संविधान के किस भाग में मूल कर्त्तव्यों का उल्लेख किया गया है

संविधान सभा का पहला सत्र हुआ था-
अ. 16 अगस्त, 1947
ब. 26 जनवरी, 1948 को
स. 9 दिसम्बर, 1946 को
द. 26 नवम्बर, 1946 को
उत्तर- स

व्याख्या- 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा का पहला सत्र आयोजित हुआ था, जिसमें सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। पुनः 11 दिसंबर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुन लिया गया तथा उनकी अध्यक्षता में संविधान निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ हुई। इसी समय बी एन राव को संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। 13 दिसंबर, 1946 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जिसे 22 जनवरी, 1947 को सभा ने स्वीकार कर लिया।

निम्नांकित के कालानुक्रम पर विचार करें-
1- कैबिनेट मिशन 2- साइमन कमीशन
3- क्रिप्स मिशन 4- पूना पैक्ट
निम्नांकित कूट की सहायता से सही उत्तर ज्ञात कीजिएः
अ. 1,2,3 एवं 4 सही है
ब. 2,4,3 एवं 1 सही है
स. 4,3,2 एवं 1 सही है
द. 3,1,4 एवं 2 सही है
उत्तर- ब
व्याख्या— साइमन कमीशन 1928 में भारत आया, पूना पैक्ट 1932 में हुआ था, जबकि क्रिप्स मिशन 22 मार्च, 1942 को भारत आया था। कैबिनेट मिशन योजना जिसे संसदीय दल भी कहते है, यह 29 मार्च, 1946 को भारत आया था, जिसके प्रमुख सदस्य- सर स्टेफर्ड क्रिप्स, ए बी अलेक्जेंडर तथा पैथिक लॉरेंस थे, जिसने अपनी रिपोर्ट 16 मई, 1946 को प्रकाशित की।

सूची-1 को सूची-2 से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिए-
    सूची-1                                               सूची-2
A. भारतीय संविधान का भाग IX        1. संघ क्षेत्र
B. भारतीय संविधान का भाग VIII      2. नगरपालिका
C. भारतीय संविधान का भाग IV A     3. पंचायत
D. भारतीय संविधान का भाग IXA      4. मूल कर्त्तव्य
कूटः 
A B C D
अ.  3 1 4 2
ब. 1 2 3 4
स. 2 4 1 3
द. 4 3 2 1
उत्तर- अ

निम्नलिखित में से कौन एक सही है?
अ. भारतीय संविधान में मूल अधिकारों को शामिल करने के लिए नेहरू रिपोर्ट (1928) ने समर्थन किया था।
ब. भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने मूल अधिकारों को प्रश्रय दिया था।
स. अगस्त प्रस्ताव, 1940 ने मूल अधिकार शामिल किए थे।
द. क्रिप्स मिशन, 1942 ने मूल अधिकारों को प्रश्रय दिया था।
उत्तर- अ

व्याख्या- सर्वदलीय सम्मेलन द्वारा नियुक्त नेहरू समिति ने जिस भावी संविधान की संस्तुति की थी उसमें मौलिक अधिकार निहित थे। मार्च, 1931 के करांची अधिवेशन में कांग्रेस ने मूल अधिकारों की मांग को दोहराया। एक संकल्प में कहा गया कि ‘स्वाधीन भारत में किसी भी संविधान को मौलिक अधिकारों की गांरटी देनी चाहिए।’ वर्ष 1946 में ब्रिटिश मिशन ने इस बात को स्वीकार किया कि भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों की लिखित गारंटी देना आवश्यक है। कैबिनेट मिशन ने अन्य बातों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों पर भी रिपोर्ट देने के लिए एक सलाहकार समिति के गठन की सिफारिश की।


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