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मौद्रिक नीति क्या है ?


मौद्रिक नीति क्या है ?

  • देश में मौद्रिक नीति का निर्धारण केन्द्रीय बैंक अथवा रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के द्वारा किया जाता है। आरबीआई मौद्रिक नीति के निर्धारण में एक स्वायत्त संस्था है। देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक नीति का निर्धारण किया जाता है।
  • संवृद्धि बहुत हद तक मौद्रिक नीति पर निर्भर करती है। यदि केन्द्रीय बैंक के द्वारा बैंक दर, सीआरआर, एसएलआर आदि के माध्यम से संवृद्धि को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए बैंक दर कम होने पर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिया जाने वाला लोन अधिक सस्ता हो जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप् अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा और संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके विपरीत यदि बैंक दर को बढ़ा दिया जाये तो निवेश में कमी आयेगी और संवृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • मौद्रिक नीति के उद्देश्य में कीमत स्थिरता अथवा मुद्रास्फीति का प्रबंधन भी आता है। केन्द्रीय बैंक द्वारा विभिन्न उपायों के माध्यम से मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जाता है।
  • मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य संवृद्धि एवं मुद्रास्फीति में संतुलन बनाये रखना होता है। संवृद्धि के लिए वित्त अथवा निवेश शर्त होता है। मौद्रिक नीति ऐसी हो कि जिसके माध्यम से संवृद्धि तो हो ही लेकिन मुद्रास्फीति भी वहनीय बनी रहे। वित्त की पूर्ति किसी भी अर्थव्यवस्था को मुद्रा बाजार तथा पूंजी बाजार के माध्यम से होती है।
  • मुद्राबाजार अल्पकालिक अर्थात् एक वर्ष से कम अवधि के लिए वित्त की व्यवस्था करता है। इसमें संगठित क्षेत्र के तहत् वाणिज्यिक बैंक आते हैं तथा असंगठित क्षेत्र के अन्तर्गत महाजन एवं साहुकार आते हैं। वही पूंजी बाजार दीर्घकालिक एक वर्ष या इससे अधिक होती है। इसमें मुख्यतः शेयर मार्केट को सम्मिलित किया जाता है।


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