राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र

राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र
रवीन्द्र मंच, जयपुर
  • 15 अगस्त, 1963 को तत्कालीन केन्द्रीय शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्री हुमायूं कबीर ने किया।
  • पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र - उदयपुर 1986 ई. में
  • राजस्थान ललित अकादमी, जयपुर - 1957 ई. में
जवाहर कला केन्द्र, जयपुर
  • पारम्परिक एवं विलुप्त होती जा रही कलाओं को खोज, उनका संरक्षण एवं संवर्द्धन करने तथा कलाओं को जनाश्रयी बनाकर उनका समन्वित विकास करने के लिए इस केन्द्र की स्थापना की गई।
चित्रकला के विकास हेतु कार्यरत कुछ संस्थाएं
  • जोधपुर में चितेरा व धोरां
  • उदयपुर में तूलिका कलाकार परिषद, टखमण
  • कलावृत्त आयाम, क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप - जयपुर
  • रूपायन संस्थान, बोरूंदा  - जोधपुर 1960 ई. में
  • अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक 1978 ई.
राजस्थान संगीत संस्थान, जयपुर
  • राज्य में संगीत शिक्षा की समृद्धि के लिए सन् 1950 ई. में इसकी स्थापना की गई।
  • प्रथम प्राचार्य श्री ब्रह्मानन्द गोस्वामी थे। 
  • इस संस्थान में शास्त्रीय गायन, सितार, वायलिन, तबला, गिटार एवं कत्थक नृत्य के शिक्षण की व्यवस्था है।
जयपुर कत्थक केन्द्र, जयपुर
  • कत्थक नृत्य के जयपुर घराने की प्राचीन एवं शास्त्रीय शैली को पुनर्जीवित कर उसे समुन्नत करने के लिए सन् 1978 में राज्य सरकार द्वारा इसकी स्थापना की गई।
भारतीय लोक कला भण्डार, उदयपुर
  • संस्थापक - पद्म श्री स्वर्गीय देवीलाल सामर 1952 ई. में स्थापना की।
  • मुख्य उद्देश्य - लोक कला प्रदर्शनोपयोगी लोककलाओं एवं कठपुतलियों के शोध सर्वेक्षण, प्रशिक्षण एवं लोकलाओं का प्रचार-प्रसार करना है।
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर
  • सांगीतिक एवं नाटय विधाओं के प्रचार-प्रसार के लिए सन 1957 ई. में स्थापना की गई।
  • नाट्य, लोक नाट्य, शास्त्रीय गायन, वादन, नृत्य, लोकसंगीत एवं नृत्य आदि गतिविधियों का संचालन इसकी प्रमुख प्रवृत्तियां है।

  1. महाराजा रामसिंह के समय जयपुर में स्थापित रामप्रकाश थियेटर राजस्थान की पहली सुनिर्मित नाट्यशाला थी।
  2. जयपुर में गुणीजन खाना महाराजा प्रतापसिंह के समय स्थापित हुआ।
  3. राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स (मदरसा हुनरी) की स्थापना महाराजा रामसिंह ने 1888 ई. में की।
  4. उदयपुर में 1952 में पश्चिम-क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की गई।
  5. उदयपुर से 13 किलोमीटर दूर हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से शिल्पग्राम की स्थापना की गई।
  6. कला धरोहर का संरक्षण तथा राज्य के कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए जवाहर कला केन्द्र, जयपुर का उद्घाटन अप्रैल, 1993 में किया गया।
  7. राजस्थान में भवानी नाट्यशाला -झालावाड़, मरुधरा लोक कला मंडल - पाली, अभिनव शिक्षा समिति - बांसवाड़ा, अखिल भारतीय साहित्य परिषद - जालौर तथा शिक्षा प्रचार मंडल-सवाई माधोपुर में स्थित है।



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