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अक्सर इंटेलीजेंट व्यक्ति असफल होने पर किसे दोष देता है?

अक्सर इंटेलीजेंट व्यक्ति असफल होने पर किसे दोष देता है?

राजस्थान ही क्या है राज्य के अधिकतर प्रतियोगी परीक्षार्थी की यही कहानी है असफल होने पर राज्य सरकार को और उस बोर्ड की चयन प्रणाली को दोष देने की और यही भी है। कितने अरमान पलें हर विद्यार्थी अपनी करनी में कसर नहीं छोड़ता और यह भी सही है यदि चयन प्रक्रिया में दोष न हो तो शायद जो इंटेलीजेंट छात्र-छात्राएं जो सिर्फ चयन प्रक्रिया में दोष की वजह से असफल होते हैं वे तर जाएं।
क्या वाकई सरकार व बोर्ड की चयन प्रक्रिया दोषी है? 
काफी हद तक यह सही प्रश्न है क्योंकि एक ही वस्तुनिष्ठ परीक्षा से किसी भी छात्र का सही आकलन नहीं हो सकता है क्योंकि कभी पेपर आउट होना की खबरें तो कभी एग्जाम सेन्टर पर नकल करवाने के मामले, तो कभी पेपर बिना सील के ही भेजना, कभी विवादित प्रश्नों को लेकर रिट लगाना तो कोई प्रश्न गलत छपना आदि का समाधन होते नहीं देखा है। जो सरकार और बोर्ड दोनों पर प्रश्न खड़े करती है। क्यों न आरपीएससी द्वितीय श्रेणी ही नहीं हर एग्जाम में प्री और मेन्स की एग्जाम ले ताकि जो सिफारिशें लेकर आते है वो यही जिला स्तर पर ठहर जाये और मैन्स के लिए अजमेर बुलाये। 
मैंने अक्सर राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाएं दी है जिनमें हर परीक्षार्थी को यह कहते सुना है फला विद्यालय में पेपर हल करवाया कर कई विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में आज अध्यापक है और इसका जीता जागता उदाहरण मैंने खुद देखा है। पर आज मैं उस अध्यापक को नौकरी से हटाने के लिए नहीं बल्कि एक अच्छे नागरिक होने के नाते चयन के तरीके पर सवाल उठाना चाहता हूं क्योंकि मैं जिस दौर से गुजरा हूं अब मैं ओर छात्रों को नहीं गुजरने देना चाहता हूं। 

दोस्तों मैंने कई बार आरपीएससी की कई एग्जाम दी। मैंने हर बार एक ही प्रकार की गतिविधियां देखी, अधिकतर परीक्षार्थियों द्वारा अपने परीक्षा स्थल पर अपने पिताजी या कोई जानकार को सिफारिश करने के लिए लाना। यही नहीं कई एग्जाम सेन्टरों पर एक्सपर्ट व कोचिंग क्लासेज के अध्यापकों से सेटिंग कर लेते हैं। ये मेरे आंखों देखे की बात है और आज वह अध्यापक है। 

ऐसे में कई बार मैंने सोचा मैं किसे अपने साथ लेकर आऊं मेरी तो किसी से जानकारी है ही नहीं। तब मेरे मन में एक ही विचार आता था क्यों न आरपीएससी द्वितीय श्रेणी ही नहीं हर एग्जाम में प्री और मेन्स की एग्जाम ले ताकि जो सिफारिशें लेकर आते है वो यही जिला स्तर पर ठहर जाये और मैन्स के लिए अजमेर बुलाये, चाहे रिजल्ट के 1 माह बाद ही मेन्स की एग्जाम हो वह भी वस्तुनिष्ठ हो जिससे सेटिंग किया हुआ व्यक्ति दूसरे शहर में से ऐसा न कर सके और जो मेहनती परीक्षार्थी है जो इन लोग के कारण बार-बार रह जाते हैं वे सफल हो सके। 
दोस्तों व्यवस्था परिवर्तन हम जैसे ही युवा कर सकते हैं क्योंकि पूर्व के हर परिवर्तन में युवा की बहुत बड़ी भागीदारी रही है। मैं तो ओवरएज हो चुका हूं मैंने जो देखा है और महसूस किया है। उसे आज लिख रहा हूं क्योंकि यह सब आप जैसे लोगों से सुनने में आता है और इसे मैंने 2011 दिसम्बर की द्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा में साक्षात देखा है।
मैं नहीं चाहता आने वाले परीक्षार्थियों को इन समस्याओं का सामना करना पड़े इसके लिए अपने दोस्तों से संपर्क करो और एक आवाज में प्रतियोगी परीक्षाओं में हर बार आने वाली शिकायतों से निदान मिल सकें।

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