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मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक

  • मानव विकास सूचकांक की रचना सर्वप्रथम 1990 ई. में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से जुड़े अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने की थी।
  • मानव विकास सूचकांक की रचना तीन सूचकांकों - शिक्षा सूचकांक, जीवन प्रत्याशा सूचकांक तथा सकल घरेलू उत्पादन सूचकांक के आधार पर की जाती है। 
  • मानव विकास सूचकांक तीनों सूचकांकों का औसत होता है।
  • मानव विकास सूचकांक - 1/3 (जीवन प्रत्याशा सूचकांक+ शिक्षा सूचकांक+ सकल घरेलू उत्पादन सूचकांक)
  • मानव विकास सूचकांक का मान 0 से 1 के मध्य होता है। मानव विकास सूचकांक की तीन श्रेणियां होती है।

विकास की श्रेणी सूचकांक का मान
  1. उच्च मानव विकास 0.8 या इससे अधिक 
  2. मध्यम मानव विकास        0.5 से 0.799 तक
  3. निम्न मानव विकास         0.5 से कम
  • HDI, 2018 में 0.953 HDI मूल्य के साथ नॉर्वे प्रथम स्थान पर है।
  • मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से वर्तमान में भारत का 130वें स्थान है।

HDI, 2018 के महत्वपूर्ण तथ्य
  • मानव विकास निम्नतम देशों के निवासियों की तुलना में उच्चतम स्तर वाले देशों के निवासी 19 वर्ष अधिक जीते हैं और स्कूल में 7 वर्ष अधिक व्यतीत करते हैं।
  • वर्ष 2017 के आंकड़ों पर आधारित ‘मानव विकास रिपोर्ट, 2018’ 14 सितंबर, 2018 को जारी की गई।
  • HDI, 2018 में 189 देशों को शामिल किया गया है।
  • नॉर्वे के पश्चात स्विट्जरलैंड (0.944), ऑस्ट्रेलिया (0.939), आयरलैंड (0.938) तथा जर्मनी (0.936) सर्वाेच्च पायदान वाले 5 राष्ट्र हैं।
  • HDI, 2018 में अंतिम पायदान (189वां स्थान) पर 0.354 HDI मूल्य के साथ अफ्रीकी देश नाइजर है।
  • भारत का HDI मूल्य 0.640 है तथा यह 130वें पायदान पर है।
  • भारत को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है।
  • वर्ष 1990 से 2017 के मध्य भारत के HDI मान में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 1990 से 2017 के मध्य भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 11 वर्ष बढ़ी है।
  • वर्ष 1990 से 2017 के मध्य भारत की सकल राष्ट्रीय आय प्रति व्यक्ति 266.6 प्रतिशत बढ़ी है।
  • भारत का भ्क्प् मान (0.640) दक्षिण एशियाई औसत (0.638) से अधिक है।
  • असमानताओं के कारण भारत के HDI मान में 26.8 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र के औसत कमी (26.1 प्रतिशत) के संदर्भ में अधिक है।
  • रिपोर्ट में असमानता को भारत के लिए प्रमुख चुनौती माना गया है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार तथा राज्य सरकारों ने अपने सामाजिक नीतिगत व योजनागत उपायों से आर्थिक विकास के लाभ को साझा करने के प्रयास सुनिश्चित किए हैं।
  • इस रिपोर्ट में जेंडर इनइक्वेलिटी इंडेक्स में भारत को 160 देशों में 127वां स्थान प्राप्त हुआ है।
  • भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (76वां), चीन (86वां) व मालदीव (101वां स्थान) की स्थिति भारत से बेहतर है।
  • जबकि भूटान (134वां), बांग्लादेश (136वां), नेपाल (149वां) तथा पाकिस्तान (150वां स्थान) की स्थिति भारत से बदतर है।
  • एशियाई देशों में सर्वाेच्च रैंक हांगकांग (7वां) को प्राप्त हुई है, उसके पश्चात सिंगापुर (9वां) का स्थान है।
  • मार्शल आइलैंड को पहली बार शामिल किया गया है।

  1. भारत में जीवन प्रत्याशा - 68.8 वर्ष
  2. भारत में विद्यालय जाने के अनुमानित वर्ष - 12.3 वर्ष
  3. भारत में प्रतिव्यक्ति आय (2011 पीपीपी) - 6353 डॉलर
  4. भारत में लैंगिक विकास सूचकांक - 0.841
  5. भारत में गरीबी - 42.9 प्रतिशत

हरित जीएनपी (Green GNP)
  • इसका प्रतिपादन सर्वप्रथम 1995 ई. में विश्व बैंक द्वारा किया गया। ग्रीन जीएनपी एक निश्चित समयावधि में प्रति व्यक्ति उत्पादन की वह अधिकतम मात्रा है, जिसे देश की प्राकृतिक सम्पदा अथवा पर्यावरण को स्थिर या संरक्षित रखते हुए प्राप्त किया जा सकता है।
  • ग्रीन जीएनपी को Health of Nation भी कहा जाता है। 
  • 1995 में विश्व बैंक ने 192 देशों की ग्रीन जीएनपी जारी किया था। 
  • इसमें ऑस्ट्रेलिया शीर्ष पर, जबकि इथियोपिया सबसे नीचे स्थान पर रहा था। 
  • भारत उस समय नीचे से 20वें स्थान पर था।

मानव निर्धनता सूचकांक  (Human Poverty Index)
  • मानव निर्धनता सूचकांक की अवधारणा पहली बार 1997 के मानव विकास रिपोर्ट में आयी। मानव विकास सूचकांक की ही तरह इसका आकलन भी यूएनडीपी द्वारा किया जाता है। 
  • मानव निर्धनता सूचकांक दो प्रकार का होते हैं - HPI-1 और HPI-2 
  • HPI-1 की रचना विकासशील देशों के लिए की जाती है, जबकि HPI-2 की रचना विकसित देशों के लिए की जाती है। मानव निर्धनता सूचकांक के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य तथा उत्तम जीवन स्तर आदि का आकलन किया जाता है। 
  • HPI-1 और HPI-2 दोनों के लिए अलग-अलग मानक बनाये गये हैं।


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