राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के जनक

राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
राव गोपाल सिंह खरवा




  • जन्म: 19 अक्टूबर, 1873 ई. में
  • मेवाड़ रियासत के खरवा (अजमेर) ठिकाने में 
  • राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के जनक।
  • केसरी सिंह बारहठ के साथ मिलकर 1903 ई. में वीर भारत सभा की स्थापना की।
  • 1915 ई. देश व्यापी क्रांति की योजना बनाईं।
  • मार्च 1939 को निधन।
  • उनकी मृत्यु के बाद केसरी सिंह ने कहा -‘रह्यों लाल पांचाल में, महाराष्ट्र में बाल। रांजत राजस्थान में गौरवमय गोपाल’
अर्जुनलाल सेठी

  • जन्म: 9 सितम्बर, 1880 ई. को जयुपर में जैन परिवार में 
  • 1906 ई. में जयपुर में शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना की।
  • 1907 ई. में अजमेर में जैन वर्धमान पाठशाला की स्थापना की जिसे 1908 ई. में जयपुर स्थानान्तरित कर दी।
  • पुस्तकें - शुद मुक्ति, स्त्री मुक्ति, मदन पराजय
  • जयपुर महाराजा ने प्रधानमंत्री की नौकरी का प्रस्ताव दिया तब सेठीजी ने कहा -‘अर्जुन नौकरी करेगा तो अंग्रेजों को भारत से बाहर कौन निकालेगा।’


विजय सिंह पथिक
  • जन्म: 24 मार्च, 1882 ई.
  • गुंठावली कलां गांव, बुलंदशहर (उत्तरप्रदेश)
  • मूल नाम - भूपसिंह
  • राजस्थान में किसान आन्दोलन के जनक।
  • चित्तौड़ में विद्या प्रचारणी सभा की स्थापना की (ओछड़ी गांव में हरिभाई किंकर के साथ मिलकर)
  • वर्धा से ‘राजस्थान केसरी’ नामक समाचार पत्र का संपादन।
  • 1920 ई. अजमेर में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की। राजनैतिक चेना जाग्रत करने का सर्वाधिक श्रेय राजस्थान सेवा संघ को जाता है।
  • वीर भारत समाज का गठन 1919 ई. में की।
  • बिजौलिया व बेंगू किसान आंदोलन का नेतृत्व

प्रताप सिंह बारहठ

  • जन्म: 24 मई, 1893 ई.
  • कविराज श्यमाल दास की हवेली उदयपुर में।
  • पिता - केसरीसिंह बारहठ
  • 1914-15 बनारसषड्यंत्र का आरोप तय किए जाने के कारण बेरली जेल में भेज दिए गए।
  • प्रताप ने कहा - ‘मैं अपनी माता को हंसाने के लिए हजारों-हजारों की माताओं को नही रूला सकता।’
  • 27 मई, 1918 को मृत्यु



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