DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeRajasthan GK

कलाओं का संगमस्थल है जूनागढ़ दुर्ग

byDivanshuGS -February 04, 2018
0

  • इसे ‘लालगढ़ दुर्ग’ भी कहते हैं।
  • यह पारिख, धान्व दुर्ग श्रेणी में आता है।  
  • राजस्थान वैसे तो वीरों की भूमि है किन्तु यहां का स्थापत्य कला भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। बीकानेर के मध्य में स्थित ‘जूनागढ़’ दुर्ग का महत्व मात्र इसलिए नहीं है कि यह खाई और दृढ़ प्राचीरों से घिरा एक विशाल किला है।
  • इस दुर्ग का महत्त्व इसलिए भी है कि यहां हमें प्रस्तर शिल्प, भित्ति चित्रण तथा लकड़ी और कांच की अद्भुत जड़ाई देखने को मिलती हैं।
  • बीकानेर की स्थापना राव जोधाजी के पुत्र राव बीकाजी ने सन 1477 ई. में की थी, जबकि जूनागढ़ का निर्माण रावराजा रायसिंह के शासनकाल में 1589 ई. हुआ।
  • जूनागढ़ दुर्ग के निर्माण में मुख्यतः दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया गया है। पीला पत्थर जिसे जैसलमेर से लाया गया तथा लाल पत्थर बीकानेर के ‘दलमेरा’ गांव की पत्थर की खान से लाया गया। इसलिए इसे लालगढ़ भी कहा जाता है। इन दोनों पत्थरों के साथ ही जूनागढ़ की कलात्मकता को विकसित करने के लिए संगमरमर का भी उपयोग किया गया।
  • इस दुर्ग का निर्माण कार्य एक राजा के शासनकाल में पूर्ण नहीं हुआ, बल्कि इसे निर्मित होने में पूरी चार शताब्दियां लगी।
  • राव रामसिंह के बाद के विभिन्न शासकों ने उनके द्वारा आरंभ किए गए इस कार्य का जारी रखा, जिससे ‘जूनागढ़’ का वर्तमान स्वरूप में निर्माण संभव हुआ।
  • जूनागढ़ सदैव राव बीकाजी के वंशजों के पास ही सुरक्षित रहा।
  • जूनागढ़ के इतिहास में किसी बड़े आक्रमण अथवा युद्ध का सामना नहीं हुआ, इस कारण से यहां की कला और शिल्प को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची।
  • जूनागढ़ के चारों और लगभग 20 फीट चौड़ी और 40 फीट गहरी खाई बनाई गई थी। खाई से पूर्व चार फीट चौड़ी दीवारों का परकोटा बनाया गया। 
  • गढ़ के मुख्य भवन यानि राजमहल तक पहुंचने में कुछ बड़े मजबूत द्वारों से गुजरना होता , जिन्हें ‘पिरोल’ कहा जाता है। ये विशाल द्वार बीकानेर के विभिन्न शासकों ने सुरक्षा की दृष्टि से बनवाए। इन द्वारों अथवा पिरोलों को करणपोल, दौलतपोल और सूरजपोल आदि नाम दिए गए।
  • जूनागढ़ में निर्मित फूलमहल, चन्द्रमहल, बीका महल, अनूप महल, सुजान महल, छत्र महल, सरदार महल तथा बादल महल आदि भवनों में प्रमुख रूप से तीन प्रकार का कलात्मक अलंकरण देखने को मिलता है।
  • पहला प्रस्तर शिल्प भित्ति चित्रांकन तथा तीसरा लकड़ी और कांच की सज्जा का कलात्मक कार्य।
  • प्रस्तर शिल्प के अंतर्गत हम यहां के महलों के झरोखेनुमा छोटे-छोटे गुम्बदों, जालियों, खम्भों, दरवाजों और गोखों में तराशी गई विविध छवियों को देख सकते हैं। इनमें छैनी तथा हथौड़ी से अनुपम कारीगरी की गई है।
  • यहां के गज मंदिर में जड़ाई का अत्यंत प्रभावपूर्ण काम हुआ है।
  • यहां स्थित मन्दिरों के भीतरी भागों में श्रीकृष्ण के झूलों व अन्य पवित्र प्रतीकों के चित्र देखकर हमें यहां की मथेरन शैली की चित्रकला के विकास का पता चलता है।
  • बीकानेर के राव राजाओं ने मथेरन जाति के लोगों को प्रश्रय दिया।
  • जूनागढ़ के विभिन्न महलों के दरवाजों पर भी अत्यंत आकर्षक एवं मोहक चित्रांकन किया गया है। यहां बनी राधा-कृष्ण की आकृतियों दर्शक को विभोर कर देती हैं।
  • सुजान महल के एक दरवाजे पर 14 चित्र बने हैं। यहीं पर बने बीका महल व सारंगी बजाती युवतियों के चित्र भी सुन्दर है।

  • सुजान महल के नीचे बने बीका महल के द्वारों पर हिन्दुओं के विभिन्न 14 अवतारों के चित्र, भित्ति कला के अनुपम उदाहरण है।
  • यहां के बादल महल की छत पर बनाए गए चित्र भी दर्शनीय हैं। लकड़ी की छत पर इन्द्र नीलाभ (आकाश) में परियों के तथा दो अन्य तैल चित्र भी हैं जो काफी आकर्षक बन पड़े हैं। इनमें कम्पनी शैली का प्रभाव है।
  • छत्र महल की छत भी अन्य महलों की भांति लकड़ी की बनी हुई है। इसमें श्रीकृष्ण की रासलीला का चित्रण है। उसे बेल-बूटों से सजाया गया है। ये चित्र लोक चित्र शैली के हैं।
  • जूनागढ़ में बने महलों की छतें लकड़ी के अनुपम शिल्प, काष्ठकला की बारीकियों से सुसज्जित हैं। इनमें बनी हुई विभिन्न डिजाइनों को देखकर हम आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकते।
  • छतों पर लकड़ी के साथ-साथ चांदी तथा सोने की सजावट का काम भी किया गया है। काष्ठकला की दृष्टि से महलों के द्वार तथा वहां का फर्नीचर भी बेजोड़ है।
  • महलों में हाथी दांत, चंदन की लकड़ी, अखरोट की लकड़ी तथा पीतल पर किया गया आकर्षक काम यहां के कला वैभव को उजागर करने वाला है।
  • फूल महल के अंदर जयपुर के कारीगरों द्वारा निर्मित शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण आदि की मूर्तियां भी बेहद सुन्दर बन पड़ी है।
  • जूनागढ़ में जगह-जगह पर कांच की कारीगरी भी की गई है। छत्रमहल में चीन की नीली टाइलों का प्रयोग किया गया है। जिन पर सुन्दर चित्रण हुआ है।
  • बीकानेर के महाराजा गजसिंह यहां एक मणि मोती जड़ित महल बनाना चाहते थे, पर वे उसे पूर्ण नहीं कर पाए। जूनागढ़ की कलात्मक समृद्धि में अधिकतर मुस्लिम कलाकारों ने भी खूब काम किया।
  • यहां पर मुल्तान से आए ‘उस्ता’ जाति के कलाकारों ने भी खूब काम किया। ये ऊंट की खाल पर कलात्मक काम करते थे।  

Tags: Rajasthan GK
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form