों से सिंचाई क्षेत्र श्रीगंगानगर है, इसके बाद कोटा जिले में है। 
  • इंदिरा गांधी नहर से बीकानेर में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र है जो सम्पूर्ण नहर सिंचाई का कुल 59.46 प्रतिशत है। वहीं गंगानगर में इसका योगदान 35 प्रतिशत है। 
  • तालाब राजस्थान के दक्षिणी तथा दक्षिण—पूर्वी भागों में पाये जाते हैं।
  • तालाबों द्वारा सींचा जाने वाला सर्वाधिक क्षेत्र भीलवाड़ा में पाया जाता है जिसका कुल सिंचित क्षेत्र में 15 प्रतिशत योगदान है। 
  • उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा व टोंक आदि में भी तालाब से सिंचाई की जाती है। 
  • खड़ीन: खड़ीन राजस्थान में जल संरक्षण की परम्परागत विधि है। जैसलमेर के लोग खड़ीनों (पहाड़ के ढलान वाले हिस्से में बनाए गए बड़े सीढ़ीनुमा खेत) में खेती करते हैं। यहां डेढ़ा और मसूरड़ी की खड़ीने काफी मशहूर हैं।
  • राज्य में सतत् प्रवाही नदियों के अभाव में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है।
  • राज्य के दक्षिण-पूर्वी, पठारी एवं पथरीले भागों में तालाबों द्वारा सिंचाई की जाती है।


प्रमुख बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाएं

  • राजस्थान की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं और सिंचाई की वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर की संज्ञा दी गई है।
  • बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के उद्देश्य विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, पेयजल, मछली पालन, वृक्षारोपण, अकाल और सूखे के समय जल की सुविधा, क्षेत्रीय आर्थिक विकास आदि निर्धारित किये गये हैं।

राजस्थान की प्रमुख बहुउद्देशीय, वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाएं


भांखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय परियोजना 

  • यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह बांध सतलज नदी पर पंजाब के होशियारपुर ज़िले में बनाया गया है।
  • यह परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
  • भांखड़ा-नांगल में राजस्थान का हिस्सा 15.2 प्रतिशत है।
  • भांखड़ा मुख्य नहर की सिंचाई क्षमता 14.6 लाख हैक्टेयर है जिसमें राजस्थान का हिस्सा 2.3 लाख हैक्टेयर है।
  • भांखड़ा-नागल से राजस्थान के गंगानगर जिले में सिंचाई सुविधा और बीकानेर और रतनगढ़ में बिजली की आपूर्ति है।

चम्बल परियोजना 

  • चम्बल पर राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों ने संयुक्त रूप से चम्बल बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण किया।
  • राजस्थान का हिस्सा 50 प्रतिशत है।
  • चम्बल परियोजना के पहले चरण में चौरासीगढ़ और मानपुरी (मध्यप्रदेश) के पास गांधी सागर बांध तथा कोटा में दुर्ग के पास कोटा सिंचाई बांध बनाया गया।
  • दूसरे चरण में चूलिया झरने के पास राणा प्रताप सागर बांध तथा तीसरे चरण में जवाहर सागर बांध का निर्माण किया गया। इसे कोटा बांध भी कहते हैं।
  • चम्बल परियोजना से राजस्थान के कोटा और बून्दी जिलों में सिंचाई होती है।

माही बजाज सागर परियोजना 

  • माही नदी पर बनी माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात राज्यों की संयुक्त परियोजना है।
  • माही नदी पर बोरखेड़ा गंाव के समीप माही बजाज सागर बाँध का निर्माण किया गया।
  • इस परियोजना के अन्तर्गत बांध, विद्युत गृह और नहरों के निर्माण से बाँसवाड़ा और डूंगरपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास 

जाखम सिंचाई परियोजना -

  • जाखम माही की सहायक नदी 
  • प्रतापगढ़ में जाखम नदी पर जाखम बाँध बनाया गया है।
  • इस सिंचाई परियोजना से उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सिंचाई सुविधा 

बीसलपुर सिंचाई परियोजना -

  • टोंक जिले के बीसलपुर गाँव में बनास नदी पर बाँध का निर्माण किया गया है।
  • राजस्थान के जयपुर, अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, टोंक आदि की पेयजल और सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीसलपुर परियोजना महत्वपूर्ण है।

सोम, कमला-अम्बा सिंचाई परियोजना 

  • दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल बांगड़ क्षेत्र की समृद्धि के लिए सोम कमला अम्बा सिंचाई परियोजना भाग्य रेखा है।
  • सोम नदी पर कमला अम्बा गाँव के समीप बांध का निर्माण किया गया है।
  • इससे डूंगरपुर और उदयपुर के अनेक गाँवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।

मेजा बांध परियोजना 

  • भीलवाड़ा में माण्डलगढ़ तहसील के मेजा गाँव के निकट कोठारी नदी पर मेजा बांध का निर्माण किया।
  • मेजा बांध भीलवाड़ा का प्रमुख पेयजल स्रोत है।
  • इससे भीलवाड़ा के आसपास के गाँवों में सिंचाई सुविधा 

सिद्धमुख नोहर सिंचाई परियोजना 

  • हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तहसीलें तथा चूरू जिले की तारानगर व सादुलपुर तहसीलों में सिंचाई सुविधा 
  • इस परियोजना में राजस्थान रावी-व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी का उपयोग करेगा जो उसके हिस्से में दिसम्बर 1981 में पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के बीच हुए एक समझौता के अन्तर्गत मिला है।

नर्मदा नहर परियोजना 

  • गुजरात राज्य में नर्मदा नदी पर 'सरदार सरोवर बांध परियोजना' का निर्माण किया गया है। यह वृहद परियोजना है।
  • यह गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
  • नर्मदा के जल में राजस्थान का हिस्सा 0.50 मिलीयन एकड़ फीट (एमएएफ) निर्धारित किया गया है।
  • सरदार सरोवर से नर्मदा नहर निकाली गई है, जो 458.318 किलोमीटर गुजरात में तथा 74 किलोमीटर नर्मदा मुख्य नहर राजस्थान में है। 
  • राजस्थाान में नहर का पानी जालोर जिले की सांचौर तहसील के सीलू गांव के समीप बने जीरो प्वाइंट तक 18 मार्च, 2008 को पहुंचा।
  • 27 मार्च, 2008 को लालपुर (सांचौर) में नर्मदा जल का राजस्थान में प्रवेश कराया गया।
  • यह राज्य की पहली परियोजना है जिसमें सिंचाई केवल फव्वारा (स्प्रिंकलर) सिंचाई पद्धति से ही करने का प्रावधान है। 
  • नर्मदा नहर परियोजना भारत की पहली वृहद परियोजना है जिसमें पूरे 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर सिंचाई जल उपयोग किया जा रहा है। 
  • राजस्थान को नर्मदा नदी से आवंटित 0.5 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग जालोर व बाड़मेर जिलों के 2.46 लाख हैक्टेयर कमाण्ड में सिंचाई उपलब्ध करवाने के साथ-साथ 3 शहरों व 1541 गांवों को पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है। 
  • परियोजना में कमाण्ड क्षेत्र पूर्व में 1.35 लाख हैक्टेयर आंकलित था, जिसे सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर परिवर्तित करने से 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा दिया जाना संभव हुआ। 
  • परियोजना के फलस्वरूप जालोर व बाड़मेर के मरू क्षेत्र में आज खेती हो रही है तथा अनार जैसे फलों की खेती भी संभव हुई है। 
  • परियोजना का सिंचाई प्रबंधन काश्तकारों की गठित 2232 जल उपयोगिता संगमों द्वारा किया जा रहा है।
  • इस परियोजना से प्रदेश के जालोर और बाड़मेर जिलों के गांवों में सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। 

व्यास परियोजना 

  • यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
  • परियोजना का मुख्य उद्देश्य रावी, व्यास, सतजल नदियों के जल का उपयोग करना है।
  • राजस्थान में इस परियोजना से इन्दिरा गांधी नहर परियोजना को स्थायी रूप से पानी की आपूर्ति की जाती है।

इन्दिरा गांधी नहर परियोजना

  • तत्कालीन बीकानेर रियासत के मुख्य अभियन्ता कंवर सेन ने हिमाचल के पानी को थार मरूस्थल तक लाने की अनूठी योजना का प्रारूप 'बीकानेर राज्य में पानी की आवश्यकता' के रूप में वर्ष 1948 में भारत सरकार के विचारार्थ रखा। यही योजना इन्दिरा गांधी नहर के लिए आधार बनी।
  • पंजाब में व्यास और सतलज नदियों के संगम पर बने हरिके बैराज के बायीं ओर से इन्दिरा गांधी नहर का उद्गम स्थल है। 
  • रावी एवं व्यास नदियों का 7.59 मिलियन एकड़ फीट पानी राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी भाग में सिंचाई, पेयजल, मरूस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरणीय संरक्षण, वृक्षारोपण, पशु संपदा का संरक्षण एवं विकास तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना जैसे कार्यों के लिए काम लिया जाना निर्धारित है। 

नहर की शुरूआत

  • इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ 30 मार्च, 1958 को भारत के तत्कालीन गृहमंत्री स्व. श्री गोविन्द बल्लभ पंत ने 'राजस्थान नहर' के नाम से किया। बाद में 2 नवंबर, 1984 को राजस्थान नहर परियोजना का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की याद में 'इन्दिरा गांधी नहर परियोजना' कर दिया गया।
  • पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. डॉ. एस. राधाकृष्णन द्वारा 11 अक्टूबर, 1961 को नौरंगदेसर वितरिका से सर्वप्रथम जल प्रवाहित कर मरूभूमि में विकास के महायज्ञ की शुरूआत की गई।
  • राजस्थान के इतिहास में 1 जनवरी, 1987 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा जब 'मरूगंगा' इन्दिरा गांधी नहर ने विशाल एवं दुर्गम मरूस्थल को भेदते हुए 649 किलोमीटर लम्बी यात्रा पूरी की और हिमाचल कापानी जैसलमेर जिले के सुदूर मोहनगढ़ पहुंचा।

परियोजना के बारे में मुख्य तथ्य 

  • इन्दिरा गांधी फीडर की लम्बाई : 204 किलोमीटर है। 
  • मुख्य नहर की लम्बाई : 445 किलोमीटर है
  • इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर रखी गई।
  • इसे राजस्थान की मरूगंगा और थार मरूस्थल की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
  • शाखाओं एवं छोटी नहरों की लम्बाई : 8120 किलोमीटर है
  • इन्दिरा गांधी फीडर के तले की चौड़ाई : 134 फीट 
  • इन्दिरा गांधी फीडर की गहराई : 21 फीट
  • परियोजना के अंतर्गत 1200 क्यूसेक्स पानी केवल पेयजल, उद्योगों, सेना व ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। विशेष तौर से चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों के निवासियों को इस परियोजना से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी है। 

निर्माण कार्य

  • प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए योजना को दो चरणों में बांटा गया है। 
  • प्रथम चरण में 204 किलोमीटर इन्दिरा गांधी फीडर व मसीतावाली हैड से पूगल हैड तक 189 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर तथा संबंधित वितरण प्रणाली (साहवा लिफ्ट नहर प्रणाली के अतिरिक्त) सम्मिलित है। 
  • इस चरण की कंवरसेन लिफ्ट नहर के अतिरिक्त शेष नहरों के रखरखाव व संचालन का दायित्व जल संसाधन विभाग को सौंपा जा चुका है। 
  • द्वितीय चरण में इन्दिरा गांधी नहर के 189 किलोमीटर से आगे 445 किलोमीटर तक (कुल 256 किलोमीटर) का सम्पूर्ण निर्माण कार्य (साहबा लिफ्ट नहर प्रणाली सहित) शामिल है। 
  • वर्ष 1993 के तखमीनों (व्यय आदि का अनुमान) तथा वर्ष 1995, 1997 में राज्य मंत्रिमण्डल द्वारा लिए गए निर्णयों के अनुसार प्रथम चरण का प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र 5.53 लाख हेक्टेयर, द्वितीय चरण का प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र 14.10 लाख हेक्टेयर कुल 19.63 लाख हेक्टेयर था किन्तु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 में विगत वर्षों में सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता में कमी के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में परियोजना में 16.17 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र सिंचित क्षेत्र (प्रथम चरण 5.46 लाख हेक्टेयर+द्वितीय चरण 10.71 लाख हेक्टेयर) में ही प्राथमिकता से कार्य पूर्ण कर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवा दी गयी है। द्वितीय चरण के 10.71 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में 3.47 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र लिफ्ट नहरों का सम्मिलित है, जिनसे हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, जोधपुर तथा जैसलमेर जिलों में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा प्राप्त हो रही है। 
  • द्वितीय चरण के नवीनतम संशोधित तखमीने के अनुसार प्रवाह क्षेत्र में खालों एवं लिफ्ट क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई कार्यों सहित इसकी कुल अनुमानित लागत 6921.32 करोड़ रुपये है। 
  • खालों के निर्माण के अतिरिक्त शेष कार्य की लागत 5887.56 करोड़ रुपये हैं। जिसमें से मार्च, 2017 तक 4321.11 करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं। 
  • परियोजना में द्वितीय चरण की 6 लिफ्ट योजनाओं में पायलट प्रोजेक्ट अंतर्गत 27449 हेक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई स्थापना हेतु विभाग द्वारा करवाए जाने वाले निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

लिफ्ट नहरें

  • नहर के बायीं ओर का इलाका ऊंचा होने व पानी के स्वतः प्रवाहित न होने के कारण नहर प्रणाली पर 7 लिफ्ट नहरें बनाई गई हैं।

लिफ्ट नहर :  लाभान्वित जिलें

  1. चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर (नोहर साहबा लिफ्ट नहर): हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, झुंझुनूं
  2. कँवरसेन लिफ्ट नहर (बीकानेर लूणकरणसर लिफ्ट नहर): बीकानेर एवं श्रीगंगानगर, सबसे लम्बी लिफ्ट नहर।
  3. पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर (गजनेर लिफ्ट नहर): बीकानेर, नागौर
  4. वीर तेजाजी लिफ्ट नहर (भैंरूदान बांगडसर लिफ्ट नहर): बीकानेर
  5. डॉ. करणीसिंह लिफ्ट नहर (कोलायत लिफ्ट नहर): जोधपुर, बीकानेर
  6. गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर (फलौदी लिफ्ट नहर): जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
  7. जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर (पोकरण लिफ्ट नहर): जैसलमेर, जोधपुर

जल उपभोक्ता संगठनों द्वारा विद्युत कनेक्शन लेकर फव्वारा पद्धति से सिंचाई आरंभ की जा चुकी है।

  • उद्देश्य - मरूस्थल में सिंचाई, मानव व पशुओं के लिए पीने का पानी, पशुपालन, वृक्षारोपण, विद्युत उत्पादन, पर्यटन विकास, मण्डी विकास, पशु चारा विकास, राष्ट्रीय शुष्क उद्यान आदि रखे गये हैं।
  • इन्दिरा गांधी नहर परियोजना से लाभान्वित जिलों में गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू, जोधपुर सम्मिलित हैं।
  • इन्दिरा गांधी नहर परियोजना एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर परियोजना है। विश्व की सबसे लम्बी एवं बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना है।

जवाई बांध

  • पश्चिमी राजस्थान में लूनी की सहायक जवाई नदी पर एरिनपुरा के निकट जवाई बांध बनाया गया है।
  • इस बांध से जोधपुर, सुमेरपुर और पाली शहर को पेयजल आपूर्ति तथा पाली, जालौर जिलों में सिंचाई होती है।

पांचना परियोजना 

  • करौली जिले में 
  • पाँच नदियों बरखेडा, भद्रावती, माची, भैसावट, अटा के संगम पर बाँध बनाया गया है। पांचना परियोजना से करौली जिले की टोडाभीम, नादौती, हिण्डौन तथा सवाई माधोपुर में गंगापुर तहसील में सिंचाई सुविधा 

मोरेल बांध 

  • दौसा जिले के लालसोट से 16 किलोमीटर दूर मोरेल नदी पर मिट्टी से बनाया गया है।

अन्य परियोजनाएं -

  1. सोम कागदर - उदयपुर
  2. सावन -भादों - कोटा
  3. सोम-कमला-अम्बा - डूंगरपुर
  4. बांकली - जालौर व पाली
  5. अड़वाना - शाहपुरा, भीलवाड़ा
  6. पीललड़ा लिफ्ट सिंचाई व इंदिरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना - सवाई माधोपुर
  7. छापी - झालावाड़
  8. बिलास - बारां

जल संरक्षण और सिंचाई जल के दक्षतापूर्ण उपयोग के लिए राजस्थान को मिले दो पुरस्कार

  • नई दिल्ली में दिनांक 24 सितंबर से 28 सितंबर तक आयोजित छठे इंडिया वाटर वीक 2019 में राजस्थान के जल संरक्षण, सिंचाई जल के दक्षतापूर्ण उपयोग के प्रयासों को भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है। 
  • राजस्थान की नर्मदा नहर परियोजना को जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार से और इन्दिरा गांधी नहर परियोजना द्वितीय चरण के अन्तर्गत तेजपुर नहर प्रणाली को भी सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर जल के दक्षतापूर्ण उपयोग पर द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। राज्य सरकार की ओर से जल संसाधन विभाग के शासन सचिव श्री नवीन महाजन ने दोनों पुरस्कार प्राप्त किए। 
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के राष्ट्रीय जल मिशन द्वारा जल संरक्षण व कुशलतम जल उपयोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
  • नर्मदा नहर परियोजना भारत की पहली वृहद परियोजना है जिसमें पूरे 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर सिंचाई जल उपयोग किया जा रहा है।  
  • प्रथम राष्ट्रीय जल मिशन अवार्ड के अन्तर्गत जल संरक्षण व बचाव के क्षेत्र में राज्यों द्वारा की गई कार्यवाही की श्रेणी में नर्मदा नहर परियोजना को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। परियोजना का भौतिक सत्यापन इस हेतु गठित केन्द्रीय दल द्वारा किया जाकर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से जल के कुशलतम उपयोग की सराहना करते हुए केन्द्रीय दल द्वारा अवार्ड की अनुशंषा पर भारत सरकार द्वारा गठित पुरस्कार चयन समिति द्वारा प्रथम पुरस्कार निर्धारित किया गया।
  • साथ ही इन्दिरा गांधी नहर परियोजना स्टेज द्वितीय के अन्तर्गत तेजपुर माईनर में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर सिंचाई दक्षता में वृद्धि के लिये द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी नहर परियोजना स्टेज द्वितीय में जलांक केवल 2 क्यूसेक प्रति 1000 एकड निर्धारित किया गया है। 
  • सामान्य प्रचलित पद्धति से तेजपुर माईनर में निर्धारित 1857 हैक्टेयर क्षेत्र में से केवल औसतन 144 हैक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई संभव हो पाती थी। इस माईनर पर राज्य सरकार द्वारा 2012-13 में फव्वारा पद्धति से सिंचाई प्रणाली लागू की गयी, जिससे सिंचाई जल दक्षता में वृद्धि के फलस्वरूप पूर्व 144 हैक्टेयर के विरूद्ध 1111 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव हुई तथा कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी संभव हुई। 
  • परियोजना में दक्षतापूर्ण कार्यों का भौतिक सत्यापन केन्द्रीय दल द्वारा किया जाकर उनकी सराहना व अनुशंषा उपरान्त भारत सरकार की गठित अवार्ड चयन समिति द्वारा परियोजना को द्वितीय पुरस्कार हेतु चयनित किया गया।


महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न जो विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए:


भीम सागर और छापी सिंचाई परियोजनाएं किस जिले में स्थित हैं? 

(1) सवाई माधोपुर (2) कोटा

(3) टोंक        (4) झालावाड़

उत्तर— 4

 

राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्र में सिंचाई किस स्त्रोत से होती है

(1) नहरों से    (2) नलकूपों से

(3) तालाबों से  (4) कुओं से

उत्तर— 2


इंदिरा गांधी नहर मार्च, 2014 तक राजस्थान के कितने क्षेत्र में सिंचाई क्षमता अर्जित कर चुकी है?

(1) 16 लाख हैक्टेयर  (2) 19 लाख हैक्टेयर

(3) 20 लाख हैक्टेयर  (4) 22 लाख हैक्टेयर

उत्तर— 1


निम्न में से कौनसा संयोग सही है?

प्रमुख सिंचाई परियोजना  लाभांवित जिले

1. जाखम          उदयपुर, बांसवाड़ा

2. नर्मदा           बाड़मेर, सिरोही

3. सोम कमला अंबा  डूंगरपुर, उदयपुर

4. सिद्धमुख         हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर

उत्तर— 3


सोम कमला अंबा सिंचाई परियोजना केवल डूंगरपुर जिले के लिए ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाती है।

इंदिरा गांधी मुख्य नहर की लंबाई क्या है? (AEN.2018)

(1) 445 किलोमीटर (2) 204 किलोमीटर 

(3) 649 किलोमीटर (4) 328 किलोमीटर

उत्तर— 1 


वर्तमान में राजस्थान में जल की कौन-सी समस्या सर्वाधिक चिन्ताजनक बनती जा रही है?

(1) जल का अति-विदोहन (2) जल का बढ़ता प्रदूषण

(3) जल की बढ़ती लवणता (4) अन्ध और धूसर क्षेत्रों की बढ़ती संख्या

उत्तर— 4 


राजस्थान में किस स्रोत से सर्वाधिक सिंचाई की जाती है?

(1) नहरों द्वारा  (2) तालाब

(3) नलकूप एवं कुएं  (4) अन्य 

उत्तर— 3


11 जनवरी, 2019 को रेणुकाजी बहुउद्देशीय बांध परियोजना हेतु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले राज्यों का उपयुक्त समूह है?

(1) पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश 

(2) हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड

(3) राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश

(4) उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, बिहार

उत्तर— 2


सूची-1 का सूची 11 से मिलान कर निम्नलिखित कूट में से सही का चुनाव कीजिए:

सूची-1        सूची-II

(नदी)        (बांध)

(A) सतलज    i. बीसलपुर

(B) बनास     ii. मेजा

(C) कोठारी    iii. भाखड़ा नांगल 

(D) सूकड़ी    iv. बाँकली

कूट:

    A     B   C    D

(1) iii  i    ii   iv

(2) i    ii   iii  iv

(3) iv   iii  ii   i

(4) ii   iii  iv   i

उत्तर— 1  


निम्न में से कौनसा जिला 'माही हाई लेवल कैनाल शुद्ध पेयजल प्रोजेक्ट' से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित नहीं है?

(1) राजसमन्द  (2) चित्तौड़गढ़

(3) उदयपुर    (4) डूंगरपुर

उत्तर— 4

 

इनमें से कौन सी परियोजना राजस्थान से सम्बद्ध नहीं है? 

(1) इंदिरा गाँधी नहर परियोजना  (2) नर्मदा

(3) जाखम    (4) सतलज—यमुना लिंक

उत्तर— 4


सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए— 

सूची-I                  सूची-II

(सिंचाई परियोजना)        (जिला)

(A) बाँकली बाँध          (i) प्रतापगढ़

(B) सोम-कमला-अम्बा     (ii) सवाई माधोपुर 

(C) मोरेल बाँध           (iii) जालौर

(D) जाखम बाँध          (iv) डूंगरपुर

कूट :

    (A)   (B)    (C)   (D)

(1) (i)   (iv)  (iii) (ii)

(2) (iv)  (i)   (ii)  (iii)

(3) (iii) (ii)  (i)   (iv)

(4) (iii) (iv)  (ii)  (i) 

उत्तर— 4


Tags: Rajasthan Geo RPSC
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form