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समाज शास्त्र की उत्पत्ति

समाज शास्त्र की उत्पत्ति

  • 18वीं शताब्दी की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि में यूरोप ने समाजशास्त्र के उद्गम में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्लेटो (427-347 ई.पू.) की सामाजिक विचारधारा
  • प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘रिपब्लिक’ में लिखा है कि मानव व्यवहार उस समाज की उपज हें जिसमें एक व्यक्ति जन्म लेता है। व्यक्ति उसी प्रकार का व्यवहार करता है, जिस प्रकार से समाज उसे व्यवहार करना सिखाता है।
  • प्लेटो के अनुसार सामाजिक स्तरीकरण का आधार जन्म नहीं होना चाहिए।
  • प्लेटो लिंगभेद के आधार पर असमानता के सिद्धांत को अस्वीकार करते हैं। आपके अनुसार स्त्री एवं पुरुष के गुणों तथा सामर्थ्य में विशेष अन्तर नहीं है। उनके गुणों के अनुसार उन्हें पुरुष के समान ही शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • प्लेटो ने एक आदर्श समाज की स्थापना के लिए शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार करने पर बल दिया है।
  • बीयरस्टीड - ‘समाजशास्त्र का अतीत तो बहुत लम्बा है, परन्तु इतिहास बहुत छोटा है।’

समाजशास्त्र की उत्पत्ति
  • एक पृथक विज्ञान के रूप् में समाजशास्त्र की चर्चा सर्वप्रथम फ्रांसिसी विचारक अगस्ट कॉम्टे ने अपनी पुस्तक ‘Positive Philosophy’ में 1838 में की।
  • सेंट साइमन ने अपने शिष्य अगस्त कॉम्टे के साथ मिलकर ‘सामाजिक भौतिकी’ नामक नये विज्ञान को विकसित करने का प्रयास किया।
  • आरम्भ में कॉम्टे इस विज्ञान का नाम सामाजिक भौतिकी रखना चाहा लेकिन बेल्जियम के ‘क्वेटलेट’ द्वारा अपने लेख में इस शब्द का उल्लेख 1835 में ही कर लेने पर यह विचार छोड दिया व नये समाज विज्ञान का नाम समाजशास्त्र रखा, इसी कारण अगस्ट कॉम्टे को समाज शास्त्र का पिता कहा जाता है।
  • अगस्ट कॉम्टे ने गणित को सभी विज्ञानों का आधार माना तथा समाजशास्त्र को सभी विज्ञानों की रानी कहा है।
Sociology
  • Socicus - Society लैटिन भाषा का शब्द जिसका अर्थ समाज
  • Logus- Study ग्रीक भाषा का शब्द जिसका अर्थ शास्त्र/विज्ञान होता है।
  • समाज शास्त्र की शुरुआत 1838 ई. में हुई।
  • भारत में समाजशास्त्र की शुरुआत 1914 ई. में हुई।
  • 1838 ई. से पूर्व समाज का अध्ययन इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि विषयों में होता था।
  • जे.एस. मिल ने ‘समाजशास्त्र’ को ‘दो भिन्न भाषाओं की अवैध संतान कहा है।’
  • मिल ने सोशियोलॉजी शब्द के स्थान पर म्जीवसवहल का प्रस्ताव रखा जिसमें सामाजिक संबंधों का अध्ययन किया जा सके।
  • सी. राइट मिल्स ने इसे क्राप्ट मानने का सुझाव दिया।
  • हर्बर्ट स्पेंसर ने अपनी पुस्तक  The Principal Of Sociology से समाजशास्त्र शब्द को प्रचलित कर दिया।
  • प्राकृतिक विज्ञान की तर्ज परर समाजशास्त्र को ढालना ही प्रत्यक्षवाद है।
  • समाजशास्त्र सामाजिक प्रघटनाओं का समग्रता में वैज्ञानिक अध्ययन करता है।
  • मार्क्स द्वारा समाज का गहन व वैज्ञानिक अध्ययन कर उनके द्वारा प्रतिपादित, सिद्धांत वैज्ञानिक समाजवाद इसका उदाहरण है।
  • जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार विभिन्न कालों में समाज आदिम साम्यवादी से दासमूलक समाज, सामंती समाज, पूंजीवादी समाज की तरफ अग्रसर हुआ।
  • दुर्खीम का ‘डिविजन ऑफ लेबर इन सोसायटी’ में किया गया अध्ययन किया जिसमें वे जनसंख्या के घनत्व व नैतिक घनत्व के आधार पर यांत्रिक व सावयवी समाज की बात करते हैं।
  • मैक्स वेबरर द्वारा अपनी पुस्तक ‘प्रोटेस्टेंट इथिक्स एंड स्पिरिट ऑफ कैपिटालिज्म’ में अर्थव्यवस्था के विकास में धर्म की भूमिका का उल्लेख भी इसी श्रेणी में आता है।

समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा

समाजशास्त्र की परिभाषाओं को मुख्यतः पांच भागों में बांटा जा सकता हैं -
  • समाजशास्त्र सामाजिक अंतःक्रियाओं के अध्ययन के रूप में -
  • गिन्सबर्ग, जॉर्ज सिमेल, गिलिन एवं गिलिन
  • समाजशास्त्र ‘सामाजिक संबंधों’ के अध्ययन के रूप में - मैकाइवर एवं पेज, पार्क एवं बर्गेस, वानवीज आरनोल्ड एम. रोज
  • समाजशास्त्र ‘सामाजिक क्रियाओं’ के अध्ययन के रूप में - मैक्स वेबर
  • समाजशास्त्र ‘सामाजिक समूहों’ के अध्ययन के रूप में - जॉनसन, हाइन, फ्लेमिंग एवं नोब्स
  • समाजशास्त्र ‘सम्पूर्ण समाज’ का अध्ययन के रूप में - गिडिंग्स, समनर, वार्ड एवं ओडम।

असिस्टेंट प्रोफेसर का हल प्रश्न Solved Paper



परिभाषाएं -

  • अगस्ट कॉम्टे के अनुसार - ‘समाजशास्त्र सामाजिक स्थैतिकी/सामाजिक व्यवस्था एवं सामाजिक गतिकी/सामाजिक प्रगति का विज्ञान है।’
  • मैकाइवर एवं पेज - ‘ समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के विषय में हैं, सम्बन्धों के इसी जाल (तानाबाना) को समाज कहते है।’
  • मैक्सवेबर - ‘समाजशास्त्र प्रधानतः सामाजिक संबंधों तथा कृत्यों का अध्ययन है।’
  • जो सामाजिक क्रियाओं का विश्लेषणात्मक बोध कराने का प्रयत्न करता है।
  • जॉर्ज सीमेल -‘समाजशास्त्र मानवीय अंतःसंबंधों के स्वरूपों का विज्ञान है।’
  • एल.एफ. वार्ड -‘समाजशास्त्र समाज का विज्ञान हैं।’
  • जॉनसन -‘समाजशास्त्र ‘सामाजिक समूहों’ का विज्ञान है।’
  • किंग्सले डेविस -‘समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है।’
  • गिलिन एवं गिलिन - ‘समाजशास्त्र मनुष्यों के सम्बन्धों से उत्पन्न अंतःक्रियाओं का अध्ययन है।‘
  • गिडिंग्स - ‘समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन हैं जो समग्र रूप से समाज का क्रमिक वर्णन एवं व्याख्या हैं।’
  • इमाइल दुर्खीम -‘समाजशास्त्र समाज के अध्ययन का विज्ञान है।’
  • पी.ए. सोरोकिन -‘समाजशास्त्र सामाजिक, सांस्कृतिक घटनाओं के सामान्य स्वरूपों, प्रकारों और उनके अन्तः सम्बन्धों, उनकी दशाओं और परिणामों का अध्ययन है।’
  • हरबर्ट स्पेन्सर - ‘समाजशास्त्र के अध्ययन की इकाई सम्पूर्ण समाज है।’
  • मोरिस गिन्सबर्ग -‘समाजशास्त्र मानवीय अन्तःक्रियाओं और अंतःसम्बन्धों, उनकी दशाओं और परिणामों का अध्ययन है।’




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