नए साहूकार


नए साहूकार बैंक से कर्ज लेते हैं,
और दुगुने ब्याज पर किसानों को कर्ज देते हैं।
हां तभी तो किसान सिर्फ पेट पलते हैं,
वर्तमान साहूकारों के कर्ज में,
पीढ़ियों से यही देखा है,
यही पढ़ा है,
देख रहा हूं वही फिर से।
क्योंकि अब सेठ साहूकार,
नई पीढ़ी है जो पढ़कर,
अमल नहीं करती,
पूर्व के साहूकार से क्या कम है।
सबका ध्यान लगा हुआ है,
धन संचय का प्रश्न बड़ा है।
हां आज के साहूकार,
बैंक से कर्ज लेकर,
उसी किसान-मजदूर को,
दुगुने ब्याज पर कर्ज देते हैं।
और बैंक मैनेजर हंस कर,
गारन्टी लेते हैं,
और अपनी जात-रिश्तेदार को,
नए साहूकार बनने में मदद देते हैं।
यह नया खेल है,
कुछ पूर्व साहूकारों से प्रतिशोध लेते हैं।
दोष सरकार का नहीं,
कर्ज माफी का लाभ,
नए साहूकार ही लेते हैं।
लेखक - 
राकेश सिंह राजपूत

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