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दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस)

byDivanshuGS -May 06, 2018
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South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC)
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस)


  • सदस्य देशः दक्षिण एशिया के आठ देश - बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान (अप्रैल, 2007 में 8वां सदस्य बना)।
  • मुख्यालयः काठमांडू (नेपाल)
  • स्थापनाः 8 दिसम्बर, 1985 को
  • पर्यवेक्षक राष्ट्रः ऑस्ट्रेलिया, चीन, यूरोपीय संघ, ईरान, जापान, मॉरीशस, म्यांमार, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • सबसे पहले इस संघटन का विचार बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान ने 1977-80 में प्रस्तुत किया।
  • नवंबर 1980 में बांग्लादेश ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग विषय पर एक दस्तावेज तैयार किया और उसे दक्षिण एशियाई देशों में वितरित किया। 1981 और 1988 के मध्य सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु परिचालन एवं संस्थागत संपर्क गठित करने के लिये विदेश सचिव स्तर पर कई बहुपक्षीय बैठकें हुई।
  • 1983 में नई दिल्ली (भारत) में एक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन के फलस्वरूप दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग समिति का गठन हुआ और एकीकृत कार्यक्रम योजना की शुरूआत हुई। एकीकृत कार्यक्रम योजना के अंतर्गत सदस्य देशों के बीच निम्नांकित क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करने पर सहमति हुई- कृषि, संचार, शिक्षा, संस्कृति एवं खेल, पर्यावरण और मौसम विज्ञान।

दक्षेस संगठन के सिद्धांत

  • दक्षेस (सार्क) के चार्टर में अनुच्छेद-2 के अनुसार मुख्यतः तीन सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है-
  • संगठन के ढांचे के अंतर्गत सहयोग, सार्वभौम सहायता, समानता संघीय एकात्मकता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनितिक स्वतंतत्रा, अहस्तक्षेप तथा परस्पर लाभ के सिद्धांतों का सम्मान करना एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों में दखल न देने को आधार मानकर संगठन का ढांचा तैयार करना।
  • संगठन के ढांचे में यह भी उल्लेख किया गया कि सहयोग द्विपक्षीय और बहुपक्षीय उत्तरदायित्वों का विरोध नहीं करेगा।
  • संगठन के ढांचे में यह भी व्यवस्था की गई कि सहयोग द्विपक्षीय अथवा बहुपक्षीय सहयोग के एवज में नहीं होगा।
  • स्वास्थ्य, जनसँख्या नियंत्रण एवं बल कल्याण, अवैध मादक-पदार्थ व्यापार और औषधि दुरूपयोग पर रोक, ग्रामीण विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यटन, परिवहन तथा महिला विकास। दक्षिण एशिया क्षेत्रीय समिति, जिसके सदस्य बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के मंत्री थे, के प्रमुख कार्य थे- इस कार्यक्रम का पर्यवेक्षण करना, क्षेत्रीय और बाह्य संसाधनों की संघटित करना तथा सहयोग के लिये अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान करना।
  • एसएआरसी की अनुशंसा के आधार पर दिसंबर 1985 में ढाका (बांग्लादेश) में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना के लिये जारी घोषणा-पत्र (Charter) को स्वीकृति प्रदान की गई।


सार्क के उद्देश्य

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र की जनता के कल्याण एवं जीवन स्तर में सुधार लाना
  • क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास की गति देना
  • सदस्य देशों की सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि करना
  • विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में पारस्परिक सहायता में तेजी लाना
  • समान लक्ष्यों और उद्देश्यों वाले अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग स्थापित करना
  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समान हितों के मामलों में सदस्य देशों के मध्य सहयोग की भावना को मजबूती प्रदान करना तथा अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग स्थापित करना।


संरचना

  • सार्क के संगठनात्मक ढांचे में शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन, मंत्रिपरिषद, विदेश सचिवों की स्थायी समिति, कार्यकारी समिति, तकनीकी समितियां और सचिवालय सम्मिलित हैं।
  • राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में सभी सदस्य देश सम्मिलित होते हैं तथा यह सार्क का सर्वाेच्च निर्णयकारी अंग हैं।
  • सामान्यतया वर्ष में एक बार इस शिखर सम्मेलन का आयोजन होता है।
  • मंत्रिपरिषद सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बनी होती है। इसके कार्य हैं- नीतियों का निर्धारण, इन नीतियों की प्रगति की समीक्षा और सहयोग के नये क्षेत्र तथा उनके लिये आवश्यक प्रक्रियाओं की पहचान करना।
  • मंत्रिपरिषद की वर्ष में कम-से-कम दो बैठकें आवश्यक रूप से होती हैं, यद्यपि आवश्यकता पड़ने पर इसकी दो से अधिक बैठकें हो सकती हैं।
  • मंत्रिपरिषद की सहायता देने के लिये कार्यकारी समिति, विदेश मंत्रियों की स्थायी समिति और 11 तकनीकी समितियों की व्यवस्था है।
  • स्थायी समिति सहयोग कार्यक्रमों के समग्र पर्यवेक्षण और समन्वयन के लिये उत्तरदायी होती है।
  • इसकी बैठक सामान्यता मंत्रिपरिषद की बैठक से पहले होती है। तकनीकी समितियां अपने-अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन, समन्वयन और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी होती है।


  • 1987 में काठमांडू में सार्क के स्थायी सचिवालय की स्थापना हुई। सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता है, जिसकी सदस्यता के लिए अनेक अधिकारियों और कर्मचारियों की व्यवस्था है। महासचिव की नियुक्ति सदस्य देश के प्रतिनिधियों में से वर्णमाला क्रम में तथा चक्रण पद्धति के आधार पर होती है।

सचिवालय के मुख्य कार्य हैं-

  • कार्यक्रमों का पर्यवेक्षण, समन्वयन एवं क्रियान्वयन करना, तथा;
  • सार्क के विभिन्न अंगों की बैठकों की व्यवस्था करना।
  • इस संगठन का अध्यक्ष वही देश होता है जहां सार्क का अंतिम शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ है। 
  • अग्रिम शिखर सम्मेलन के समय नये अध्यक्ष की घोषणा की जाती है।
  • सार्क के निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं तथा द्विपक्षीय एवं विवादास्पद मुद्दे टाल दिए जाते हैं।
  • संगठन के संविधान में यह प्रावधान भी है कि सार्क के अंतर्गत कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिये, जो विद्यमान द्वि-पक्षीय और बहुपक्षीय अनुबंधों के विरुद्ध हो। साथ ही, सार्क कार्यक्रमों को सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप की नीति पर आधारित होना चाहिए।


महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  • सार्क दिवस 8 दिसम्बर को मनाते हैं
  • प्रथम सम्मेलन ढाका में


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