संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) UNEP

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)


विश्व की प्रसिद्ध ग्रीन संस्थाएं व संगठन

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) एक ऐसी संस्था है जो पर्यावरण और इससे सम्बन्धित मामलों के प्रति अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थापित की गई है। 
  • यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग है। 
  • इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1972 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय केन्या की राजधानी नैरोबी में है। इसके वर्तमान कार्यकारी निदेशक ऐरिक सोल्हाम है। 
  • यूएनईपी का प्रमुख कार्य इसके एक कार्यक्रम अर्थवॉच की सहायता से पर्यावरण की निगरानी करना, पर्यावरण प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना, पर्यावरण सम्बन्धी जानकारियों को एकत्रित करना एवं प्रसार करना, पर्यावरण सम्बंधी नीतियां बनाना तथा विकासशील देशों की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार पर्यावरण सुरक्षा परियोजनाओं का क्रियान्वयन करना है।
  • यह संस्था संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं, खाद्य एवं कृषि संगठन, यूनेस्को तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर कार्य करती है।
  • जून 1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मानव के एक स्वस्थ पर्यावरण में रहने का अधिकार तथा भविष्य की पीढ़ी के लिए पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार के प्रति उनकी जिम्मेदारी की घोषणा की गई।
  • 1972 में महासभा ने संयुक्त निगरानी और सकारात्मक पर्यावरणीय व्यवहार को समन्वित व प्रोत्साहित किया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की सभी एजेंसियों की पर्यावरणीय गतिविधियों का समन्वय करता है और सरकार, वैज्ञानिक व व्यावसायिक समुदाय और गैर-संगठनों के साथ मिलकर कार्य करता है। इसके कार्यों मे वैश्विक पर्यावरण निगरानी कार्यक्रम संभावित विषाक्त रसायनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर (आईआरपीटीसी) तैयार करना आदि शामिल है।
  • वर्ष 2003 मं यूएनईपी ने मांट्रियल प्रोटोकॉल पर बातचीत में सहायता की। इसके अंतर्गत पृथ्वी पर जीवन को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाने वाले वायुमंडलीय ओजोन परत के क्षरण को रोकने की बात है। वर्ष 2002 में इसने अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों पर नियंत्रण और हानिकारक कचरे के निस्तारण पर बुनियादी समझौते के लिए वार्ता की।
  • यूएनईपी संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों और गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर भूमध्यरेखीय वनों को बचाने और उसके संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने तथा प्रजातीय विविधता को बनाये रखने के लिए इनका संरक्षण आवश्यक है।
  • यूएनईपी की अन्य गतिविधियों में मरूस्थलीकरण पर नियंत्रण, जल संरक्षण, पर्यावरणीय शिक्षा, विकासशील देशों के प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादकता बनाये रखना आदि शामिल है।

प्रमुख उपलब्धियां


  • यूएनईपी द्वारा 1991 में ‘ओजोन एक्शन कार्यक्रम’ शुरू किया गया।
  • दुर्घटनाओं से बचने तथा आपात स्थितियों से निपटने के लिए यूएनईपी विकासशील देशों में एपीईएलएल कार्यक्रम संचालित कर रहा है।
  • यूएनईपी ने ‘जैवविविधता पर समझौते’ के लिए पारूप तैयार किया है।
  • 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन (पृथ्वी सम्मेलन) क आयोजन में अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य किया। इस सम्मेलन में सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘एजेंडा 21’ नामक एक कार्यक्रम स्वीकार किया गया।
  • यूएनईपी द्वारा शहरी नियोजन एवं विकास से सम्बन्धित सतत् शहर विकास कार्यक्रम चलाया जाता है।
  • वन्य जीव एवं वनस्पतियों के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए सहयोग प्रवर्तन अभियान हेतु 1996 में लुसाका समझौते का आयोजन किया गया।
  • ‘भूमि आधारित गतिविधियों द्वारा समुद्री पर्यावरण के संरक्षण के लिए वैश्विक कार्ययोजना‘ को लागू करना। इस योजना को 1995 में 110 देशों ने स्वीकार किया।
  • 1992 में इसने नैरोबी घोषणा पत्र को स्वीकार किया जो यूएनईपी को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया था।
  • 1997 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र का आयोजन किया गया जिसे ‘15वां पृथ्वी सम्मेलन’ कहा गया।
  • व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किये गये विशिष्ट कार्य को सम्मानित करने के लिए ‘सासाकावा पुरस्कार’ की शुरुआत की।
  • स्माज के सभी वर्गों की पर्यावरणीय जिम्मेदारी की स्वीकृति को बढ़ावा देने हेतु यूएनईपी ने एक वैश्विक पर्यावरण नागरिक कार्यक्रम की शुरूआत की।
  • वर्ष 2007 को संयुक्त राष्ट्र और यूएनईपी ने मिलकर अंतर्राष्ट्रीय डॉल्फिन वर्ष घोषित किया था।


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