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विज्ञापन


विज्ञापन का अर्थ- 
  • सामान्य रूप में विज्ञापन का आशय किसी तथ्य विशेष जानकारी देने से है किन्तु व्यावसायिक जगत में विज्ञापन का अर्थ बहुत व्यापक है। हम प्रतिदिन असंख्य विज्ञापन संदेश देखते व सुनते है जो हम अनेक उत्पादों जैसे बीमा पॉलिसियाँ, डिटर्जेन्ट पाउडर, शीतल पेय, एक सेवाओं जैसे शिक्षा संस्थान, अस्पताल, होटल आदि के सम्बन्ध में बताते है। 
  • विज्ञापन में टेलीविजन रेडियों, समाचार पत्र, पत्रिका, परिवहन के साधनों, सिनेमा आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी जन-जन को दी जाती है। सामान्य जनता विज्ञापन के माध्यम से वस्तुओं को खरीदने के लिये प्रेरित होती है। 
  • यह व्यक्तिगत सम्प्रेषण होता है जिसका भुगतान विपणनकर्ता कुछ वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करते हैं। 
परिभाषाएँ -
  • डेविड ओगिल्वी के अनुसार ‘‘ यदि आप लोगों को कुछ करने या कुछ खरीदने के लिये प्रोत्साहित करते हैं तो आपको उनकी ही भाषा का प्रयोग करना चाहिये, जिसमें की वे सोचते है।’’ 
  • शैल्डन के अनुसार - ‘‘ विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है।’’ 
  • व्हीलर के अनुसार - ‘‘विज्ञापन लोगों को क्रय करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विचारों, वस्तुओं अथवा सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतीकरण है जिसके लिये भुगतान किया जाता है।’’ 
  • अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार - ‘‘ विज्ञापन एक सुनिश्चित विज्ञापक द्वारा अवैयक्तिक रूप से विचारों, वस्तुओं या सेवाओं को प्रस्तुत करने तथा संवर्द्धन करने का एक प्रारूप है जिसके लिये विज्ञापक द्वारा भुगतान किया जाता है।’’ 
  • उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते है कि विज्ञापन अवैयक्तिक सन्देश है जिसमें उन दृश्यों एवं मौखिक सन्देशों को शामिल है जो सिनेमा, टेलीविजन, यातायात के साधनों, पत्र-पत्रिकाओं, बाह्य साइन र्बाेडों एवं अन्य साधनों द्वारा जन सामान्य को वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी दी जाती है ताकि उपभोक्ताओं को वस्तु क्रय करने हेतु प्रेरित किया जा सके। 
  • विज्ञापन के लिये प्रायोजक/विज्ञापक द्वारा भुगतान किया जाता है। 
  • विज्ञापन के उद्देश्य - विज्ञापन के विरोधियों का कहना है कि विज्ञापन पर किया गया व्यय एक सामाजिक अपव्यय है क्योंकि इससे लागत में वृद्धि होती हैे लोगों की आवश्यकताओं में वृद्धि होती हैं व सामाजिक मूल्यों में गिरावट आती है। लेकिन दूसरी तरफ विज्ञापनों के समर्थकों द्वारा तर्क दिया गया कि विज्ञापन बहुत उपयोगी है क्यांेकि इसके माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है, प्रति इकाई उत्पादन लागत को कम करता है तथा अर्थ व्यवस्था के विकास में सहायक होता है। 

विज्ञापन के उद्देश्य निम्न प्रकार है - 

  1. विक्रय वृद्धि - विज्ञापन का प्रथम व अन्तिम उद्देश्य उत्पाद की बिक्री उपभोक्ताओं में वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत करना विज्ञापन का उद्देश्य होता है। विज्ञापन निरन्तर वस्तु की मांग को बढ़ाता है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है। 
  2. नये ग्राहक बनाना - विज्ञापन का उद्देश्य नये ग्राहक बनाना है। विज्ञापन के माध्यम से वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे से जानकारी मिल जाती है जिससे ग्राहक विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्ण क्रय कर सकता है। 
  3. नये बाजारों में प्रवेश करना- विज्ञापन का उद्देश्य मांग को बढा़ना है व उपभोक्ताओं की पुरानी उपभोग आदतों एवं रूचियों में परिवर्तन कर नये उत्पाद को उपयोग में लेने के लिये प्रेरित करना है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है व नये बाजारों में प्रवेश करना संभव होता है।
  4. मध्यस्थों को आकर्षित करना- प्रभावी एवं निरन्तर विज्ञापन करने से संस्था की ख्याति बढ़ती है जिसके कारण सुदृढ़ एवं प्रतिष्ठित मध्यस्थ संस्था से जुड जाते है व अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का उद्देश्य मध्यस्थों को आकर्षित करना भी है। 
  5.  उपभोक्ता के खरीदने के उद्देश्य व किसी विशेष ब्राण्ड की वस्तु पर प्रभाव डालना- उपभोक्ता वस्तु को खरीदने के लिये उसके आस-पास ही होता है इसलिये वह सम्भावित बिक्री के करीब ही होता है ओर वह विवेकपूर्ण व विश्वसनीयता से वस्तु के प्रति अपनी इच्छा को बताता है। वह उस वस्तु को खरीद भी सकता ओर नहीं भी खरीद सकता है। इस खरीद की असमन्जस वाली स्थिति से उपभोक्ता को प्रभावित करके उपभोक्ता द्वारा विज्ञापन उत्पाद को खरीद लेना ही विज्ञापन का उद्देश्य है। 
  6. अपने उत्पाद या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को बढाना- अपने ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं रूचि बनाये रखना एक लोकप्रिय विज्ञापन का उद्देश्य होता है। किसी भी ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता ब्राण्ड के अस्तित्व और उसकी जानकारी को इंगित करती है। यदि उपभोक्ता की धारणा (विश्वास) वस्तु के प्रति बदलती है तो यह उसे किसी उत्पाद से जोडने के लिये राजी करने को बढ़ावा देता है। जो सीधे-सीधे उपभोक्ता की पसन्द में बदलाव को प्रभावित करता है। 
  7. वस्तु का प्रयोग एक बार करने के बाद बार-बार प्रयोग करने की आदत डालने के लिये उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करना।
  8. अन्य वस्तुओं (ब्राण्ड) से उपभोक्ता को अपनी वस्तु की तरफ परिवर्तित करना।


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