संसद के सत्रावसान, स्थगन तथा विघटन से क्या तात्पर्य है?

संसद के सत्रावसान, स्थगन

क्या राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को पदच्युत कर सकता है?

  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को किसी भी परिस्थिति में पदच्युत नहीं कर सकता। अनुच्छेद 75(2) के अनुसार ‘मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे।’ लेकिन यह उपबंध प्रधानमंत्री पर लागू नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि मंत्री व्यक्तिगत रूप से भी राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होंगे तथा प्रधानमंत्री के परामर्श पर किसी भी मंत्री को मंत्री पद से हटाया जा सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री पर कोई भी भ्रष्टाचार तथा कानून-अव्यवस्था के आरोप लगाकर उसे पदच्युत नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है। यदि लोकसभा का विश्वास खोने पर तथा राष्ट्रपति के कहने पर भी प्रधानमंत्री त्यागपत्र नहीं देता है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दूसरे व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर देता है तथा वह प्रधानमंत्री स्वतः ही पद मुक्त हो जाता है। 


संसद के सत्रावसान, स्थगन तथा विघटन से क्या तात्पर्य है?

  • सदन की बैठक (क) सत्रावसान, ख. स्थगन अथवा ग. विघटन द्वारा समाप्त की जा सकती है। विघटन से वह लोकसभा का समाप्त हो जाती है तथा नई लोकसभा का निर्वाचन कराना पड़ता है। 
  • सत्रावसान के केवल ‘सत्र’ की समाप्ति होती है था स्थगन से संसद के सत्र की समाप्ति नहीं होती, अपितु सदन की कार्यवाही को एक अनिश्चित अवधि-घंटे, दिन या सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाता है। 
  • राष्ट्रपति विघटन (केवल लोकसभा का) तथा सत्रावसान मंत्रिमंडल की सलाह पर करता है। राज्यसभा तथा लोकसभा की दैनिक बैठकों का स्थगन क्रमशः राज्यसभा का सभापति तथा लोकसभा का अध्यक्ष करता है।


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