Type Here to Get Search Results !

भारत की स्वतंत्रता पूर्व के दशक में देशी रियासतों के प्रजामंडल आंदोलन का क्या महत्त्व था?


  • राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव देशी रियासतों की जनता पर भी पड़ा। देशी रियासतों के अत्याचारों से मुक्ति पाने एवं राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए रियासतों की जनता ने भी संगठन बनाने प्रारंभ कर दिये। 
  • उदाहरणस्वरूप, प्रजा के हितों के लिए बड़ौदा में ‘प्रजामंडल’ की स्थापना की गयी। इसी प्रकार के संगठन अन्य राज्यों में भी बने। 1927 ई. में अखिल भारतीय प्रजा सभा की स्थापना हुई। इसने प्रजा के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। 
  • प्रजा के सचिव श्री बलवंत राय मेहता के योग्य नेतृत्व में इसने देशी रियासतों में जन-संघर्ष को आगे बढ़ाया और देशी राज्यों में भी राजनीतिक व्यवस्था लागू करने की मांग की। 
  • 1939 में पं. जवाहरलाल नेहरू अखिल भारतीय प्रजा सभा के अध्यक्ष बने। इसके पश्चात् देशी राज्यों में स्वाधीनता आंदोलन को तेजी मिली।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Ad