राजस्थान के प्रमुख किसान आन्दोलन


दूधवाखारा किसान आंदोलन
  • 1944 ई. में जागीरदारों ने बकाया राशि के भुगतान का बहाना कर अनेक किसानों को उनकी जोत से बेदखल कर दिया।
  • बीकानेर प्रजा परिषद ने हनुमानसिंह के नेतृत्व में किसान आन्दोलन का समर्थन किया।
कांगड़ काण्ड
  • बीकानेर के किसान आंदोलन के इतिहास की अन्तिम महत्त्वपूर्ण घटना कांगड काण्ड थी।
  • यह आन्दोलन जागीरदारों के अत्याचारों से उपजा स्वस्फूर्त किसान आंदोलन था।
  • 1946 में खरीफ फसल नष्ट होने के कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
  • 30 मार्च, 1949 को बीकानेर राज्य के राजस्थान में विलय के साथ ही बीकानेर में राजतंत्र व सामन्तवाद को अन्तिम रूप से विदा कर दिया। जिसमें किसान आंदोलन की निर्णायक भूमिका थी।
सीकर किसान आन्दोलन
  • वर्षा न होने पर सामंत कल्याण सिंह ने 25 प्रतिशत कर वृद्धि की व कठोरता से वसूली की।
  • खूडीगांव व कूदन गांव में वैब द्वारा नरसंहार
  • रामनारायण चौधरी ने ‘तरुण राजस्थान’ पत्र में
  • उनके प्रयासों से मई 1925 ई. में इंग्लैण्ड के ‘हाऊस ऑफ कॉमन्स’ में सदस्य मि. पैट्रिक लारेन्स ने सीकर के किसानों के मामले में प्रश्न पूछा।
  • 1931 ई. में सीकर के जाटों ने ‘राजस्थान जाट क्षेत्रीय सभा’ की स्थापना कर सामन्ती जुल्मों एवं अत्याचारों का मुकाबला किया।
  • जयपुर राज्य की मध्यस्थता से लगान में कमी व भूमि बन्दोबस्त करने पर आंदोलन समाप्त हुआ।
चिड़ावा किसान आन्दोलन 
  • 1922 ई. में मास्टर प्यारेलाल गुप्ता ने चिड़ावा में ‘अमर सेवा समिति’ की स्थापना की।
  • मास्टर प्यारेलाल गुप्ता यूपी के अलीगढ़ जिले के रहने वाले थे तथा ‘चिड़ावा का गांधी’ कहलाते थे।
  • खेतड़ी नरेश अमरसिंह ने इन्हें गिरफ्तार किया। 
  • चांदकरण शारदा तत्काल चिड़ावा आये और लोगों को इन अत्याचारों के विरुद्ध तनकर खड़े रहने का आह्वान किया।
  • सेठ जमनालाल बजाज, सेठ घनश्याम दास बिडला, सेठ वेणी प्रसाद डालमिया आदि नेताओं ने खेतड़ी के राजा को कठोर चिट्ठियां लिखकर कड़ा विरोध जताया।
  • अंत में सभी कैदी रिहा।
कटराथल किसान आन्दोलन 
  • असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर किसान हरलाल सिंह ने किसानों को संगठित करने एवं चेतना जाग्रत करने हेतु किसान पंचायतों का गठन किया।
  • शेखावाटी क्षेत्र में पं. तारकेश्वर शर्मा, सरदार हरलाल सिंह, घासीराम चौधरी, नेतराम आदि ने किसान सभा गठित की जिसने पुरजोर एवं प्रभावी तरीके से किसानों के पक्ष को रखकर किसान आन्दोलन  को प्रभावी बनाया।
  • शेखावाटी में ग्राम कटराथल में अप्रैल, 1934 में किसान सभा के नेता हरलाल की पत्नी किशोरी देवी के नेतृत्व में हजारों जाट महिलाओं ने किसान आन्दोलन  में भाग लिया एवं मांग पत्र प्रस्तुत किया।
प्रथम महिला सम्मेलन - कटराथल
  • शेखावाटी के सीहोट के ठाकुर द्वारा जाट महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार का विरोध करने के लिए 25 अप्रैल, 1934 को कटराथल नामक स्थान पर ‘श्रीमती किशोरी देवी’ के नेतृत्व में एक विशाल महिला सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें लगभग 10 हजार जाट महिलाओं ने भाग लिया।
  • इस सम्मेलन में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाएं थी - श्रीमती उत्तमादेवी, श्रीमती रमा देवी, श्रीमती फूलां देवी, श्रीमती दुर्गा देवी शर्मा आदि।
बूंदी किसान आन्दोलन 

  • बूंदी का बरड़ क्षेत्र 1920-22 की अवधि में किसान आन्दोलन से प्रभावित हुआ था।
  • कोटा के नेता नयनूराम शर्मा हाड़ौती सेवा संघ के कर्ताधर्ता थे।
  • सन् 1926 ई. में पं. नयनूराम शर्मा के नेतृत्व में बूंदी के किसानों ने बेगार, लाग-बाग और लगान की ऊंची दरों के विरुद्ध आन्दोलन छेड़ा।

मेव किसान आन्दोलन
  • अलवर, भरतपुर क्षेत्र में मोहम्मद हादी ने 1932 ई. में ‘अन्जुमन खादिम उल इस्लाम’ नामक संस्था स्थापित कर मेव किसान आन्दोलन को एक संगठित रूप दिया।
  • इसने मेवात की मेव जाति के लोगों में जनजागृत्ति लाने का कार्य किया।
  • अलवर के मेव किसान आन्दोलन का नेतृत्व चौधरी यासीन खान द्वारा किया गया।

अलवर किसान आन्दोलन एवं नीमूचाणा आन्दोलन 1921-1925
  • कारण: अलवर रियासत में जंगली सुअरों को अनाज खिला कर रोधों में पाला जाता था।
  • ये सुअर किसानों की खड़ी फसल बर्बाद कर देते थे। उनको मारने पर भी राज्य सरकार ने पाबंदी लगा रखी थी।
  • सुअरों की समस्या के निराकरण हेतु किसानों ने 1921 में आंदोलन शुरू किया।
  • अंततः सरकार ने समझौता कर किसानों को सुअर मारने की इजाजत दे दी।
  • 1923-24 में अलवर महाराजा जयसिंह ने लगान की दरों को बढ़ा दिया।
  • 14 मई, 1925 ई. को लगभग 800 किसान अलवर के नीमूचाणा गांव में एकत्र हुए। उस सभा पर सैनिक बलों ने मशीनगनों से अंधाधुंध फायरिंग की जिससे सैकड़ों लोग मारे गये।
  • महात्मा गांधी ने इस कांड को ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ से भी वीभत्स बताया और उसे ‘Dyrism Double Distilled’ की संज्ञा दी।
  • अंततः सरकार को लगान के बारे में किसानों के समक्ष झुकना पड़ा और आंदोलन रूक गया।
सीतादेवी
  • अलवर रियासत के नीमूचाणा के किसान रघुनाथ की बेटी सीतादेवी ने भी अलवर किसान आन्दोलन में भाग लिया। जब अंग्रेज सिपाहियों ने नीमूचाणा गांव में गोलियां बरसानी आरम्भ की तो सीतादेवी किसानों को ललकार रही थी।
  • ‘‘हम किसी भी हालत में ठिकाने को अधिक लगान नहीं देंगे।’’
Objective:-

एकी आन्दोलन किस स्थान से प्रारंभ हुआ?
अ. डूंगरपुर ब. बांसवाड़ा स. मातृकुण्डिया द. सागवाड़ा
उत्तर - स

राजस्थान में ‘एकी आन्दोलन’ का सूत्रपात किसने किया?
अ. भोगीलाल पाण्ड्या ब. मोतीलाल तेजावत
स. माणिक्य लाल वर्मा द. गोविन्द गिरि
उत्तर - ब

राजस्थान में किसान आन्दोलन के जनक किसे माना जाता है?
अ. केसरी सिंह बारहठ ब. विजयसिंह पथिक
स. माणिक्यलाल वर्मा द. हरिभाऊ उपाध्याय
उत्तर - ब

भील एवं गरासियों को एकत्रित करने के लिए ‘सम्पसभा’ की स्थापना किसने की?
अ. मोतीलाल तेजावत ब. भोगीलाल पाण्ड्या
स. माणिक्य लाल वर्मा द. गोविन्द गिरि
उत्तर - द

किस वर्ष नीमूचाणा (अलवर) दुखान्त घटना हुई?
अ. 1925 में ब. 1926 ई. में स. 1927 ई. में द. 1924 ई. में
उत्तर - अ


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