बलबन की लौह और रक्त की नीति

 

लौह और रक्त की नीति




बलबन ने लौह और रक्त की नीति के अनुकरण से दिल्ली सल्तनत को किस प्रकार सुदृढ़ बनाया?

उत्तर- 

  • बलबल तुर्किस्तान के इल्बारी कबीले से संबंधित था। बलबन ने अपने शत्रुओं के प्रति लौह और रक्त की नीति अपनायी जिसमें पुरुषों को मार दिया जाता था और बच्चों व स्त्रियों को गुलाम बनाया जाता था। उसने मंगोलों का सामना करने के लिए एक सैन्य विभाग दीवाने आरिज का पुनर्गठन किया। उसने कटेहर, दोआब तथा बंगाल के विद्रोहियों का सफलतापूर्वक दमन किया। 
  • बलबन तुर्क अमीरों के विद्रोह से परिचित था। इसी कारण उसने दरबार में कठोर अनुशासन बनाए रखा। कानून व्यवस्था की स्थिति को व्यवस्थित करना, चोरी व डाकुओं का दमन तथा राजपूत जमींदारों के शासन विरोधी विद्रोहों को कुचलना उसके प्रमुख कार्य थे।


शेरशाह के सुधार व निर्माण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

उत्तर- 

  • शेरशाह सूर साम्राज्य का संस्थापक था। इसका साम्राज्य पश्चिम में कन्नौज से लेकर पूर्व में असम की पहाड़ियों तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ था। 
  • शेरशाह के सुधार और निर्माण प्रसिद्ध हैं। उसने भूमि माप एवं लगान को व्यवस्थित कर गल्लाबख्शी या बंटाई, नश्क, मुक्ताई या कनकूत और नगदी या जब्ती प्रणाली प्रचलित की। 
  • चार बड़ी सड़कों एवं अनेक सरायों का निर्माण करवाया। उसकी सबसे लम्बी सड़क बंगाल के सोनार गांव से लेकर पेशावर तक थी जिसका अस्तित्व आज भी है। यह सड़क ‘ग्रांड ट्रंक रोड’ के नाम से विश्व प्रसिद्ध है। 
  • मुद्रा ढुलाई में सुधार करते हुए उसने तांबे का 380 ग्रेन का दाम चांद का 178 ग्रेन दाम का रुपया जारी किया।


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