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राजपूताना मध्य भारत सभा


राजस्थान में राजनीतिक संगठनों की स्थापना
  • 1919 ई. में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में राजस्थान के कई व्यक्तियों ने भाग लिया, जिसके परिणामस्वरूप इनका सम्पर्क अंग्रेजी भारत और अन्य राज्यों के नेताओं से हुआ।
  • इस अधिवेशन के बाद गणेशशंकर विद्यार्थी, विजयसिंह पथिक, जमनालाल बजाज, चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा, स्वामी नरसिंहदेव सरस्वती आदि के प्रयत्नों से 'राजपूताना मध्य भारत सभा' नाम एक राजनीतिक संस्था की स्थापना, दिल्ली के चांदनी चौक स्थित मारवाड़ी पुस्तकालय में हुई।
  • इस सभा का मुख्य उद्देश्य रियासतो में उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना और रियासत के लोगों को कांग्रेस का सदस्य बनाना था। 
  • संस्था का मुख्य कार्यालय कानपुर में रखा गया, जो उत्तरी भारत में मारवाड़ी पूंजीपतियों और मजदूरों का सबसे बड़ा केन्द्र था।
  • यहां से गणेशशंकर विद्यार्थी द्वारा सम्पादित ‘प्रताप’ नामक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित होता था, जो इस क्षेत्र का प्रमुख राष्ट्रीय पत्र था। इस पत्र ने राजस्थान में राजनीतिक हलचल के प्रसार में अपूर्व योगदान दिया।
  • दूसरा अधिवेशन दिसम्बर 1919 में अमृतसर में 
  • मार्च 1920 में राजपूताना मध्य भारत सभा का तीसरा  अधिवेशन जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में अजमेर में आयोजित किया गया।
  • राजस्थान में राजनीतिक प्रचार के लिए 22 अक्टूबर, 1920 से वर्धा से ‘राजस्थान केसरी’ नामक समाचार पत्र निकाला जाने लगा। 
  • विजयसिंह पथिक इसके सम्पादक और रामनारायण चौधरी सह सम्पादक। 
  • इस पत्र के लिए आर्थिक सहायता जमनालाल बजाज ने दी।
  • राजस्थान केसरी’ ने आरम्भ से ही किसानों और मजदूरों के समर्थन की नीति अपनाई। 
  • 1921 ई. में पथिक राजस्थान लौट आये उन्होंने अजमेर से ‘नवीन राजस्थान’ नामक समाचार पत्र निकालना आरम्भ किया। 
  • बाद में इस पत्र का नाम ‘तरुण राजस्थान’ रख दिया गया, क्योंकि ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘नवीन राजस्थान’ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था।
  • इस पत्र के सम्पादन में शोभालाल गुप्त, रामनारायण चौधरी, जयनारायण व्यास आदि नेताओं का बड़ा योगदान रहा।
  • ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ 1920 के बाद सक्रिय नहीं रह सकी।

राजस्थान सेवा संघ
  • राजस्थान सेवा संघ की स्थापना 1919 ई. में वर्धा में की गई। इसकी स्थापना विजयसिंह पथिक, रामनारायण चौधरी और हरिभाई किंकर के योगदान से हुई।
मुख्य उद्देश्य:-
  • जनता की समस्याओं का निवारण करना था।
  • साथ ही इसका ध्येय जागीरदारों और राजाओं का अपनी प्रजा के साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करवाना था।
  • इस संघ के माध्यम से राजस्थान में राजनीतिक चेतना का प्रसार हुआ।
  • इस संघ ने बिजौलिया और बेगूं किसान आन्दोलन, सिरोही और उदयपुर में भील आन्दोलन का मार्गदर्शन किया था।
  • मार्च 1924 में रामनारायण चौधरी और शोभालाल गुप्त को ‘तरुण राजस्थान’ में देशद्रोहात्मक सामग्री प्रकाशित करने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया।
  • न्यायालय ने रामनारायण चौधरी का मुक्त कर दिया परन्तु गुप्त को दो साल का कठोर कारावास की सजा मिली।
  • 1924 में मेवाड़ राज्य सरकार द्वारा पथिक को कैद किये जाने के बाद से सेवा संघ के पदाधिकारियों व सदस्यों में परस्पर मतभेद शुरू हो जाने से 1928-29 तक यह पूर्णतया प्रभावहीन हो गया।
असहयोग आन्दोलन
  • असहयोग आन्दोलन के समय जयपुर राज्य में जमनाला बजाज ने अपनी ‘रायबहादुर’ की उपाधि लौटा दी और एक लाख रुपये तिलक स्वराज्य कोष में दिये।
  • 1921 में बीकानेर में मुक्ताप्रसाद वकील ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी पहनने का व्रत लिया।
  • 15 मार्च, 1921 को अजमेर में द्वितीय राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मोतीलाल नेहरू उपस्थित थे। मौलाना शौकत अली ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आह्वान किया।
  • अजमेर में पण्डित गौरीशंकर के नेतृत्व में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया गया।


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