अंतर्बेधी आकृतियां


  • जब लावा धरातल पर पहुंचने से पहले ही भूपटल के नीचे शैल परतों में जम जाता है तो विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनती हैं जिन्हें अंतर्बेधी आकृतियां कहते हैं।

महत्त्वपूर्ण अंतर्बेधी आकृतियां -
बैथोलिथ -
  • यह सबसे बड़ा आग्नेय चट्टानी पिण्ड है जो अन्तर्बेधी चट्टानों से बनता है।
  • यह सैकड़ों किलोमीटर लम्बा तथा 50 से 80 किलोमीटर चौड़ा होता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का इदाहो बैथोलिथ 40 हज़ार वर्ग किमी से भी अधिक विस्तृत है।
  • पश्चिमी कनाड़ा का कोस्ट रेंज बैथोलिथ इससे भी बड़ा है। इसकी मोटाई इतनी अधिक होती है कि इसके आधार पर पहुंच पाना बहुत ही कठिन होता है।
  • यह एक पातालीय पिण्ड है। यह एक बड़े गुम्बद के आकार का होता है जिसके किनारे खड़े होते हैं। इसका ऊपरी तल विषम होता है। यह मूलतः ग्रेनाइट से बनता है।

स्टॉक -
  • छोटे आकार के बैथोलिथ को स्टॉक कहते हैं।
  • स्टॉक का विस्तार 100 वर्ग किमी से कम होता है।
  • इसका ऊपरी भाग गोलाकार गुम्बदनुमा होता है और अन्य विशेषताएं बैथोलिथ जैसी होती है।

लैकोलिथ -
  • जब मैग्मा ऊपर की परत को जोर से ऊपर को उठाता है और गुम्बदाकार रूप में जम जाता है तो इसे लैकोलिथ कहते हैं।
  • मैग्मा के तेजी से ऊपर उठने के कारण यह गुम्बदाकार ठोस पिण्ड छतरीनुमा दिखाई देता है। लैकोलिथ बर्हिर्बेधी ज्वालामुखी पर्वत का ही एक अन्तर्बेधी प्रतिरूप है।
  • ऊत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में लैकोलिथ के कई उदाहरण मिलते हैं।

लैपोलिथ -
  • जब मैग्मा जमकर तश्तरीनुमा आकार ग्रहण कर लेता है तो उसे लैपोलिथ कहते हैं।
  • लैपोलिथ दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं।

फैकोलिथ -
  • जब मैग्मा लहरदार आकृति में जमता है तो फैकोलिथ कहलाता है।

सिल -
  • जब मैग्मा भू-पृष्ठ के समानान्तर परतों में फैलकर जमता है तो उसे सिल कहते हैं।
  • इसकी मोटाई एक मीटर से लेकर सैकड़ों मीटर तक होती है। मध्य प्रदेश तथा बिहार में सिल पाए जाते हैं।
  • एक मीटर से कम मोटाई वाले सिल को शीट कहते हैं।

डाइक -
  • जब मैग्मा किसी लम्बवत दरार में जमता है तो डाइक कहलाता है।
  • इसकी लम्बाई कुछ मीटर से कई किलोमीटर तक तथा मोटाई कुछ सेण्टीमीटर से कई मीटर तक होती है।
  • यह कठोर हेाता है और अपरदन के कारकों का इस पर जल्दी से प्रभाव नहीं पड़ता।
  • झारखण्ड के सिंहभूमि जिले में अनेक डाइक दिखाई देते हैं।

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