DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeRajasthan GK

राजस्थान में लोक देवता

byDivanshuGS -May 21, 2017
0

राजस्थान में लोक देवता




मारवाड़ के पंच पीर

पाबू हड़बू राम दे, मांगलिया मेहा।
पांच्यू पीर पधार ज्यों, गोगा जी जेहा।।

रामदेव जी, गोगा जी, पाबू जी, हरभू जी, मेहा जी

1. रामदेव जी

  • रामदेव जी हिन्दू (कृष्ण के अवतार) तथा मुसलमान (रामसापीर) दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
  • वे साम्प्रदायिक सद्भावना के प्रतीक माने जाते हैं। 
  • इनका जन्म भाद्रपद शुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को (1405 ई.) उडूकाश्मेर, शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ था। 
  • उनके पिता अजमल जी तंवर एवं माता का नाम मैणादे था। इनका विवाह अमरकोट के सोढ़ा राजपूत दलैसिंह की पुत्री नेतल-दे से हुआ।
  • रामदेवजी एकमात्र लोक देवता थे, जो एक कवि भी थे। 
  • इनकी प्रमुख रचना "चौबीस बाणियां" कहलाती है। रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह "पगल्ये" है। 
  • इनके भक्तों द्वारा गाए जाने वाले गीत ब्यावले कहलाते हैं। 
  • रामदेव जी का गीत सबसे लम्बा लोक गीत है। 
  • इनके मेघवाल भक्त "रिखिया" कहलाते हैं।
  •  प्रमुख स्थल- रामदेवरा (रूणीचा), पोकरण तहसील (जैसलमेर) रामदेवजी का मेला भाद्रपद शुक्ल दूज से एकादशी तक भरता है। 
  • मेले का प्रमुख आकर्षण "तरहताली नृत्य" है। 

  • तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है। मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है। तेरहताली नृत्य व्यावसासिक श्रेणी का नृत्य है। "बालनाथ" जी इनके गुरू थे। 
  • इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं। नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं। 
  • इनके घोडे़ का नाम लीला था। इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पंथ के लोग करते है।
  • सुरताखेड़ा (चित्तौड़गढ़) व बिरांठिया (अजमेर) में और छोटा रामदेवरा गुजरात में भी इनके मंदिर है। 
  • इनके यात्री 'जातरू' कहलाते है। 
  • जातिगत छुआछूत व भेदभाव को मिटाने के लिए रामदेव जी ने "जम्मा जागरण" अभियान चलाया। इसके अभियान के माध्यम से ही मेघवाल जाति का उत्थान किया गया।
  • इनके चमत्कारों को 'पर्चा' कहते हैं।
  • डाली बाई रामदेवजी की भक्त थी और मेघवाल जाति की थी।

2. गोगाजी - सांपों के देवता, जाहरपीर

  • जन्म स्थान - वि. सं. 1003 गोगाजी का जन्म ददरेवा (चुरू) में।
  • उनके पिता चौहान वंशीय जेवरसिंह और माता बाछल थे। केलमदे से विवाह हुआ।
  • समाधि - गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ)
  • उन्हें महमूद गजनवी ने युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ने के कारण 'जाहरपीर' अर्थात साक्षात् देवता कहा था। 
  • गोगाजी की पूजा भाला लिए योद्धा के रूप में होती हैं।
  • प्रमुख स्थल: 
  • इनके ददरेवा मंदिर शीर्षमेडी और गोगामेड़ी के मंदिर को धुरमेड़ी कहते हैं।  
  • गोगामेड़ी के मंदिर की बनावट मकबरेनुमा है। इसके शीर्ष पर बिस्मिल्लाह लिखा हुआ है। 
  • गोगाजी की ओल्डी खिलेरियों की ढाणी, सांचोर (जालौर) में बनी हुई है। 
  • इनका मेला भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को भरता है। 
  • इस मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय पशु मेला भी आयोजित होता है। यह पशु मेला राज्य का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पशु मेला है।
  • इनके थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते है, जहां सर्प की आकृति में पूजा होती है। 
  • गोरखनाथ जी इनके गुरु थे। घोडे़ का रंग नीला है।
  • किसान खेत में बुआई करने से पहले गोगाजी के नाम की राखी 'गोगा राखड़ी' हल और हाली, दोनों को बांधते हैं। 
  • इनके लोकगाथा गीतों में डेरू नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।

3. पाबूजी: ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता

  • 13 वीं शताब्दी (1239 ई) में फलौदी, जोधपुर के पास कोलूमण्ड में हुआ।
  • राठौड़ वंश के मूल पुरुष राव सीहा के वंशज थे। अपने बहनोई जीन्दराव खींची से देवल चारणी (जिसकी केसर कालमी घोड़ी ये मांग कर लाये थे) की गायें छुड़ाने गए और देचूँ गांव में युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए।
  • विवाह - अमरकोट के सूरजमल सोडा की पुत्री फूलमदे से हुआ।
  • उपनाम - ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता, राइका/रेबारी जाति के देवता आदि।
  • राइका /रेबारी जाति का संबंध मुख्यतः सिरोही से है।
  • मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को है।
  • पाबूजी ने देवल चारणी की गायों को अपने बहनोई जिन्द राव खींचीं से छुडाया।
  • पाबूजी के लोकगीत पवाडे़ कहलाते है। 
  • माठ वाद्य का उपयोग होता है।
  • पाबूजी की फड़ राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
  • पाबूजी की जीवनी "पाबू प्रकाश" आंशिया मोड़ जी द्वारा रचित है।
  • इनकी घोडी का नाम केसर कालमी है।
  • पाबूजी का गेला चैत्र अमावस्या को कोलू ग्राम में भरता है।
  • पाबूजी की फड़ के वाचन के समय "रावणहत्था" नामक वाद्य यंत्र उपयोग में लिया जाता है।
  • प्रतीक चिन्ह - हाथ में भाला लिए हुए अश्वारोही।

4. हड़बू जी 

  • हड़बू जी लोक देवता बाबा रामदेवजी के मौसेर भाई थे। 
  • उनका जन्म भंडोल, नागौर में हुआ था। 
  • राजा मेहाजी सांखला इनके पिता थे।
  • इन्होंने भी बालीनाथ जी से दीक्षा ली।
  • बेंगटी, फलोदी में इनका मुख्य पूजा स्थल है। 
  • हड़बूजी के मंदिर में बैलगाड़ी की पूजा की जाती है, जिसमें ये अपंग गायों के लिए चारा भरकर लाते ​थे। 
  • ये शकुनशास्त्र के लिए प्रसिद्ध थे।

5. मेहाजी मांगलिया

  • मारवाड़ के पंचपीरों में इनकी भी गिनती होती है।
  • जन्म पंचार वंश में हुआ, लेकिन पालन-पोषण ननिहाल में हुआ। 
  • वे राव चूण्डा के समकालीन थे और जैसलमेर के राव रांगदेव भाटी के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
  • बापणी (जोधपुर) में इनका मंदिर है। लोगों की सेवा, सहायता करने एवं उन्हें संरक्षण देने के कारण उन्हें लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। 
  • इनके घोड़े केा नाम किरड़ा काबरा था, जो उन्हें काफी प्रिय था।
  • इनका मेला भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को भरता है।

तेजाजी

  • इनका जन्म माघ शुक्ल चतुर्दशी विक्रम संवत 1130 को खड़नाल, नागौर में हुआ था। 
  • तेजाजी को धौलिया वीर भी कहा जाता है। 
  • ये गायों के मुक्तिदाता के रूप में भी जाने जाते हैं क्योंकि इन्होंने लाछा गुजरी की गायों को मेरों से छुड़ावाया।
  • इनके मुख्य मंदिर — सुरसरा (अजमेर) में, अन्य मंदिर सौंदरिया (अजमेर), परबतसर नागौर, खरनाल (नागौर) आदि में है। 
  • उन्होंने सर्पदंश के इलाज के लिए सबसे पहले गोबर की राख व गौमूत्र के प्रयोग की शुरूआत की थी।
  • भाद्रपद शुक्ल दशमी को इनकी स्मृति में परबतसर में विशाल पशु मेला लगता है।
  • पत्नी का नाम पैमलदे था।
  • ये जाटों के आराध्य देव, काला—बाला के देवता के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। 
  • तेजाजी के चबूतरे को थान व पुजारी को घोड़ला कहा जाता है।
  • किसान तेजाजी के गीत के साथ ही बुवाई प्रारंभ करता है। 

सर्प दंश इलाज के लिए कौनसे देवता पूजे जाते थे-
अ. गोगाजी
ब. तेजाजी
स. रामदेवजी
द. हड़बूजी
उत्तर- अ

मल्लीनाथ जी

  • मारवाड़ के राठौड़ रावल सलखा के यहां मल्लीनाथ जी का जन्म सन् 1358 ई. (वि.स. 1415) में हुआ था। माता का नाम जाणीदे था। परोपकारी एवं करुणाशील सिद्ध पुरुष होने के कारण उनके प्रति लोगों के मन में अटूट प्रेम और श्रद्धार थी। मालानी क्षेत्र के सिद्ध पुरुष मल्लीनाथ बचपन से ही वीर, कुशाग्रबुद्धि और अजेय योद्धा थे। इनकी रानी का नाम रूपादे था।   
  • उन्होंने खिराज नहीं दिया जिसके कारण सन 1378 ई. में मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन फिरोजशाह तुगलक की सेना की तेरह टुकड़ियों ने मल्लीनाथ जी पर हमला कर दिया। परन्तु मल्लीनाथ जी ने इनको पराजित कर अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
  • राव मल्लीनाथ जी शाक्तमत के कूंडापंथ शाखा के उपासक थे।
  • मल्लीनाथ जी ने संत उगमसी भाटी को अपना गुरु स्वीकार किया और उनसे दीक्षा प्राप्त कर लिया।
  • मल्लीनाथ जी निर्गुण निराकार ईश्वर में विश्वास करते थे तथा उन्होंने नाम स्मरण का पुरजोर समर्थन किया।
  • इनके नाम पर ही जोधपुर के पश्चिम के भाग का नाम मालानी पड़ा जिसे आजकल बाड़मेर कहा जाता है। सन् 1399 ई. (वि.सं. 1456) में चैत्र शुक्ला द्वितीया को 68 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हो गया।
  • बाड़मेर के तिलवाड़ा गांव में प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी (मार्च-अप्रैल) तक विशाल पशु मेले का आयोजन किया जाता है, जहां पर उनका प्रमुख मंदिर है। 
  • इस मेले में गाय, ऊंट, बकरी और घोड़ों की बिक्री के लिए लाया जाता है। इस मेले में राजस्थान मूल के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश से भी लोग मेले में बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इनकी रानी रुपादे का मंदिर भी तिलवाड़ा से कुछ दूरी पर मालाजाल गांव में स्थित है।
  • सर्वाधिक राज्य स्तरीय पशु मेले किस ज़िले में आयोजित किये जाते हैं - नागौर में
  • पुष्कर पशु मेला नवंबर माह में कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
  • तेजाजी पशु मेला कब भरता है- श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक
Tags: Rajasthan GK
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form