Type Here to Get Search Results !

युवा हताश न हो नकलचियों से मिलकर करे मुकाबला



  • हमारे एक मित्र अपने पिछले दिनों की कहानी सुनाते हैं जिसमें उनकी असफलता तो जाहिर होती है किन्तु सरकार द्वारा ली जा रही प्रतियोगी परीक्षाओं में खामियां नजर आती है। वे सुनाते है कि एक बार 2011 द्वितीय श्रेणी शिक्षक की एग्जाम दे रहे थे तो उनका सेन्टर दौसा के भारतीय कॉलेज में आया था जोकि प्राइवेट कॉलेज था। कुछ कमरों के अलावा कुछ नहीं था जो मात्र एक विद्यालय से अधिक नहीं लगता था। पर क्या करे आरपीएसी खुद तो भवन नहीं देखती और हमें तो एग्जाम देनी थी। 
  • जब एग्जाम रूम में उनसे कुछेक परीक्षार्थियों को छोड़कर आगे की ओर एक परीक्षार्थी के पास एक महान विद्वान परीक्षा हॉल में आता है और उस परीक्षार्थी को सामान्य अध्ययन का पेपर हल करवाता है। हमारे मित्र को इसकी सूचना तब मिलती जब एग्जाम समाप्त होने में मात्र पांच मिनट रहे थे, वो सिर्फ परीक्षा हॉल का माहौल देखकर अचम्भित रहे गये कि ये शिक्षक भर्ती की परीक्षा है या कोई छोटी क्लास की एक्जाम। 
  • सभी परीक्षार्थी एक-दूसरे से प्रश्नों के उत्तर जानने की कोशिश कर रहे थे और वह विद्वान बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले महाशय को पेपर हल कराने में मशगूल था।
  • होना क्या था हमारे मित्र फैल और वो परीक्षार्थी माडसाब बन गये। सामान्य ज्ञान ने ही उस माडसाब की नैया तार दी और उस विद्वान की जेब मोटी हो गई और जीवन का एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। विद्वान ने बहुत बड़ा काम किया। वह प्रसन्न हो रहा होगा कि उसका परिश्रम सफल हो गया और भ्रष्टाचार की पहली सीढ़ी में वे पास हो गये।
  • और कहीं पर वह माड़साब मिला तो कहेगा और आज तू जो कोई भी अप्पून की वजह से है।
  • हमारा मित्र आज भी सिद्धांतों के सहारे बेरोज़गारी की ठोकरें खा रहे हैं कइयों ने ऑफर भी किया पैसे दे और तमाशा देख, पर साब मेहनत पर अड़े है लो ऑवर ऐज होने को है। 
  • अक्सर मैंने देखा है कि समाज के ये लोग जो ऐसा करते हैं वे अपनी तारीफ करते नजर आते हैं वे कहते हैं मैंने फला व्यक्ति को नौकरी पर लगवा दिया।
  • और क्या उपाड़ेगी सरकार और आरपीएससी? 
  • ये तो एक किस्सा है माडसाब बनने के ऐसे किस्से कई लोगों से सुने हैं कि कई प्राइवेट स्कूल वाले पैसों के बूते पर लोगों को पास करवा देते हैं और तो और एक-दो नहीं परी की पूरी क्लास। 
  • आरपीएससी के रिजल्ट्स के खिलाफ गड़बड़ी की जांच के लिए रिट लगती है।
  • हम सुने हुए तथ्यों पर विश्लेषण करते हैं तब जाकर कुछ लिखते हैं। यदि हमारी बात गलत है तो फिर एक प्रतियोगी परीक्षार्थी के साथ क्यों उनके माता-पिता साथ जाते हैं। क्यों वे जुगाड़ लगाते फिरते हैं। हम सब परीक्षार्थियों की नहीं कहते हैं कुछेक हैं जो अवसर की तलाश में रहते हैं।
  • हमारा मित्र का तर्क बड़ा सही था पर उस विचार कौन करे। वह कोई मंत्री थोड़े ही है।
  • वे सुनाते हैं - हम लाखों रुपये तो नहीं दे सकते नौकरी के लिए क्योंकि हम तो पहले ही बेरोजगार है और पिताजी में इतना साहस नहीं। पर हम इतना अवश्य कर सकते हैं कि आरपीएससी इन नकलबाजों को सबक सीखने के लिए पेपर लीक पर हमसे एग्जाम फीस फिर से ले ताकि उन लोगों को सबक सीखा सके।
  • हां, इन सब के बीच हमारे मित्र ने एक बात और कही कि यदि बार-बार पेपर लीक होता है तो क्यों न आरपीएससी हर एग्जाम की प्री-परीक्षा तो जिला स्तर पर ले लें और मैन्स के लिए तीन गुना पास करें और मैन परीक्षा भी ऑबजेक्टि हो जो अजमेर में ही सम्पन्न हो ताकि जो पैसे देने वाले हैं उन्हें परास्त किया जा सके। 
  • हमने कहा कितनी बार तुम फिस भरोगे ज्यादा से ज्यादा दो बार। फिर आगे का क्या वे बोले हम दस बार फिस भर देंगे पर आरपीएससी हर बार सख्ती से पेश आये। चोरी पकड़ी के फिर से एग्जाम देखे ये पैसे वाले कब तक लाखों रुपये देंगे।
  • वैसे तर्क सही था, कई बार पेपर लीक के चर्चा भी नरम पड़ जाते हैं बेचारा आरपीएससी करोड़ों रुपये कहा से लाए वे तो छात्रों से यही भी नहीं कह सकता कि आप दोबारा फीस भरों मैं फिर से परीक्षा करवाउंगा और ये पेपर लीक करने वालों और सेटिंगबाजों को सबक सीखाऊंगा।
  • पर सारे परीक्षार्थी तैयार रहना जितनी बार नकल के केस उतनी बार आप फीस देना, इन चोर को हॉपलेस कर देंगे।
  • तो दोस्तों हम भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी जीत नहीं पा सकते, पर कुछ हद तक एक-दूजे का साथ मिले तो उसे कम किया जा सकता है।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Ad