DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
    • Economy
    • Constitution
    • History
      • Indian History
      • Right Sidebar
    • Geography
      • Indian Geography
      • Raj Geo
  • Mega Menu

    राजस्थान लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 कब जारी की गई?

    सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

    आदिकालीन हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियां कौन सी हैं

    सर्वप्रथम घोड़े के अवशेष सिंधु घाटी सभ्यता में कहां से मिले हैं?

    डॉ. होमी जहांगीर भाभा: भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक

  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeB.A. 1st Year History

सातवाहन राजवंश

byDivanshuGS -December 03, 2017
0

इतिहास के साधन

  • सातवाहन इतिहास के लिए मत्स्य तथा वायुपुराण विशेष रूप से उपयोगाी हैं। पुराण सातवाहनों को ‘आन्ध्रभृत्य तथा आन्ध्र जातिय’ कहते हैं।
  • पुराणों में इस वंश के संस्थापक का नाम सिन्धुक, सिमुक अथवा शिप्रक दिया गया है। जिसने कण्ववंश के राजा सुशर्मा को मारकर तथा शुंगों की अवशिष्ट शक्ति का अन्त कर पृथ्वी पर अपना शासन स्थापित किया था।



सातवाहन कालीन लेखों में निम्नलिखित उल्लेखनीय है-

  • नागनिका का नानाघाट (महाराष्ट्र के पूना जिले में स्थित) का लेख
  • गौतमीपुत्र शातकर्णि के नासिक से प्राप्त दो गुहालेख
  • गौतमी बलश्री का नासिक गुहालेख
  • वाशिष्ठीपुत्र पुलमावी का नासिक गुहालेख
  • वाशिष्ठीपुत्र पुलमावी का कार्ले गुहालेख
  • यज्ञश्री शातकर्णि का नासिक गुहालेख
  • नासिक के जोगलथम्बी नामक स्थान से क्षहरात शासक नहपान के सिक्कों का ढ़ेर मिलता है, इसमें अनेक सिक्के गौतमीपुत्र शातकर्णि द्वारा दुबारा अंकित कराये गये हैं। यह नहपान के ऊपर उनका अधिकार का पुष्ट प्रमाण है।
  • यज्ञश्री शातकर्णि के एक सिक्के पर जलपोत के चिह्न उत्कीर्ण है इससे समुद्र के ऊपर उनका अधिकार प्रमाणित होता हैं।
  • सातवाहन सिक्के सीसा, तांबे तथा पोटीने (तांबा, जिंक, सीसा तथा टिन मिश्रित धातु) में ढलवाये गये हैं।
  • इन पर मुख्यतय वृष, गज, सिंह, अश्व, पर्वत, जहाज, चक्र, स्वास्तिक, कमल, त्रिरत्न, उज्जैन चिह्न (क्रास से जुड़े चार बाल) आदि का अंकन मिलता है।
  • पश्चिमी तट पर भड़ौच इस काल का सबसे प्रसिद्ध बन्दरगाह था। जिसे यूनानी लेखक बेरीगाजा कहते है।

उत्पत्ति तथा मूल निवास स्थान

  • पुराणों में इस वंश के संस्थापक सिमुक को ‘आन्ध्रभृत्य तथा आन्ध्रजातिय’ कहा गया है। ऐतरेय ब्राह्मण में यहां के निवासियों को अनार्य कहा गया है।
  • महाभारत में आन्ध्रों को ‘म्लेच्छ’ तथा मनु स्मृति में वर्णसंकर एवं अन्त्यज कहा है।
  • मूलतः सातवाहन ब्राह्मण जाति ही के थे।
  • स्मिथ श्री काकुलम तथा भण्डारकर ने धान्यकटक में उनका मूल निवास स्थान माना है।
  • सातवाहन राजाओं के बहुसंख्यक अभिलेख तथा सिक्के महाराष्ट्र के प्रतिष्ठान (पैठन) के समीपवर्ती भाग से प्राप्त होते हैं।

प्रारम्भिक इतिहास -

  • वायुपुराण का कथन है कि आन्ध्रजातिय सिन्धुक (सिमुक) कण्व वंश के अन्तिम शासक सुशर्मा की हत्या कर तथा शुंगों की बची हुई शक्ति को समाप्त कर पृथ्वी पर शासन करेगा।
  • 23 वर्ष (60-37 ई.पू.) शासन किया।
  • उसके नाम का उल्लेख नानाघाट चित्र फलक अभिलेख में मिलता है।
  • उसके श्रमण नामक एक महामात्र ने नासिक में एक गुहा का निर्माण करवाया था।

श्रीशातकर्णि प्रथम

  • सिमुक का पुत्र था। अपने वंश मे शातकर्णि की उपाधि धारण करने वाला वह पहला राजा था।
  • शातकर्णि प्रथम प्रारम्भिक सातवाहन नरेशों में सबसे महान था। उसने अंगिय कुल के महारठी त्रानकयिरों की पुत्री नायनिका (नागनिका) से विवाह कर अपना प्रभाव बढ़ाया।
  • नागनिका के नानाघाट अभिलेख से शातकर्णि प्रथम के शासन काल के विषय में महत्त्वपूर्ण सूचनाएं मिलती है। उसने पश्चिमी मालवा, अनूप (नर्मदा घाटी) तथा विदर्भ के प्रदेशों की विजय की।
  • वशिष्ठीपुत्र आनन्द जो शातकर्णि के कारगरों का मुखिया था ने सांची स्तूप के तोरण पर अपना लेख खुदवाया। यह लेख पूर्वी मालवा पर उसका अधिकार प्रमाणित करता है। पश्चिमी मालवा पर अधिकार की पुष्टि ‘श्रीसात’ सिक्कों से होती है।
  • हाथीगुम्फा लेख से पता चलता है कि अपने राज्यारोहण के दूसरे वर्ष खारवेल ने शातकर्णि की परवाह न करते हुए पश्चिम की ओर सेना भेजी।
  • उसने दो अश्वमेध तथा एक राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया। उसने मालव शैली की गोल मुद्राएं तथा अपनी पत्नी के नाम पर रजत मुद्राएं उत्कीर्ण करवायी। उनके ऊपर अश्व की आकृति मिलती है।
  • उसने ‘दक्षिणापथपति’ तथा ‘अप्रतिहतचक्र’ जैसी महान् उपाधियां धारण की।
  • उसके सिक्कों पर 'श्रीसात' (शातकर्णी का सूचक) का उल्लेख है।
  • शातकर्णि प्रथम पहला शासक था जिसने सातवाहनों को सार्वभौम स्थिति में ला दिया। पेरीप्लस से पता चलता है कि एलडरसेर-गोनस एक शक्तिशाली राजा था जिसके समय सुपार तथा कलिन (सोपारा तथा कल्याण) के बन्दरगाह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-वाणिज्य के लिए पूर्ण रूपेण सुरक्षित थे। इस शासक से तात्पर्य शातकर्णि प्रथम से ही है।
  • प्रतिष्ठान को अपनी राजधानी बनाकर उसने शासन किया।
  • नानाघाट में उसके दो पुत्रों का उल्लेख हुआ है। वेदश्री तथा शक्ति श्री ये दोनों अव्यस्क थे।
  • शातकर्णि प्रथम की पत्नी नायनिका ने संरक्षिका के रूप में शासन संचालन किया।
  • शातकर्णी प्रथम ने मालव शैली की गोल मुद्राएं तथा अपनी पत्नी के नाम पर रजत मुद्राएं उत्कीर्ण करवायी थी।
  • आपिलक का एक तांबें का सिक्का मध्यप्रदेश से प्राप्त है।
  • कुन्तल शातकर्णि संभवतः कुन्तल प्रदेश का शासक था। जिसका उल्लेख वात्स्यायन के कामसूत्र मे हुआ है।

हाल

  • हाल स्वयं बहुत बड़ा कवि तथा कवियों एवं विद्वानों का आश्रयदाता था।
  • 'गाथा सप्तसती' नामक प्राकृत भाषा में उसने एक मुक्तक काव्य ग्रंथ की रचना की थी।
  • उसकी राज्यसभा में ‘बृहत्कथा’ (पैशाची प्राकृत भाषा) के रचियता गुणाढ्य तथा ‘कातन्त्र’ नामक संस्कृत व्याकरण के लेखक शर्ववर्मन निवास करते थे।

सातवाहन सत्ता का पुनरूद्धारः

गौत्तमीपुत्र शातकर्णि 106 -130 ईस्वी

  • पुराणों के अनुसार गौत्तमीपुत्र शातकर्णि सातवाहन वंश का 23वां राजा था। उसके पिता शिवस्वाति तथा माता गौत्तमी बलश्री थी।
  • उसके तीन अभिलेख प्राप्त होते हैं - नासिक का पहला लेख उसके शासनकाल के 18वें तथा दूसरा 24वें वर्ष का है।
  • कार्ले का लेख 18वें वर्ष का है। उसकी सैनिक सफलताओं एवं अन्य कार्यों के विषय में उसकी माता गौत्तमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति तथा पुलुमावी के नासिक गुहालेख से मिलती है।

सैनिक सफलताएं

  • 17वें साल एक बड़ी सेना के साथ क्षहरातों के राज्य पर उसने आक्रमण कर दिया। इस सैनिक अभियान में क्षहरात नरेश नहपान तथा उषावदात पराजित हुए और मार डाले।
  • उसने नासिक के बौद्ध संघ को ‘अजकालकिय’ नामक क्षेत्रदान में दिया था। 
  • इस समय गोवर्धन के अमात्य को उसने एक राजाज्ञा जारी किया। इसमें वह अपने को ‘वेणाकटकस्वामी’ कहता है।
  • कार्ले के भिक्षु संघ को उसने ‘करजक’ नामक ग्राम दान में दिया।
  • गौत्तमीपुत्र वेणाकटक (महाराष्ट्र के गोवर्धन जिले में) में सैनिक शिविर डाला जो क्षहरातों के विरूद्ध था। जोगलथम्बी मृदभाण्ड से भी इसकी पुष्टि होती है।
  • पुनरांकित मुद्रा के मुख भाग पर चैत्य तथा मुद्रालेख ‘रत्रोगौत्तमीपुतस’ तथा ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में नहपान के मुद्रालेख का अंश है। पृष्ठभाग पर उज्जैन चिह्न तथा यूनानी में नहपान के लेख उत्कीर्ण है।
  • पुलमावी के नासिक गुहालेख से भी गौत्तमीपुत्र की क्षहरातों के विरुद्ध सफलता की सूचना मिलती है।
  • उसके पुत्र पुलुमावी के शासनकाल के 19वें वर्ष में उत्कीर्ण नासिक गुहालेख मे गौत्तमीपुत्र शातकर्णि द्वारा विजित निम्नलिखित प्रदेशों के नाम मिलते हैं - 
  • ऋषिक (कृष्णा नदी का तटीय प्रदेश), अस्मक, मूलक, सुराष्ट्र, कुकुर, अपरान्त, अनूप, विदर्भ, आकर, अवन्ति।
  • नसिक प्रशस्ति से पता चलता है-
  • उसे विन्ध्य, ऋक्षवत, पारियात्र, सह्य, मलय, महेन्द्र आदि पर्वतों का स्वामी कहा गया है।
  • उसके वाहनों (अश्वों) ने ‘तिसमुद-तोय-पीतवाहन’ तीनों समुद्रों का जल पिया था। 
  • उसने नासिक ज़िले में वेणाकटक नामक नगर का निर्माण करवाया था। वह क्षत्रियों के दर्प को चूर्ण करने वाला एकच्छत्र शासक था जिसने ‘राजराज’ महाराज, स्वामी की उपाधि धारण की।
  • उसने शास्त्रों के आदेशानुसार शासन किया।
  • समाज में वर्णाश्रम धर्म की प्रतिष्ठा की।
  • सम्पूर्ण साम्राज्य को आहारों में विभाजित किया। प्रत्येक आहार एक अमात्य के अधीन होता था।
  • गौत्तमीपुत्र का शासन दक्षिणापथ में वैदिक धर्म के पुनरूत्थान का काल था।
  • नासिक प्रशस्ति मं उसे वेदों का आश्रय तथा अद्वितीय ब्राह्मण कहा गया है।

गौत्तमीपुत्र शातकर्णि के उत्तराधिकारी

  • गौत्तमीपुत्र शातकर्णि का पुत्र वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी जिसे पुराणों में पुलोमी पुरोमानी अथवा पुलोमावी कहा गया है। सातवाहनों का राजा हुआ।
  • पुलुमावी कार्दमक (शक) वंशी दो शासकों चष्टन तथा रूद्रदामन का समकालीन था। चष्टन के सिक्कों के प्रसार से सूचित होता हैं कि उसका गुजरात, काठियावाड़, पुष्कर क्षेत्र पर अधिकार था। टॉलमी उसे ओजेने (उज्जैन) का शासक बताता है।
  • महाक्षत्रप रूद्रदामन अपने गिरनार लेख में दक्षिणापथ के स्वामी शातकर्णि (पुलुमावी) को दो बार पराजित करने का दावा किया।
  • उसने दक्षिण की ओर सातवाहन साम्राज्य का विस्तार किया।
  • कृष्णा नदी के मुहाने से उसके बहुसंख्यक सिक्के मिले है। उसी के काल में सातवाहनों ने आन्ध्रप्रदेश पर आधिपत्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। उसे ‘दक्षिणापथेश्वर’ कहा गया है।
  • उसके कुछ सिक्कों पर ‘दो पतवारों वाले जहाज’ का चित्र बना हुआ है जो सातवाहनों की नौ-शक्ति के पर्याप्त विकसित होने का प्रमाण है।
  • उसी के काल मे अमरावती के स्तूप का संवर्द्धन हुआ तथा उसके चारों ओर वेष्टिनी बनाई गई। रूद्रदामन ने अपनी पुत्री का विवाह पुलुमावी से किया।
  • टॉल्मी ‘ज्योग्राफिका’ में वाशिष्ठीपुत्र पुलुमावी का उल्लेख पोलोमोअस के रूप में करता है। इसने नवनगर नगर बसाया तथा उपाधि ‘नवनगर स्वामी’ की धारण की।

शिवशातकर्णि 159-166 ई.शिवस्कन्द शातकर्णि 167-174 ई.यज्ञ श्री शातकर्णि 174-203 ई. अन्तिम शक्तिशाली शासक

  • उसने शकों को पुनः पराजित किया तथा अपरान्त, पश्चिमी भारत के कुछ भाग एवं नर्मदा घाटी पर पुनः आधिपत्य कायम कर लिया।
  • विजय - चन्द्र श्री - पुलोमा।
  • दक्षिण-पश्चिम में सातवाहनों के बाद आभीर, आन्ध्रप्रदेश में ईक्ष्वाकु तथा कुन्तल में चुटुशातकर्णि वंशों ने अपनी स्वतंत्रता स्थापित की।

आन्ध्र-सातवाहन राजाओं की सबसे लम्बी सूची किस पुराण में मिलती है?

1. वायु पुराण

2. विष्णु पुराण

3. मत्स्य पुराण

4. उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर- 3


सिमुक निम्न वंशों में से किसका संस्थापक था?

1. चेर  2. चोल

3. पाण्ड्य 4. सातवाहन

उत्तर- 4


निम्न में से कौनसा स्थान सातवाहनों की राजधानी थी?

1. प्रतिष्ठान 2. नागार्जुन कोण्डा

3. शकल या स्यालकोट 4. पाटलिपुत्र

उत्तर- 1


किस सातवाहन राजा ने स्वयं एका ब्राह्मण की उपाधि धारण की थी?

1. यज्ञश्री शातकर्णी 

2. शातकर्णी

3. गौतमीपुत्र शातकर्णी

4. वशिष्ठीपुत्र शातकर्णी

उत्तर- 3


निम्नलिखित में से कौनसा शासक वर्ण व्यवस्था का रक्षक कहा जाता है?

1. पुष्यमित्र शुंग

2. समुद्रगुप्त 

3. गौतमीपुत्र शातकर्णी

4. रूद्रदामन 

उत्तर- 3


निम्न में से किस शासक ने मालव शैली की गोल मुद्राएं तथा अपनी पत्नी के नाम पर रजत मुद्राएं उत्कीर्ण करवायी?

1. हाल

2. शातकर्णी प्रथम

3. गौतमीपुत्र शातकर्णी

4. वशिष्ठी पुत्रपुलवामी

उत्तर- 2


आभीर

  • संस्थापक ईश्वरसेन था जिसने 248-49 ई. के लगभग कलचुरिचेदि संवत की स्थापना की।

ईक्ष्वाकु

  • कृष्णा-गुण्टूर क्षेत्र में।
  • सतवाहनों के सामन्त
  • संस्थापक श्री शान्तमूल था।
  • अश्वमेध यज्ञ किया।
  • माठरीपुत्र वीर पुरुषदत्त - अमरावती तथा नागुर्जनीकोंड से लेख ईक्ष्वाकु लोग बौद्धमत के पोषक थे।

सातवाहन युगीन संस्कृति

शासन व्यवस्था

  • शासन का स्वरूप राजतंत्रात्मक था। सम्राट प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी था। वह अपनी दैवी उत्पत्ति में विश्वास करता था।
  • नासिक लेख में गौत्तमीपुत्र शातकर्णि की तुलना कई देवताओं से की गई है।
  • सातवाहन नरेश ‘राजन, राजराज, महाराज तथा शकों के अनुकरण का स्वामिन जैसी उपाधियां धारण करते थे। रानियां देवी अथवा महादेवी की उपाधि धारण करती थी।
  • राजओं के नाम मातृप्रधान था तथापि उत्तराधिकारी पुरुष वर्ग में ही सीमित था तथा वंशानुगत होता था।
  • इसकाल की दो रानियां - नागनिका तथा गौत्तमी बलश्री ने प्रशासन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
  • सम्राट की सहायता के लिए ‘अमात्य’ नामक पदाधिकारियों का सामान्य वर्ग था।

Tags: B.A. 1st Year History History Indian History
  • Facebook
  • Twitter
You might like
Responsive Advertisement
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Geography

विश्व के प्रमुख मरुस्थलों से संबंधित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

शुक्र ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

जेट स्ट्रीम क्या है? उत्तरी भारत में दक्षिणी- पश्चिमी मानसून के अचानक फटने के लिए 'पूर्वी जेट-स्ट्रीम' कैसे जिम्मेदार है?

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

राजस्थान लॉजिस्टिक्स पॉलिसी-2025 कब जारी की गई?

DivanshuGS- July 19, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Accept !
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
    • Economy
    • Constitution
    • History
      • Indian History
      • Right Sidebar
    • Geography
      • Indian Geography
      • Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET

Contact Form