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समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम

byDivanshuGS -December 23, 2020
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समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम (आई.डब्ल्यू.डी.पी.) केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है। इसका वर्ष 1989-90 से संचालन किया जा रहा है।
1 अप्रैल, 1995 से इस कार्यक्रम को जलग्रहण पद्धति के जरिए कार्यान्वित किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत बंजरभूमि और अवक्रमित भूमि के विकास से सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी को बढ़ाए जाने के अलावा ग्राकनफ़क़्क़कनवफकनक़्क़नमीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के सृजन में वृद्धि होने की आशा की जाती है जिससे भूमि के सतत विकास और लाभों के समान वितरण में सहायता मिलती है।
बंजर भूमि में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखने के लिए वर्ष 2003 में राष्ट्रीय बंजरभूमि अद्यतनीकरण मिशन (एन.डब्ल्यू.यू.एम.) की शुरूआत की गई थी।
एनडब्ल्यूयूएम ने एक ही समय में एकत्रित आईआरएस आंकडों (वर्ष 2003 के आंकडों) का प्रयोग करते हुए वर्ष 2003-05 के दौरान दो वर्षों की अवधि में पूरे देश में बंजरभूमि के नक्शे तैयार करने का कार्य किया।
भारत की बंजरभूमि संबंधी एटलस-2005 प्रकाशित किया गया।
देश में बंजरभूमि का कुल क्षेत्रफल 55.27 मिलियन हैक्टेयर है।
इन नक्शों से बंजरभूमि/जलग्रहण कार्यकमों के कार्यान्वयन के लिए गांव/जलग्रहण (500 हैक्टेयर) स्तर पर सही-सही सूचना प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर में 1,01,454 वर्ग किलोमीटर बंजरभूमि है जो पूरे क्षेत्र का 29.64 प्रतिशत है।

उद्देश्य

कार्यक्रम का मूल उद्देश्य बंजरभूमि/अवक्रमित भूमि का गांव/माइक्रो जलग्रहण योजनाओं के आधार पर समेकित विकास करना है। कार्यक्रम का लक्ष्य निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करना है:-
भूमि की उर्वरता, स्थल स्थितियों तथा स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बंजरभूमि/अवक्रमित भूमि को जलग्रहण आधार पर विकसित करना।
कार्यक्रम वाले क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोगों तथा उपेक्षित वर्गों के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाना ।
भूमि, जल, वानस्पतिक आच्छादन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, संरक्षण तथा विकास के द्वारा पारिस्थितिकीय संतुलन को बहाल करना।
गांव के समुदाय को निम्नलिखित के लिए प्रोत्साहित करना:-
(क) जलग्रहण क्षेत्र में सृजित परिसम्पत्तियों के संचालन तथा रख-रखाव के लिए तथा प्राकृतिक संसाधनों की संभावना का आगे और विकास करने के लिए सतत सामुदायिक प्रयास करने।
(ख) साधारण, सरल और वहन कर सकने योग्य ऐसे प्रौद्योगिकीय समाधान और संस्थागत व्यवस्थाऐं जिनका उपयोग किया जा सके और जिन्हें स्थानीय तकनीकी ज्ञान और उपलब्ध सामग्री के आधार पर तैयार किया जा सके।
रोजगार सृजन, गरीबी उपशमन, सामुदायिक अधिकार सम्पन्नता तथा गांव के मानव संसाधन और अन्य आर्थिक संसाधनों का विकास।

कवरेज

इस कार्यक्रम के अन्तर्गत परियोजनाएं सामान्यतः उन ब्लॉकों में स्वीकृत की जाती हैं जो मरूभूमि विकास कार्यक्रम (डीडीपी) तथा सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी) के अन्तर्गत शामिल नहीं होते हैं। इस समय इस कार्यक्रम के अन्तर्गत परियोजनाएं राज्य के 18 जिलों में कार्यान्वित की जा रही है।

वित्त पोषण

31.03.2000 से पहले कार्यक्रम के अन्तर्गत जलग्रहण विकास परियेाजना 4000 रुपये प्रति हैक्टेयर के लागत मानदण्ड पर स्वीकृत की जाती थी, इनका वित्तपोषण पूर्णतया केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता था। तथापि 01.04.2000 के बाद स्वीकृत की गई परियेाजनाओं के लिए लागत मानदण्ड को संशोधित करके 6000 रुपये प्रति हैक्टेयर कर दिया गया है।
नई परियोजनाओं के वित्त पोषण की राशि को केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच क्रमशः 5500 रुपये और 500 रुपये प्रति हैक्टेयर के अनुपात में बांटा जाएगा।

उपलब्धियां

वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में 3.72 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल उपचारित करने हेतु परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही है।
वर्ष 2009-10 में कुल 4950.84 लाख रुपये की उपलब्ध राशि के विपरीत रुपये 3402.41 लाख व्यय किये गये जोकि उपलब्ध राशि का 68.72 प्रतिशत है।
वर्ष 2010-11 में माह दिसम्बर, 2010 तक कुल 1677.26 लाख रुपये की उपलब्ध राशि के विपरीत रुपये 879.73 लाख व्यय किये गये हैं जोकि उपलब्ध राशि का 52.45 प्रतिशत है। 
समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम

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