देश के कुल पशुधन का लगभग 11 प्रतिशत
प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पशुपालन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां अकाल, अभाव जैसी विपरीत स्थिति में पशुपालकों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन पशुधन ही रहता है।
प्रदेश में 5.67 करोड़ पशुधन है, जोकि देश के कुल पशुधन का लगभग 11 प्रतिशत है। पशुपालन के विकास से, प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हुआ है।
प्रदेश की इस विशाल एवं बहुमूल्य पशु सम्पदा की महत्ता को बनाए रखने, उनके विकास एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से विभाग विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों के माध्यम से निरन्तर सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है।
प्रदेश में पशुधन संरक्षण, संवर्धन, स्वास्थ्य एवं विकास को सर्वाधिक महत्व देने के लिए वर्तमान में 10,828 विभागीय पशु चिकित्सा संस्थाए स्वीकृत है, आगामी वर्ष में इनमें वृद्धि की जानी प्रस्तावित है।
पशुपालकों को पशुधन की अकाल मृत्यु के कारण होने वाले नुकसान से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की दृष्टि से प्रदेश में मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना शुरु की गई हैं।
प्रदेश में पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना अन्तर्गत दवाओं का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है, जिससे पशुधन के स्वास्थ्य एवं उत्पादन में सुधार हुआ है।
गाय व भैंस में खुरपका एवं मुंहपका रोग की रोकथाम के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
प्रदेश के गौवंशीय पशुओं में लम्पी स्कीन रोग के नियंत्रण के लिए पशुपालन, गोपालन और देवस्थान मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने 02 जून, 2025 से सांगानेर स्थित पिंजरापोल गोशाला से लंपी रोग से बचाव के लिए राज्य स्तरीय टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। जिसे आगामी वर्षों में भी निरन्तर जारी रखा जावेगा।
आगामी वर्ष में पशु चिकित्सा के विस्तार के लिए प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा एवं नस्ल सुधार केन्द्र प्रारम्भ किए जाने प्रस्तावित है।
नकारा नर बछड़ों की समस्या से निजात दिलवाने के लिए प्रदेश में सैक्सड सोर्टेड सीमन उपलब्ध कराने हेतु आदेश प्रस्तावित कर दिए गए हैं तथा पशुपालकों को उनके द्वार पर ही पशु चिकित्सा उपलब्ध करवाने के लिए मोबाइल वेटेनरी यूनिट-1962 सेवा प्रारम्भ की गई।
राज्य में पशुधन की स्वास्थ्य सुरक्षा, नस्ल सुधार, पशु रोग से बचाव एवं उपचार हेतु विभाग के अधीन वर्तमान में 73 बहुउददेशीय पशु चिकित्सालय, 848 प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय, 2,241 पशु चिकित्सालय, 102 पशुधन आरोग्य चल ईकाई एवं 7,564 उपकेन्द्र कुल 10,828 पशु चिकित्सा संस्थाएं कार्यरत हैं।
इन संस्थाओं के अतिरिक्त राज्य में एक राज्य स्तरीय पशु रोग निदान प्रयोगशाला एवं एक राज्य स्तरीय कुक्कुट रोग निदान प्रयोगशाला जयपुर में, 6 क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला 27 जिला रोग निदान प्रयोगशालाएं तथा प्रत्येक पंचायत समिति मुख्यालय स्थित ब्लॉक वेटेनरी हेल्थ ऑफिस (प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय पर) प्राथमिक पशु रोग निदान प्रयोगशालाएं स्वीकृत है।
पशुगणना का कार्य रेवेन्यू बोर्ड के माध्यम से करवाया जाता है। राज्य मे प्रति 5 वर्ष के अन्तराल के बाद पशुगणना करवाई जाती है। वर्ष 2019 में 20वीं पशुगणना करवाई गई थी।
पशु गणना से प्रदेश में पशु संख्या के अतिरिक्त विभिन्न पशु नस्लों का क्षेत्रवार विवरण एंव उनके आर्थिक योगदान सम्बन्धी महत्वपूर्ण सूचना उपलब्ध होती है।
मोबाइल वेटेनरी सेवा का शुभारम्भ 24 फरवरी 2024
प्रदेश में पशुपालकों को उनके द्वार पर पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल सेवा 108 की तर्ज पर आधारित 1962 मोबाइल वेटेनरी सेवा का शुभारम्भ 24 फरवरी 2024 से किया गया। योजना के तहत 536 536 मोबाइल वेटेनरी इकाइयों के माध्यम से पशुपालकों को घर बैठे निःशुल्क पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवायी जा रही है।
ऊंट संरक्षण के लिए अनुदान
वित्त वर्ष 2022-23 से ऊंट संरक्षण एवं विकास के लिए अनुदान योजना प्रारम्भ की गई हैं। परिवर्तित बजट घोषणा 2024 में ऊंट पालकों को दी जाने वाली सहायता राशि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रति वर्ष की गई।
सेक्स सॉर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान योजना
योजनान्तर्गत सेक्स सॉर्टेड सीमन का क्रय कर गाय व भैंस में 675 रुपये का 75 प्रतिशत अनुदानित दर पर पशुओं में SEX SORTED SEMEN से कृत्रिम गर्भाधान करवाया जावेगा। जिससे 90-95 प्रतिशत तक बछडियां/मादा पशु/पाडिया पैदा हो सकेगी। इससे लगभग 2 लाख पशुपालक लाभान्वित होंगे।