- भारत की अधिकांश मिट्टियां प्राचीन जलोढ़ हैं, जो न केवल पैतृक चट्टानों के विखण्डन से ही बनी हैं, वरन् उनके निर्माण में जलवायु संबंधी कारणों एवं जल परिवहन का भी हाथ रहा है।
- अपनी रचना में भारतीय मिट्टियां अनेक देशों की मिट्टियों से भिन्न है, क्योंकि ये बहुत पुरानी और परिपक्व है।
- मैदानी क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में जीवांश, नाइट्रोजन, खनिज लवण एवं वनस्पति अंश की कमी पाई जाती है।
- कृषि पर भारतीय जनसंख्या की अधिक निर्भरता के कारण निरन्तर खेती किये जाने से भारतीय मिट्टियों की उर्वरा शक्ति के नष्ट होने के साथ-साथ उनका अपरदन भी होता जा रहा है।
- यहां की मिट्टियों के औसत तापमान ऊंचे पाये जाते हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय मिट्टियों की तुलना में यह 100 सें. से 150 सें. अधिक होता है। इससे चट्टानों के टूटते ही रासायनिक विघटन आरंभ हो जाता है।
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